शारदीय नवरात्रि 2023: तबाही या खुशहाली? इस वर्ष क्या संकेत दे रही है माँ दुर्गा के आगमन की सवारी?

शारदीय नवरात्रि 2023: आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र प्रारंभ होती है। इस वर्ष की शारदीय नवरात्रि पूरे 9 दिनों तक रहने वाली है। ऐसे में इसे बेहद ही खास और शुभ माना जा रहा है। शारदीय नवरात्रि विशेष अपनी इस ब्लॉग में आज हम जानेंगे की नवरात्रि कब से प्रारंभ हो रही है? शारदीय नवरात्रि का घट स्थापना मुहूर्त क्या होगा? इस दौरान क्या कुछ शुभ योग बन रहे हैं? और शारदीय नवरात्रि से जुड़ी ऐसी कई महत्वपूर्ण बातें आपको इस ब्लॉग के माध्यम से बताई जाएंगी जिन्हें जानना आपके लिए बेहद आवश्यक है। 

तो चलिये बिना देरी किए शुरू करते हैं शारदीय नवरात्रि विशेष अपना यह खास ब्लॉग और जानते हैं कुछ बेहद ही दिलचस्प और रोचक बातें।

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शारदीय नवरात्रि 2023: कब से कब तक?

सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है। साल में पड़ने वाली चार नवरात्रियों में शारदीय नवरात्रि का बेहद विशेष महत्व होता है। नवरात्रि का यह पावन त्यौहार मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा अर्चना के लिए समर्पित किया गया है। बात करें शारदीय नवरात्रि की तो यह अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होती है और इसे पूरे ही भारतवर्ष में बेहद ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। 

इस दौरान मां दुर्गा की प्रतिमाएं पंडालों में सजाई जाती है, लोग अपने घर में मां दुर्गा की पूजा करते हैं, यहाँ तक की कई जगहों पर गरबा और रामलीला का आयोजन किया जाता है। वर्ष 2023 में शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023 से प्रारंभ हो रही है। नवरात्रि का पहला दिन घट स्थापना के नाम से जाना जाता है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं की घट स्थापना का सही मुहूर्त इस वर्ष क्या रहने वाला है।

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शारदीय नवरात्रि – घटस्थापना मुहूर्त 

जैसा कि हमने पहले भी बताया की इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023 से प्रारंभ हो रही है और इसका समापन 23 अक्टूबर मंगलवार को हो जाएगा। इसके बाद 24 अक्टूबर को विजयदशमी या दशहरा मनाया जाएगा। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना या घट स्थापना की जाती है। इसी से नवरात्रि के पावन पर्व का आगाज होता है। 

घट स्थापना के दिन ही अखंड ज्योति जलाई जाती है जो पूरे 9 दिनों तक चलती रहती है। बात करें घटस्थापना के शुभ मुहूर्त की तो यह 15 अक्टूबर को 11:48 से दोपहर 12:36 तक रहने वाला है। यानी की कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त केवल 48 मिनट का रहेगा।

घटस्थापना तिथि –   रविवार 15 अक्टूबर 2023

घटस्थापना मुहूर्त –   11:43:47 से 12:29:49 तक

घटस्थापना अवधि: अवधि :0 घंटे 46 मिनट

अधिक जानकारी : नीचे हम आपको सूची प्रदान कर रहे हैं जिसमें आपको इस बात की जानकारी दी जाएगी की शारदीय नवरात्रि में किस दिन कौन सी देवी की पूजा की जानी है।

शारदीय नवरात्रि 2023 तिथियां (Shardiya Navratri 2023 Tithi)

15 अक्टूबर 2023 – मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि

16 अक्टूबर 2023 – मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीया तिथि

17 अक्टूबर 2023 – मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि

18 अक्टूबर 2023 – मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि

19 अक्टूबर 2023 – मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि

20 अक्टूबर 2023 – मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि

21 अक्टूबर 2023 – मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि

22 अक्टूबर 2023 – मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी          

23 अक्टूबर 2023 – महानवमी, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण

24 अक्टूबर 2023 – मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा)

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शारदीय नवरात्रि कलश स्थापना के नियम 

कलश स्थापना से संबंधित कुछ विशेष नियम बताए गए हैं। कहा जाता है कि यदि इनका पालन करके ही आप घटस्थापना या कलश स्थापना करते हैं तो आपको नवरात्रि के शुभ फल अवश्य प्राप्त होते हैं। तो आइये जान लेते हैं क्या कुछ हैं ये नियम:  

