धन, बुद्धि, विद्या प्राप्त करने के लिए नवरात्रि की चतुर्थी तिथि पर अवश्य पढ़ें ये चमत्कारी मंत्र!

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शारदीय नवरात्रि की चतुर्थी तिथि को मां के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है लेकिन मां का यह नाम कैसे पड़ा, इस नाम का आखिर अर्थ क्या होता है, मां की पूजा करने के क्या लाभ है, इस दिन मां की पूजा में किन मित्रों को शामिल किया जाता है, मां का स्वरूप कैसा है और आप क्या कुछ उपाय करके मां कुष्मांडा की प्रसन्नता हासिल कर सकते हैं। आपके इन सभी सवालों के जवाब आपको मिलेंगे ऐस्ट्रोसेज के इस खास ब्लॉग के माध्यम से।

सिर्फ इतना ही नहीं शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा करने से कुंडली का कौन सा ग्रह मजबूत किया जा सकता है और उससे संबंधित शुभ परिणाम हासिल किए जा सकते हैं आपको इस बात की भी जानकारी हमारे इस ब्लॉग के माध्यम से हम देने का प्रयत्न करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं चौथे दिन से संबंधित हमारा ये खास ब्लॉग और सबसे पहले जान लेते हैं इस दिन का हिंदू पंचांग क्या कुछ कहता है।

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शारदीय नवरात्रि 2024- चतुर्थी तिथि

वर्ष 2024 में शारदीय नवरात्र की चतुर्थी तिथि नवरात्रि के पांचवें दिन पड़ रही है जो की 7 अक्टूबर 2024 सोमवार के दिन पड़ेगी। इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा का विधान बताया गया है। बात करें इससे संबंधित हिंदू पंचांग की तो 7 अक्टूबर 2024 सोमवार के दिन तिथि चतुर्थी रहेगी, पक्ष शुक्ल रहेगा, नक्षत्र अनुराधा है, योग प्रीति है, इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो इस दिन का अभिजीत मुहूर्त 11:45:10 सेकंड से शुरू होकर 12:31:59 सेकंड तक रहने वाला है।

कैसा है माँ कुष्मांडा का स्वरूप?

शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना करने का विधान बताया गया है। कहा जाता है मां कुष्मांडा ने ही सृष्टि की रचना की थी। कुष्मांडा शब्द का अर्थ होता है कुम्हड़ा यानी पेठा की बलि देना। बात करें मां के स्वरूप की तो मां कुष्मांडा अनाहत चक्र को नियंत्रित करती हैं। मां की 8 भुजाएं हैं इसीलिए यह अष्टभुजा देवी के नाम से भी जानी जाती हैं। मां को कुम्हड़ा विशेष रूप से प्रिय होता है। 

ज्योतिष में माँ कुष्माण्डा का संबंध बुध ग्रह से जोड़कर देखा जाता है। कहा जाता है मां का निवास सूर्य मंडल के भीतर के लोक में स्थित है। सूर्य लोक में निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल माँ कुष्माण्डा में ही मौजूद होती है। मान्यता के अनुसार मां के शरीर की शांति और प्रभाव सूर्य के समान है। कोई भी अन्य देवी देवता उनके तेज और प्रभाव की क्षमता नहीं कर सकता है। 

मां कुष्मांडा के तेज और प्रकाश से ही दसों दिशाएं प्रकाशित होती हैं। मां कुष्माण्डा की 8 भुजाएं हैं जिनमें उन्होंने कमंडल, धनुष, बाण्ड, कमल पुष्प, अमृत पूर्ण कलश, चक्र, गदा लिया हुआ है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियां और निधियों को देने वाली जपमाला मौजूद होती है और मां का वाहन सिंह हैं। 

कहते हैं भक्ति पूर्वक मां कुष्मांडा की भक्ति और पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होने लगते हैं, कुंडली में मौजूद बुध मजबूत होता है, व्यक्ति को निरोगी काया का वरदान मिलता है, घर से और जीवन से नकारात्मकता दूर होती है, सुख समृद्धि आती है, दुश्मनों से रक्षा मिलती है। इसके अलावा अगर कोई विवाहित लड़की मनचाहे वर को प्राप्त करना चाहती है तो उन्हें भी मां कुष्मांडा की पूजा करने की सलाह दी जाती है। 

इसके अलावा अगर आप सुहागन हैं और आप माँ की पूजा करती हैं तो आपको अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही देवी कुष्मांडा प्रसन्न होने पर अपने भक्तों को रोग, शोक और विनाश से मुक्त करके आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती हैं। ऐसे में जिस भी व्यक्ति को संसार में प्रसिद्धि की चाह होती है उन्हें निश्चित रूप से माँ कुष्मांडा की पूजा करनी चाहिए।

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तो ऐसे पड़ा माँ का नाम कुष्मांडा

