दिवाली पूजा को गुजरात में शारदा पूजा या फिर चोपड़ा पूजा के नाम से जाना जाता है। शारदा पूजा माँ सरस्वती को समर्पित है। हिंदू धर्म में सरस्वती माता को ज्ञान, बुद्धि और विद्या की देवी माना जाता है। सरस्वती माता का ही एक नाम शारदा भी है। दिवाली के दिन मुख्य रूप से मां लक्ष्मी भगवान गणेश और कुबेर जी की पूजा का विधान बताया गया है।
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मां लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी का दर्जा दिया गया है। हालांकि दिवाली के दिन कई जगहों पर शारदा देवी की भी पूजा की जाती है। पारंपरिक तौर पर माता लक्ष्मी माता सरस्वती और भगवान गणेश इन तीनों की पूजा दिवाली के दिन किए जाने का विधान है। दिवाली की पूजा के लिए खास तौर पर ऐसी मूर्तियां उपलब्ध है जिसमें मां सरस्वती मां लक्ष्मी और गणेश भगवान एक साथ विराजमान नजर आते हैं।
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शारदा पूजन-विधि
- पूजा करने वाले तीन नवकार गिन कर सबसे पहले अपनी कलाई में मौली बांधें।
- इसके बाद नवकार गिनते हुए कलश में मौली बांधकर उसमें साफ पानी भरे।
- नारियल में मौली बांधकर कलश सहित स्वास्तिक पर इसकी स्थापना करें और नवकार गिनते हुए ही कलम दवात इत्यादि पर भी मौली बांधें।
- इसके बाद पंचामृत में रूपामाण को धोकर उन्हें एक प्लेट में रखें इसके बाद नए बही खाते के पहले पन्ने पर कुमकुम या चंदन से बड़ा सा स्वास्तिक बनाकर ॐ नमः लिखें।
- इसके बाद स्वास्तिक पर एक अखंड पान रखें उस पर सुपारी, इलाइची, लौंग, बहीखाता इत्यादि रखकर पूजा शुरू करें।
- मां शारदा और मां लक्ष्मी की पूजा करें।
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दीवाली शारदा पूजा के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 02:17 पी एम से 04:07 पी एम
सायाह्न मुहूर्त (लाभ) – 05:27 पी एम से 07:07 पी एम
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) – 08:46 पी एम से 01:45 ए एम, नवम्बर 15
उषाकाल मुहूर्त (लाभ) – 05:04 ए एम से 06:43 ए एम, नवम्बर 15
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 14, 2020 को 02:17 पी एम बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – नवम्बर 15, 2020 को 10:36 ए एम बजे
शारदा पूजा का महत्व
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि ज्ञान और बुद्धि के बिना धन स्थाई रूप से किसी भी इंसान के पास नहीं रह सकता है। ऐसे में देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद से अगर आप धन-संपत्ति से परिपूर्ण हो भी जाते हैं और आप अगर गणेश भगवान ओर माँ सरस्वती का आशीर्वाद नहीं लेते हैं तो धन और समृद्धि का स्वामित्व आपके जीवन में स्थाई नहीं रह सकेगा और ना ही उसमें वृद्धि हो पाएगी।
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भगवान गणेश और मां सरस्वती बुद्धि और विद्या के प्रदाता माने गए हैं इसलिए संपत्ति के लिए बुद्धि और उस संपत्ति की वृद्धि के लिए ज्ञान की बेहद आवश्यकता होती है, इसलिए हिंदू धर्म में दिवाली के दिन मां लक्ष्मी के आशीर्वाद के साथ साथ बुद्धि और ज्ञान के प्रदाता को भी प्रसन्न किए जाने की मान्यता है।
शारदा पूजा का दिन विद्यार्थियों के लिए विशेष मायने रखता है। इस दिन विद्यार्थी अपने विद्यार्जन में सफलता पाने के लिए मां सरस्वती की विधिवत पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं। इसके अलावा शारदा पूजा व्यापारी वर्ग में भी बेहद महत्वपूर्ण मानी गयी है। गुजरात के परंपरागत बही खातों को चोपड़ा कहा जाता है इसीलिए शारदा पूजा के दिन गुजरात में चोपड़ा पूजा की जाती है।
देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती और भगवान गणेश से समृद्धि और सफलता के लिए प्रार्थना की जाती है। गुजरात के कुछ हिस्सों में दिवाली के दिन ही शारदा पूजा किए जाने का विधान है। यह पूजा लक्ष्मी पूजा और चोपड़ा पूजा के साथ दिवाली के मुख्य त्यौहार पर की जाती है। भक्त इस दिन मां सरस्वती का भगवान गणेश की पूजा करते हैं।
दिवाली के दिन इन तीनों देवी देवताओं की पूजा अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए।
दिवाली पर क्यों करते हैं चोपड़ा पूजन?
गुजरात के कुछ इलाकों में दिवाली के दिन चोपड़ा पूजन की परंपरा निभाई जाती है। हर कोई कारोबारी दिवाली पर अकाउंट बुक खरीद कर नए बही खाते की शुरुआत करते हैं क्योंकि इससे उनके व्यापार के लिए बेहद शुभ माना जाता है। देशभर में बनिया समुदाय चोपड़ा पूजन के लिए बही खाते की किताब धनतेरस के दिन खरीदते हैं। इसके साथ ही पूजा के लिए शुभ मुहूर्त भी तय किया जाता है और फिर दिवाली पूजन में पूजा की जाती है।
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