शारदीय नवरात्रि चौथा दिन: शारदीय नवरात्रि का आगाज़ हो चुका है और इस दौरान माँ के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। अपने इस खास अंक में हम आपको नवरात्रि के प्रत्येक दिन से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी कड़ी में आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं नवरात्रि के चौथे दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन माँ कुष्माँडा को समर्पित होता है। ऐसे में अपने इस खास और विशेष ब्लॉग के माध्यम से हम जानेंगे माँ कुष्माँडा के स्वरूप के बारे में, उनके प्रिय भोग और रंग के बारे में, माँ की पूजा से मिलने वाले लाभ के बारे में, माँ कुष्माँडा की सही पूजन विधि के बारे में, और साथ ही जानेंगे इस दौरान राशि अनुसार क्या कुछ उपाय करके आप नवरात्रि के चौथे दिन के शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं।
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शारदीय नवरात्रि चौथा दिन
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि नवरात्रि का चौथा दिन माँ कुष्माँडा को समर्पित है। कहा जाता है कि जब सृष्टि की रचना नहीं हुई थी और चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था तब देवी के स्वरूप द्वारा ब्रह्माँड का जन्म हुआ। देवी कूष्माँडा की आठ भुजाएं हैं इसीलिए इन्हें देवी अष्टभुजा भी कहा जाता है।
शारदीय नवरात्रि चौथा दिन – पूजा शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के चौथे दिन की सही पूजन विधि के बारे में बात करें तो,
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और साफ वस्त्र धारण कर लें।
- इसके बाद माँ कूष्माण्डा को प्रणाम करें, व्रत और पूजा का संकल्प लें।
- इसके बाद देवी कूष्माँडा के साथ-साथ सभी देवताओं की षोडशोपचार विधि से पूजा करें।
- माता की कथा सुनें या कहें।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- माता से संबंधित मंत्रों का जाप करें।
- सिद्ध कुंजिका का पाठ करें।
अंत में आरती कहें और पूजा में शामिल सभी लोगों को प्रसाद अवश्य दें।
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शारदीय नवरात्रि चौथा दिन – माँ का स्वरूप
बात करें माँ के स्वरूप की तो देवी कूष्माँडा की आठ भुजाएं होती हैं। जिसमें सात हाथों में उन्होंने कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत का कलश, चक्र, और गदा लिया हुआ है। मटा ने अपने आठवें हाथ में सभी सिद्धियां और नीतियों को देने वाली जप माला धरण की हुई है। माता के चेहरे पर मधुर मुस्कान बनी हुई है और माता शेर पर सवारी करती हैं।
शारदीय नवरात्रि चौथा दिन – महत्व
शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि जो कोई भी भक्त विधिपूर्वक और श्रद्धा से नवरात्रि के चौथे दिन कुष्माँडा देवी की पूजा करता है उसके जीवन से सभी तरह के कष्ट, रोग, दुख, और संताप का नाश होता है। माँ कुष्माँडा की विधिवत पूजा करने से बुद्धि प्रखर बनती है और जीवन में कोई भी फैसला लेने की शक्ति बढ़ती है। इसके अलावा माँ के चेहरे की मंद मुस्कान व्यक्ति को कठिन से कठिन मार्ग पर चलकर सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है।
कहा जाता है कि अगर आपके घर में या आपकी जानकारी में कोई लंबे समय से बीमार है तो उन्हें या उनके लिए माँ कुष्माँडा की पूजा अवश्य करें। माँ कुष्माँडा व्यक्ति को अच्छी सेहत भी प्रदान करती हैं।
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शारदीय नवरात्रि चौथा दिन – प्रिय भोग
कहा जाता है कि नवरात्रि के 9 दिन माता के विभिन्न स्वरूपों के अलग-अलग भोग निर्धारित किए गए हैं। ऐसे में अगर आप इन नियमों का पालन करते हुए देवी को उनकी पसंद के अनुसार भोग अर्पित करते हैं तो माता की प्रसन्नता अवश्य हासिल होती है।
बात करें माँ कुष्माँडा के प्रिय भोग ही तो माँ को मालपुआ बेहद ही प्रिय होता है। ऐसे में नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा में मालपुआ का भोग अवश्य लगाएँ। पूजा के बाद पूजा में शामिल सभी लोगों को यह भोग अवश्य दें। कहा जाता है मालपुआ का भोग लगाने से माता की प्रसन्नता हासिल होती है, कष्टों का निवारण होता है और सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं।
