शारदीय नवरात्रि महासप्तमी- शनि देव के प्रकोप से छुटकारा दिलाएँगे इस दिन के ये अचूक उपाय!

शारदीय नवरात्रि महासप्तमी- शनि देव के प्रकोप से छुटकारा दिलाएँगे इस दिन के ये अचूक उपाय!

शारदीय नवरात्रि के तिथि विशेष इस ब्लॉग के कड़ी में हम आ पहुंचे हैं सप्तमी तिथि पर। अपने इस विशेष ब्लॉग में आज हम जानेंगे की नवरात्रि की सप्तमी तिथि या महा सप्तमी के दिन देवी के किस स्वरूप की पूजा करते हैं, इस दिन का शुभ मुहूर्त क्या है, मां का स्वरूप कैसा है और साथ ही जानेंगे इस दिन क्या कुछ भोग और मंत्र पूजा में शामिल करके आप देवी की प्रसन्नता हासिल कर लेते हैं। 

इसके अलावा आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यूं तो नवरात्रि का हर एक दिन अपने आप में बेहद खास और पावन होता है लेकिन शारदीय नवरात्र की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इन दिनों पर विशेष विधि से हवन करने पर आपके जीवन में सुख समृद्धि आजीवन बनी रह सकती है। क्या कुछ हैं ये उपाय जानने के लिए यह ब्लॉग अंत तक पढ़ें लेकिन आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं नवरात्रि 2024 की महा सप्तमी तिथि कब पड़ने वाली है और इस दिन का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।

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शारदीय नवरात्रि 2024- सप्तमी तिथि

शारदीय नवरात्रि 2024 की सप्तमी तिथि नवरात्रि के आठवें दिन अर्थात 10 अक्टूबर 2024 गुरुवार के दिन पड़ने वाली है। बात करें इस दिन के शुभ मुहूर्त की तो इस दिन तिथि सप्तमी रहेगी, पक्ष शुक्ल रहेगा, नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा रहेगा, योग अतिगण्ड रहेगा। वहीं अभिजीत मुहूर्त इस दिन 11:44:31 सेकंड से लेकर 12:31 तक रहने वाला है।

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कैसा है माँ कालरात्रि का स्वरूप?

बात करें देवी कालरात्रि के स्वरूप की तो देवी का यह स्वरूप गधे की सवारी करता है। मां का रंग कृष्ण वर्ण का है और देवी कालरात्रि की चार भुजाएं होती हैं इनमें देवी ने दोनों हाथों को अभय और वरद मुद्रा में धारण किया हुआ है वहीं बाएँ दोनों हाथ में तलवार और खड़ग मौजूद होते हैं। यूं तो देवी का यह स्वरूप बेहद उग्र नजर आता है। माँ के बाल बिखरे हुए हैं और मां ने गले में विद्युत के समान चमकीली माला धारण की हुई है लेकिन मां का ये स्वरूप भी देवी के अन्य स्वरूपों की ही तरह बेहद ही निर्मल और पावन होता है। 

मां कालरात्रि के तीन नेत्र होते हैं। इसके अलावा कहते हैं कि जो कोई भी भक्त सच्ची भक्ति और निष्ठा से माँ कालरात्रि स्वरूप की पूजा करता है देवी उनको आसुरी शक्तियों से बचाती हैं, दैत्य, भूत, पिशाच, दानव आदि बाधाओं से भी मां अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। इन्हीं सभी कर्म के चलते मां कालरात्रि को वीरता और साहस का प्रतीक माना गया है। 

कहते हैं मां कालरात्रि की विधिवत पूजा करने से काल भी भयभीत होता है। कालरात्रि देवी अपने भक्तों को भय से मुक्ति दिलाती हैं और अकाल मृत्यु से रक्षा करती हैं। इसके अलावा जिन लोगों के शत्रु जीवन में बढ़ गए हैं उनके लिए मां कालरात्रि की पूजा बेहद ही सिद्ध साबित होती है। शत्रुओं का पराजय करने के लिए मां कालरात्रि की पूजा सबसे सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। इसके अलावा मां की पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है, भय, कष्ट और रोगों का नाश होता है, जीवन में आने वाले संकट से रक्षा होती है, शनि के दुष्प्रभाव भी कुंडली से दूर होने लगते हैं। नियमित रूप से माँ कालरात्रि की पूजा करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैया के अशुभ प्रभाव कम होने लगते हैं।

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तो ऐसे पड़ा माँ का नाम कालरात्रि 

मां कालरात्रि का स्वरूप बेहद ही विकराल माना जाता है। मां का रंग उनके नाम की ही तरह घने अंधकार समान है। मां के तीन नेत्र होते हैं और मां के बाल खुले और बिखरे हुए हैं। गले में कड़कती बिजली की माला है। गधे की सवारी करने वाली मां कालरात्रि को शुभंकरी भी कहते हैं।

माँ कालरात्रि पूजा मंत्र- भोग- और शुभ रंग

बात करें मां कालरात्रि के पूजा मंत्र की तो इस दिन की पूजा में नीचे दिए गए मंत्रों का नियमित रूप से स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जाप करें। इससे माता की प्रसन्नता जल्दी हासिल की जा सकती है।

मंत्र है: 

क्लीं ऐं श्रीं कालिकायै नम:

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:

इसके अलावा बात करें माता के प्रिय भोग की तो मां कालरात्रि को गुड़ का भोग बेहद ही प्रिय होता है। ऐसे में नवरात्रि की सप्तमी तिथि की पूजा में आप गुड का भोग अवश्य लगाएँ। गुड से बनी मिठाई या सिर्फ गुड भी आप पूजा में शामिल कर सकते हैं। ऐसा करने से मां कालरात्रि की प्रसन्नता बेहद ही शीघ्र हासिल करने में आपको मदद मिलेगी। 