  • नवरात्रि में घट स्थापना शुभ मुहूर्त देखकर ही की जानी चाहिए। 
  • घट स्थापना शक्ति की देवी का आवाहन है कहा जाता है। ऐसे में मान्यता है कि अगर गलत समय में या शुभ मुहूर्त के अलावा घट स्थापना की जाए तो इससे नवरात्रि का शुभ फल नहीं प्राप्त होता है। 
  • इसके अलावा रात के समय और अमावस्या के दिन घट स्थापित करना वर्जित होता है। सबसे शुभ समय की बात करें तो घटस्थापना का सबसे पुण्यकारी समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद का होता है। 
  • यदि किसी भी कारणवश आप तय मुहूर्त में कलश स्थापित नहीं कर पा रहे हैं तो आप अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापित कर सकते हैं। जानकारी के लिए बता दें हर दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त होता है और यह समानता 40 मिनट का होता है। हालांकि वर्ष 2023 की शारदीय नवरात्रि के लिए घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं है।

घट स्थापना के लिए आपको इन वस्तुओं की पड़ेगी आवश्यकता 

घट स्थापना के लिए कुछ विशेष वस्तुओं की आवश्यकता होती है जिसकी जानकारी पहले से ही होने पर आप इसकी तैयारी सही ढंग से कर सकते हैं। कलश स्थापना के लिए आपको लाल रंग का साफ वस्त्र लेना होता है, मिट्टी का एक बर्तन लेना होता है, जौ, मिट्टी, जल का कलश, इलायची, लौंग, कपूर, मौली, रोली, सुपारी, चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल, फूलों की माला, और माता के श्रृंगार का समान आवश्यक होता है।

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घटस्थापना की सही विधि 

  • अब बात करें घटस्थापना के सही विधि की तो इस दिन प्रतिपदा समय में स्नान कर लें। 
  • मंदिर की साफ सफाई के बाद भगवान गणेश का नाम लें और मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योति प्रज्वलित करें।
  • ध्यान रखें कि यह अखंड ज्योति पूरे 9 दिनों तक जलती रहनी चाहिए। 
  • इसके बाद मिट्टी के बर्तन में मिट्टी डालें, इसमें जो डालें। 
  • तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। ऊपर मौली बांध दें। 
  • लोटे में पानी भर इसमें गंगाजल मिलाएँ। 
  • इसके बाद इसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र, और अक्षत डालें। 
  • कलश में अशोक या आम के पत्ते लगाएँ। 
  • नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर उसको मौली से बांध दें और फिर इस नारियल को कलश के ऊपर रख दें। 
  • आप कलर्श को मिट्टी के उसी बर्तन के बीचों बीच रख दें जहां आपने जौ बोया है। 

कलश स्थापना के साथ ही व्रत का संकल्प भी लिया जाता है। 

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शारदीय नवरात्रि – शुभ संयोग 

बात करें शारदीय नवरात्रि के शुभ संयोगों की तो ज्योतिष के जानकारों की माने तो शारदीय नवरात्रि की शुरुआत रविवार के दिन से हो रही है जिसे बेहद ही शुभ माना जा रहा है। दरअसल रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। ऐसे में इस दिन से मां शारदा की उपासना की शुरुआत बेहद ही खास और शुभ फलदाई होने वाली है। 

शारदीय नवरात्रि महत्व 

शारदीय नवरात्रि का पावन त्योहार पूरे भारत देश में बेहद ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इन नौ दिनों के दौरान मां दुर्गा की 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है। इसके साथ ही यह समय वसंत की शुरुआत और शरद ऋतु की शुरुआत के महत्वपूर्ण संगम के रूप में भी मनाया जाता है। 

नवरात्रि के पहले 3 दिन देवी दुर्गा को समर्पित किए गए हैं। मां दुर्गा ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। इसके पहले दिन बालिकाओं अर्थात कन्याओं की पूजा की जाती है, दूसरे दिन युवतियों की पूजा की जाती है, और तीसरे दिन परिपक्वता के चरण में पहुंच चुकी महिलाओं की पूजा की जाती है। 

नवरात्रि के चौथे से लेकर छठे दिन व्यक्ति सभी तरह की भौतिकवादी, आध्यात्मिक, धन, और समृद्धि प्राप्त करने के लिए मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। नवरात्रि के चौथे, पांचवें, और छठे दिन माता लक्ष्मी जिन्हें सुख, समृद्धि और शांति की देवी कहा गया है उनकी पूजा की जाती है। 