मां कुष्मांडा को आदि स्वरूप आदि शक्ति के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं अपनी मंद और हल्की सी मुस्कान से इन्होंने ब्रह्मांड को उत्पन्न किया था और तभी से देवी का नाम कुष्मांडा पड़ा। जब इस सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था, चारों ओर अंधकार ही अंधकार फैला हुआ था तब देवी कुष्मांडा ने अपने ‘ईषत’ हास्य से ब्रह्माण्ड की रचना की थी।

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माँ कुष्मांडा पूजा मंत्र- भोग- और शुभ रंग

अब आगे बढ़े और बात करें मां के पूजा मंत्र की तो नवरात्रि की चतुर्थी तिथि पर पूजा में इस मंत्र को अवश्य शामिल करें: 

“ॐ कुष्मांडा देव्यै नमः” 

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

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नवरात्रि के सभी 9 दिनों के लिए अलग-अलग भोग प्रसाद निर्धारित किए गए हैं। यह उसी क्रम में होते हैं जिस क्रम में देवी के स्वरूप को जो चीज प्रिय होती है। बात करें नवरात्रि की चतुर्थी तिथि पर मां के प्रिय भोग की तो पहली चीज तो उन्हें कुम्हड़ा अर्थात पेठा बेहद ही प्रिय होता है। इसके अलावा भोग के रूप में इस दिन की पूजा में मालपुआ का भोग अवश्य लगाएँ। 

यह माँ को बेहद ही प्रिय और पसंद होता है। इस प्रसाद को खुद भी ग्रहण करें और जितने ज्यादा लोगों को आप यह प्रसाद खिला सकते हैं उतने अधिक लोगों को मां का प्रसाद खिलाएं। इससे माँ की प्रसन्नता शीघ्र हासिल होती है। इसके अलावा मां को यह प्रसाद भोग के रूप में लगाने से भक्तों के जीवन में ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि और कौशल का विकास होता है और जीवन से हर तरह का विघ्न दूर होने लगता है।

अब बात करें मां के प्रिय रंग और फूलों की तो माँ कुष्मांडा को लाल रंग बहुत पसंद होता है। ऐसे में इस दिन की पूजा में ज्यादा से ज्यादा लाल रंग के वस्त्र, पुष्प आदि अर्पित करें और शामिल अवश्य करें। मुमकिन हो तो आप खुद भी लाल रंग के वस्त्र धारण करके इस दिन की पूजा करें।

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शारदीय नवरात्रि की चतुर्थी तिथि पर अवश्य आजमाएं यह अचूक उपाय

अंतिम बात करें शारदीय नवरात्रि की चतुर्थी तिथि पर किए जाने वाले उपायों की तो, 

  • इस दिन पान के पत्ते में गुलाब की 7 पंखुड़ियां रखकर मां लक्ष्मी मंत्र पढ़ते हुए इसे देवी को अर्पित कर दें। ऐसा करने से आपके जीवन में धन-धान्य हमेशा बना रहेगा। 
  • मां कुष्मांडा को गुलाब के फूल में कपूर रखकर अर्पित करें। 
  • इसके अलावा इस दिन इमली के पेड़ की डली काट कर घर में ले आयें। इस दल पर माता के मंत्र के 11 बार जाप करें और फिर इस दल को अपनी तिजोरी या फिर धन रखने वाली जगह पर रख दें। ऐसा करने से आपके जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होगी। 
  • नवरात्रि की चतुर्थी तिथि पर शाम के समय बेल के पेड़ की जड़ पर मिट्टी, दही और इत्र अर्पित कर दें। अगले दिन की सुबह मिट्टी, इत्र, पत्थर और दही चढ़ाई बेल के पेड़ के उत्तर पूर्व दिशा की एक छोटी टहनी तोड़कर घर में ले आयें। इस टहनी पर 108 बार महालक्ष्मी मंत्र का जाप करें और इसे अपनी तिजोरी में रखें। 
  • आप अपने जीवन में चल रही परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए इस दिन की पूजा में नीचे दिए गए मंत्र का 108 बार जाप करें।

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्। जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

  • मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए इस मंत्र का जाप करें। 

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥

  • अपनी बौद्धिक क्षमता बढ़ाने के लिए या फिर किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जा रहे हैं तो उसमें अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए मंत्र का 11 बार जाप करें। 

‘या देवी सर्वभूतेषु बिद्धि-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

  • घर में सुख शांति समृद्धि बढ़ाने के लिए इस मंत्र का जाप करें।

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1: नवरात्रि के चौथे दिन का भोग क्या है?

नवरात्रि की चतुर्थी तिथि के दिन पेठा और मालपुआ भोग के रूप में माँ को अवश्य अर्पित करें।

2: नवरात्रि के 4 दिन कौन सी देवी की पूजा करें?

नवरात्रि के चतुर्थी तिथि पर मां के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है।

3: नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा कैसे करें?

नवरात्रि की चतुर्थी तिथि पर भी सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर मां कुष्मांडा की पूजा करें, दुर्गा सप्तशती का पाठ करें, आरती करें, अनजाने में भी कोई भूल की क्षमा मांगे, अंत में खुद भी प्रसाद लें और पूजा में शामिल सभी लोगों को प्रसाद अवश्य खिलाएं।