अंत में बात करें नवरात्रि के सप्तमी तिथि के शुभ रंग की तो कालरात्रि देवी की पूजा में लाल रंग का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में आप देवी के वस्त्रों से लेकर खुद के कपड़ों तक अगर लाल रंग का इस्तेमाल करते हैं तो इससे भी देवी की प्रसन्नता हासिल करने में आपको मदद मिलेगी। इसके अलावा इस दिन की पूजा में लाल रंग के फूल भी शामिल करें।

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शारदीय नवरात्रि सप्तमी तिथि पर अवश्य आजमाएं यह अचूक उपाय

क्या यह जानते हैं आप की अष्टमी और नवमी तिथि पर तो बहुत से लोग हवन करते हैं लेकिन शारदीय नवरात्रि की महा सप्तमी तिथि भी हवन के लिए बेहद ही शुभ मानी गई है। हालांकि इस दिन के हवन से जुड़ी कुछ विशेष बातें हैं जिनका आपको मुख्य रूप से ध्यान रखना चाहिए जैसे कि, 

अगर आप सप्तमी तिथि पर हवन कर रहे हैं तो इसमें 9 चीजों का विशेष रूप से इस्तेमाल करें। इससे आप अपने जीवन में खुशहाली प्राप्त कर सकते हैं। क्या कुछ हैं ये चीज़ें आइये जान लेते हैं:  

  • काली मिर्च- हवन में काली मिर्च का प्रयोग करने से आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। 
  • शहद- अपने जीवन में मिठास लाने, घर में सुख समृद्धि बढ़ाने के लिए हवन में शहद का इस्तेमाल अवश्य करें। 
  • सरसों- सप्तमी तिथि के दिन किए जाने वाले हवन में अगर आप सरसों का इस्तेमाल करते हैं तो आप अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में कामयाब होंगे। साथ ही बुरी नजर भी आपके जीवन से दूर जाने लगेगी। 
  • पालक- पालक को हरियाली का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में सप्तमी तिथि के हवन में अगर आप इसका प्रयोग करते हैं तो आपके घर में सुख शांति आती है। 
  • खीर- महादेवी को खीर बेहद ही पसंद होती है। ऐसे में अगर आप हवन में खीर की आहुति देते हैं तो आपके जीवन में धन्य धान्य की कभी भी कमी नहीं होती है। 
  • नींबू- हवन में नींबू इस्तेमाल करने से आधी व्याधि का नाश होता है। 
  • हलवा- अगर नवरात्रि की सप्तमी तिथि के हवन में आप हलवे का भोग लगाते हैं तो इससे माँ शीघ्र और निश्चित रूप से प्रसन्न होती हैं और आपके जीवन में खुशहाली हमेशा बनी रहती है। 
  • कमलगट्टा- हवन में कमलगट्टे का उपयोग करने से वंश और गोत्र की वृद्धि होती है और आपके घर में पैदा होने वाली संतान धार्मिक और दानी होती है। 
  • अनार- इसके अलावा अगर आप अनार की आहुति देते हैं तो इससे जो धुआँ उत्पन्न होता है वह रक्त शोधित करता है। 

शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि शनि ग्रह से भी जोड़कर देखी जाती है अर्थात देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। ऐसे में अगर आप इस दिन की विधिवत पूजा करते हैं तो आप शनि के प्रकोप से भी बच सकते हैं। शनि के अशुभ ढैया और साढ़ेसाती के प्रकोप से बचने में आपको मदद मिलती है और शनि ग्रह को मजबूती प्राप्त होती है। 

इसके अलावा सप्तमी तिथि के दिन रात में मां कालरात्रि के बीज मंत्र का सवा लाख बार जाप करने से और रात्रि जागरण करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। 

माता को प्रसन्न करना है तो रात को माता का सिंगार, पूजा करें। शृंगार पूजा में माता को श्रृंगार के समान के दो सेट अर्पित किए जाते हैं। एक तो आपको मंदिर में दान कर देना होता है और दूसरा आप खुद प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं। इससे भी माता प्रसन्न होती हैं। 

अगर आप अपने जीवन में सुख समृद्धि में वृद्धि करवाना चाहते हैं तो कालरात्रि मां की पूजा रात के समय भी करें। रात के समय पूजा में इन्हें 108 गुलदाउदी के फूलों की माला बनाकर अर्पित कर दें।

अगर आप अपने बल और विजय को मजबूत बनाना चाहते हैं तो पूजा के बाद पेठे की बलि अवश्य दें। 

इसके अलावा गुड से बनी मिठाई माता को अर्पित करें। ऐसा करने से आपके विजय और बल में वृद्धि होगी, सुख समृद्धि में वृद्धि करने के लिए रात को लाल कंबल के आसन पर बैठकर मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप और हवन करें।

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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1: नवरात्रि की सप्तमी कब है 2024?

वर्ष 2024 में नवरात्रि की सप्तमी तिथि 10 अक्टूबर 2024 गुरुवार के दिन पड़ रही है।

2: दुर्गा पूजा कलश स्थापना कब है 2024?

साल 2024 में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 03 अक्टूबर 2024, सुबह 06:19 बजे से 07:23 बजे तक है।

3: शारदीय नवरात्रि 2024 की अष्टमी कब है?

11 अक्टूबर 2024 को शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि पड़ रही है। 

4: 2024 में शारदीय नवरात्रि कब है?

2024 में नवरात्रि 3 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक रहने वाली है।