नवरात्रि के सातवें दिन कला और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। 

नवरात्रि के आठवें दिन यज्ञ किया जाता है। 

नवरात्रि के नौवें दिन को महानवमी के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व बताया गया है।

इसके अलावा बात करें पौराणिक मान्यताओं की तो कहा जाता है कि चैत्र नवरात्र को पहले से ही मनाया जाता था लेकिन जब मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम ने रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई का परचम लहराया तो इस दौरान आश्विन मास की प्रतिपदा को दुर्गा पूजा का आयोजन किया गया। तभी से शारदीय नवरात्रि मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई। 

भागवत पुराण में इसका वर्णन करते हुए लिखा है कि, भगवान श्री राम ने शारदीय नवरात्रि का व्रत और शक्ति पूजन किया था। उसके साथ ही मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस पर आक्रमण भी किया था। यह युद्ध दोनों (देवी और दानव) के बीच 9 दिनों तक चला और दसवें दिन मां ने महिषासुर का वध किया था इसीलिए 9 दिनों तक लगातार मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा की जाती है।

शारदीय नवरात्रि 2023: व्रत नियम 

शारदीय नवरात्रि के दौरान बहुत से लोग 9 दोनों का उपवास रखते हैं। ऐसे में व्रत से जुड़े कुछ खास नियम बताए गए हैं जिनका यदि पालन किया जाए तो नवरात्रि के शुभ फल कई गुना बढ़ जाते हैं। क्या कुछ हैं ये नियम आइए जान लेते हैं: 

  • नवरात्रि के दौरान घरों में कलश स्थापना की जाती है। 
  • इस दौरान व्रत करने वाले लोगों को फलाहार करने और एक समय सेंधा नमक का भोजन खाकर व्रत रखने की सलाह दी जाती है। 
  • इस दौरान घर में भूल से भी मांस, मछली, अंडा, और शराब का सेवन नहीं करें और नहीं अपने घर में लाएं। 
  • इसके अलावा इस दौरान घर में बिना प्याज लहसुन का खाना बनाना भी उचित रहता है। 
  • साथ ही यदि आप नवरात्रि में नौ दिनों का व्रत नहीं रख पा रहे हैं तो भी परेशान होने की आवश्यकता नहीं है आप सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि का व्रत रख लें। कहा जाता है इन तीन दिनों के व्रत से भी 9 दिनों के समान पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। 
  • नवरात्रि के दौरान क्रोध न करें, किसी के बारे में बुरा ना सोचें और किसी से बहस ना करें। 
  • इस दौरान झूठ ना बोलें और ना ही अपनी वाणी को कठोर बनाएं। 
  • माना जाता है कि नवरात्रि के 9 दिन व्रत और पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि का वास होता है। ऐसे जातकों का बल बढ़ता है, साहस और बुद्धि बढ़ती है।

इसके अलावा नवरात्रि के नौ दिनों तक मां के लिए व्रत रखने से नौ ग्रहों की शांति भी की जा सकती है। साथ ही ग्रह दोष भी दूर होते हैं। 

शारदीय नवरात्रि 2023: माता का वाहन 

शारदीय नवरात्रि में इस वर्ष माता की सवारी बेहद ही महत्वपूर्ण संकेत दे रही है। माना जा रहा है माता की इस सवारी का देश दुनिया पर गहरा असर पड़ने वाला है। दरअसल नवरात्रि में माता की आगमन और प्रस्थान की सवारी का निर्णय नवरात्रि के शुरू और समाप्त होने के दिन पर आधारित होता है। जैसे नवरात्रि में मां दुर्गा का वाहन डोली, नांव, घोड़ा, भैंस, मनुष्य, और हाथी होते हैं। 

इस वर्ष चूंकि नवरात्रि रविवार के दिन से प्रारंभ हो रही है तो माता के आगमन का वाहन हाथी होगा और नवरात्रि सोमवार के दिन समाप्त हो रही है ऐसे में माता के प्रस्थान का वाहन भैंसा होगा।  

जहां आगमन का वाहन अर्थात हाथी इस वर्ष अधिक वर्षा के संकेत दे रहा है वहीं माता का प्रस्थान वाहन भैंसा अशुभ माना जाता है। यह इस बात के संकेत दे रहा है कि इससे देश में दुख और रोग बढ़ सकते हैं। 

