शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन आ चुका है और इस दिन मां के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। कहते हैं देवी कालरात्रि अकाल मृत्यु से बचाती हैं। यही वजह है कि मां को कालरात्रि नाम से जाना जाता है। इसके अलावा नवरात्रि के सातवें दिन को दुर्गा सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन माँ के कालरात्रि स्वरूप की पूजा करने से मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है।
देवी के स्वरूप के बारे में शास्त्रों में वर्णित व्याख्या के अनुसार मां कालरात्रि का स्वरूप बेहद ही भयानक है। मां कालरात्रि अपने भक्तों को शुभ फल प्रदान करती है और यही वजह है कि मां का एक नाम शुभंकरी भी है। मां कालरात्रि की चार भुजाएं हैं जिनमें एक में उन्होंने तलवार ली हुई है, दूसरे में लोहा शास्त्र, तीसरा हाथ वरद मुद्रा में है और चौथा हाथ अभय मुद्रा में है। इसके अलावा माँ गर्दभ पर सवारी करती हैं।
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तो आइए अब आगे बढ़ते हैं और अपने इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से जानते हैं नवरात्रि के सातवें दिन किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान, कर्मकांड, और महा उपायों की संपूर्ण जानकारी। साथ ही जानते हैं नवरात्रि के सातवें दिन की सही पूजन विधि और महत्व क्या है।
माँ कालरात्रि की पूजा का महत्व
अत्यंत भयंकर लेकिन बेहद ही पावन स्वरूप वाली मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आकस्मिक बाधाओं का नाश होता है, दुश्मनों का सर्वनाश होता है और व्यक्ति के बल में वृद्धि होती है। इसके अलावा मां की पूजा करने से भय, दुर्घटना और रोग व्यक्ति के जीवन से दूर होते हैं और मनुष्य के जीवन पर नकारात्मक ऊर्जा का कोई भी असर नहीं पड़ता है।
ज्योतिष के अनुसार मां कालरात्रि का ग्रह में शनि के साथ संबंध होता है। ऐसे में यदि नवरात्रि के सातवें दिन विधिवत तरीके से मां कालरात्रि की पूजा की जाए तो कुंडली में मौजूद शनि दोष से छुटकारा मिलता है और यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह पीड़ित अवस्था में है तो उसे बल प्राप्त होता है।
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माँ कालरात्रि की सही पूजन विधि
- इस दिन स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले मां के सामने घी का दीपक जलाएं और मटा को लाल रंग के फूल अर्पित करें।
- इसके बाद इस दिन की पूजा में गुड़ का भोग अवश्य लगाएं।
- मां कालरात्रि से संबंधित मंत्रों का जाप करें।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- इस बात का ध्यान रखें कि पूजा काले रंग के वस्त्र पहनकर ना करें और ना ही किसी को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से करें।
- इसके अलावा नर्वाण मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जाप करें।
- अंत में मां की आरती करें और उनसे अपनी मनोकामना कहें।
- पूजा के बाद भोग के रूप में शामिल किया गया गुड़ का प्रसाद सभी लोगों में वितरित करें।
अधिक जानकारी: मां कालरात्रि की पूजा के लिए सुबह 4 बजे से लेकर 6 बजे तक का समय उत्तम माना गया है।
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माँ कालरात्रि के मंत्र –
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
माँ कालरात्रि से संबंधित कथा
पौराणिक कथा के अनुसार बताया जाता है कि रक्तबीज नामक राक्षस का उत्पात हद से ज्यादा बढ़ गया था। इतना कि मनुष्य के साथ-साथ देवता भी उससे परेशान होने लगे थे। चूंकि रक्तबीज नामक उस राक्षस को ऐसी विशेषता प्राप्त थी कि जैसे ही उसके शरीर की एक भी खून की बूंद धरती पर गिरती तो उसके जैसा ही एक अन्य असुर पैदा हो जाता था।
ऐसे में इस राक्षस से परेशान होकर इस समस्या का हल निकालने के लिए सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे। भगवान शिव को यह पता था कि दानव का अंत केवल मां पार्वती कर सकती हैं। तब उन्होंने माँ पार्वती से अनुरोध किया जिसके बाद माँ पार्वती ने खुद की शक्ति और तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया।
इसके बाद जब मां दुर्गा ने रक्तबीज का अंत किया तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को मां कालरात्रि ने अपने मुख में ले लिया और इसी तरह से माँ का नाम कालरात्रि पड़ा।
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नवरात्रि के सातवें दिन अवश्य करें ये उपाय
- मेष राशि के जातक इस दिन माता को गुड़ की खीर अर्पित करें।
- वृषभ राशि के जातक काले तिल से मां के लिए हवन करें।
- मिथुन राशि के जातक मां दुर्गा को आठ केले चढ़ाएं।
- कर्क राशि के जातक ॐ दुं दुर्गायै नमः मंत्र का जाप करें।
- सिंह राशि के जातक मां दुर्गा को इस दिन लाल रंग के वस्त्र चढ़ाएं।
- कन्या राशि के जातक इस दिन की पूजा में मां को लाल रंग के वस्त्र पहनाएँ।
- तुला राशि के जातक मां को कुछ मीठा जरूर अर्पित करें ।
- वृश्चिक राशि के जातक विधिवत ढंग से इस दिन की पूजा करें और अपनी मनोकामना माँ से अवश्य कहें ।
- धनु राशि के जातक इस दिन की पूजा में मां को दही का भोग अवश्य लगाएं।
- मकर राशि के जातक इतनी पूजा में लड्डुओं का भोग अवश्य लगाएं ।
- कुंभ राशि के जातक माता को मीठी दही चढ़ाएं।
- मीन राशि के जातक इस दिन की पूजा में दुर्गा चालीसा का पाठ अवश्य करें ।
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नवरात्रि सातवें दिन का महा उपाय
नवरात्रि के सातवें दिन महा उपाय के तौर पर इस दिन की पूजा में 108 बार नर्वाण मंत्र पढ़ने की सलाह दी जाती है। इस दौरान एक-एक लॉन्ग मां कालरात्रि को अर्पित करते जाएं। अंत में इन सभी 108 लौंग को इकट्ठा करके अग्नि में डाल दें। इस महा उपाय करने से आपके जीवन से विरोधी और शत्रु शांत हो जाते हैं।
नवार्ण मंत्र “ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे”
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