कुष्माँडा का अर्थ होता है कुमढ़ा जिसे पेठा भी कहते हैं। ऐसे में नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्माँडा की पूजा में कुमढ़े की बलि देने की भी मान्यता है। कहा जाता है इससे देवी माता शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
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शारदीय नवरात्रि चौथा दिन – शुभ रंग
भोग की ही तरह नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित अलग-अलग रंगों का भी जिक्र किया गया है। बात करें माँ कुष्माँडा के प्रिय रंग की तो माँ कुष्माँडा को लाल रंग बेहद प्रिय होता है। ऐसे में इस दिन की पूजा में उन्हें लाल रंग के फूल अवश्य अर्पित करें। माँ को लाल रंग के वस्त्र पहनाएँ, खुद भी लाल रंग के वस्त्र पहनकर ही इस दिन की पूजा करें आदि।
शारदीय नवरात्रि चौथा दिन – अचूक उपाय
जीवन में धान की चाह भला किसी नहीं होती है। ऐसे में अगर आपके जीवन में भी धन की कमी है या आप और अधिक धन प्राप्त करना चाहते हैं तो नवरात्रि के चौथे दिन आप कुछ बेहद ही सरल उपाय कर सकते हैं जिनसे आपके जीवन में आर्थिक संपन्नता का आशीर्वाद प्राप्त होगा। क्या कुछ हैं यह उपाय आइये जान लेते हैं:
- नवरात्रि के चौथे दिन पान के पत्ते में गुलाब की सात पंखुड़ियां मां लक्ष्मी मंत्र पढ़ते हुए देवी को अर्पित करें।
- मां कुष्मांडा को नवरात्रि के चौथे दिन गुलाब के फूल में कपूर रखकर अर्पित करें।
- इसके अलावा आप चाहें तो इस दिन इमली के पेड़ की डाल काटकर घर में ला सकते हैं। इस डाल पर माता महालक्ष्मी के मंत्र का 11 बार जाप करें और फिर इस डाल को अपने तिजोरी या फिर धन रखने वाली जगह पर रख दें। इससे आपको अथाह धन की प्राप्ति होगी।
- नवरात्रि के चौथे दिन शाम को बेल के पेड़ की जड़ पर मिट्टी, पत्थर, दही, और इत्र अर्पित करें। अगले दिन सुबह फिर से मिट्टी, इत्र, पत्थर, और दही चढ़ा दें। बेल के पेड़ के उत्तर पूर्व दिशा की एक छोटी टहनी तोड़कर घर ले आयें। इसके बाद इस टहनी पर 108 बार महालक्ष्मी मंत्र रोजाना पढ़ें और नवमी के दिन इस टहनी को अपनी तिजोरी में रखें।
- इसके अलावा आप अपने जीवन में चल रही परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए इस दिन की पूजा में नीचे दिए गए मंत्र का 108 बार जाप करें।
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्। जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥ - मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए इस मंत्र का जाप करें।
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥ - अपने बौद्धिक क्षमता बढ़ाने के लिए या फिर किसी प्रतियोगिता में बैठ रहे हैं तो उसमें अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए मंत्र का 11 बार जाप करें।
‘या देवी सर्वभूतेषु बिद्धि-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ - घर में सुख शांति समृद्धि बढ़ाने के लिए इस मंत्र का जाप करें।
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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नवरात्रि के चौथे दिन इस ग्रह को करें मजबूत
ज्योतिष के जानकार मानते हैं कि शेर पर सवारी करने वाली देवी कूष्मांडा की विधिवत पूजा करने से कुंडली में बृहस्पति ग्रह को मजबूत किया जा सकता है। गुरु ग्रह से संबंधित दोष और विकार दूर किया जा सकते हैं, आदि। ऐसे में अगर आपकी कुंडली में भी बृहस्पति पीड़ित अवस्था में है तो आप नवरात्रि के चौथे दिन मां की विधिवत पूजा अवश्य करें। इससे आप गुरु ग्रह को मजबूत कर सकेंगे। साथ ही गुरु ग्रह से मिलने वाले सकारात्मक प्रभाव भी आपके जीवन में बढ़ने लगेंगे। यदि आपके जीवन में विवाह में देरी हो रही है, नौकरी में परेशानियां हैं, आर्थिक परेशानियां हैं, संतान से संबंधित कोई परेशानी है तो मुमकिन है कि आप बृहस्पति के नकारात्मक प्रभाव से जूझ रहे हैं। ऐसी स्थिति में आपको गुरु ग्रह की विधिवत पूजा करने की भी सलाह दी जाती है। आप इसके लिए हमारे विद्वान पंडितों से भी संपर्क कर सकते हैं।
शारदीय नवरात्रि चौथा दिन – मंत्र
- सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च, दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्माँ डा शुभदास्तु मे
- ऐं ह्री देव्यै नम:
- ॐ कूष्माण्डायै नम:
- या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माँडा रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
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