शारदीय नवरात्रि 2023: आगमन और प्रस्थान के शुभ-अशुभ प्रभाव

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि जब माता रानी हाथी पर सवार होकर आती हैं तो इससे आम तौर पर व्यक्तियों को शुभ फल की प्राप्ति होती है। हाथी की सवारी देश में अधिक वर्षा के भी संकेत दे रही है। इसके अलावा जब माता रानी का प्रस्थान भैंसे पर होता है तो इसे लोगों का कष्ट बढ़ाने का संकेत माना जाता है। ऐसे में माता रानी का प्रस्थान वाहन इस बात के प्रबल संकेत दे रहा है कि इस अवधि में देश में दुख और किसी प्रकार के रोग बढ़ने की आशंका है।

शारदीय नवरात्रि राशि अनुसार उपाय 

मेष राशि: शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों तक दुर्गा सप्तशती और श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

वृषभ राशि: ललिता सहस्रनाम का पाठ करें।

मिथुन राशि: नवरात्रि के नौ दिनों तक पूजा के समय रोजाना तारा कवच का पाठ करें।

कर्क राशि: कर्क राशि के जातक 9 दिनों तक लक्ष्मी सहस्त्रनाम का पाठ करें।

सिंह राशि: पूरे नवरात्रि किसी भी एक दुर्गा मंत्र का पांच माला जाप करें।

कन्या राशि: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें और मां लक्ष्मी मंत्र का जाप करें।

तुला राशि: पूरे नवरात्रि दुर्गा सप्तशती या श्री काली चालीसा का पाठ करें।

वृश्चिक राशि: नवरात्रि के प्रत्येक दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

धनु राशि: नवरात्रि के 9 दिनों तक किसी भी दुर्गा मंत्र का कम से कम दो माला जप करें।

मकर राशि: नवरात्रि के नौ दिनों तक निर्वाण मंत्र का जाप करें।

कुम्भ राशि: नवरात्रि के दौरान दोनों समय की पूजा में देवी कवच का पाठ करें।

मीन राशि: हल्दी की माला से बगलामुखी मंत्र का प्रतिदिन जाप करें। 

शारदीय नवरात्रि – माता के चमत्कारी मंत्र 

1. ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

अर्थात: अपने भक्तों को सभी तरह के शुभ फल प्रदान करने वाली, सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाली, मंगलमयी, आप शरण लेने के पात्र हैं। तीन नेत्रों वाली अर्थात भूत, भविष्य, वर्तमान को प्रत्यक्ष रूप से देखने वाली एक सिर्फ आप ही हो। तुम ही शिव पत्नी, तुम ही नारायण पत्नी, अर्थात भगवान के सभी स्वरूपों के साथ तुम ही जुड़ी हो। आपको नमस्कार है। 

2. ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते। ।

अर्थात: जयंती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, और स्वधा नामों से प्रसिद्ध जगदंबे आपको मेरा नमस्कार है। 

3. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

अर्थात: जो देवी संसार में सभी प्राणियों में शक्ति रूप से विद्यमान हैं उनको नमस्कार उनको नमस्कार उनको बारंबार नमस्कार है। 

शारदीय नवरात्रि – ग्रहों से संबन्धित उपाय

नवरात्रि के यह पावन 9 दिन ग्रहों की शांति और ग्रह दोष दूर करने के लिए भी बेहद उत्तम माने गए हैं। तो चलिये आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं कि किस दिन किस ग्रह की शांति के लिए पूजा करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। 

नवरात्रि के पहले दिन चंद्रमा ग्रह की शांति के लिए पूजा करना उत्तम रहता है। 

नवरात्रि के दूसरे दिन मंगल ग्रह की शांति का विधान बताया गया है। 

नवरात्रि के तीसरे दिन शुक्र ग्रह की शांति और शुक्र ग्रह से जुड़े दुष्परिणामों को दूर करने के लिए उत्तम माना गया है। 

नवरात्रि के चौथे दिन सूर्य ग्रह की शांति करना उत्तम रहता है। 

नवरात्रि के पांचवें दिन बुध ग्रह से संबंधित दोष कर दूर करने के लिए बुध शांति पूजा करना उत्तम रहता है। 

नवरात्रि के छठे दिन गुरु ग्रह की शांति के लिए पूजा करना उत्तम रहता है। 

नवरात्रि के सातवें दिन शनि ग्रह की शांति के लिए पूजा का विधान बताया गया है। 

नवरात्रि के आठवें दिन राहु ग्रह की शांति करवाना शुभ रहता है। 

नवरात्रि के नौवें दिन केतु दोष दूर करने के लिए केतु ग्रह से संबंधित पूजा करना उत्तम फलदाई साबित हो सकता है।

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