अब तक की नवरात्रि आपके लिए पावन, शुभ और फलदायी रही हो इसी कामना के साथ आगे बढ़ते हैं और जानते हैं नवरात्रि के पांचवे दिन किस विधि से देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। माँ का स्वरूप कैसा है? माँ की पूजा से कैसे फल की प्राप्ति होती है? इत्यादि महत्वपूर्ण बातें।
सबसे पहले बात करें माँ के स्वरूप की तो स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान है और यही वजह है कि उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। इसके अलावा माँ स्कंदमाता को पार्वती और उमा के नाम से भी जाना जाता है। देवी स्कंदमाता अपने भक्तों पर पुत्र के समान प्रेम लुटाती हैं। कहा जाता है कि माँ की विधिवत पूजा करने से भक्तों के जीवन से नकारात्मक शक्तियों का नाश तो होता ही है साथ ही असंभव कार्य संभव भी होने लगते हैं और निसंतान लोगों को संतान की प्राप्ति होती है।
दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें फ़ोन पर बात और जानें करियर संबंधित सारी जानकारी
तो आइए अब आगे बढ़ते हैं और अपने इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से जानते हैं नवरात्रि के पांचवें दिन किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान, कर्मकांड, और महा उपायों की संपूर्ण जानकारी। साथ ही जानते हैं नवरात्रि के पांचवें दिन की सही पूजन विधि और महत्व क्या है।
माँ स्कंदमाता की पूजा का महत्व
स्कंदमाता की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आत्मविश्वास आता है, विद्या की प्राप्ति होती है, साथ ही जिन लोगों को संतान प्राप्ति में बाधा आ रही हो उनके लिए माँ के इस स्वरूप की पूजा करना वरदान साबित होता है। आदिशक्ति माँ दुर्गा का स्कंदमाता का स्वरूप संतान प्राप्ति के लिए बेहद ही सिद्ध माना गया है।
हालांकि इस बात का विशेष ध्यान रखें कि, जब भी आप स्कंदमाता की पूजा करें तो उनकी तस्वीर या मूर्ति में कुमार कार्तिकेय अवश्य मौजूद हों।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
माँ स्कंदमाता की सही पूजन विधि
- इस दिन की पूजा में स्नान करने के बाद साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद पूजा वाली जहां पर स्कंदमाता की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
- माँ की मूर्ति को गंगाजल से शुद्ध कर लें।
- इसके बाद कलश में पानी लेकर उसमें कुछ सिक्के डालें और इस कलश को चौकी पर रख दें।
- इसके बाद स्कंदमाता को रोली, चन्दन का तिलक लगाएं और नैवेद्य अर्पित करें।
- माँ को उनका पसंदीदा भोग, खाने की वस्तु, फल, फूल, इत्यादि अर्पित करें।
- उसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- अंत में माँ की आरती उतारें।
- इस बात का विशेष ध्यान रखें इस दिन की पूजा में यदि माता को धनुष बाण अर्पित किया जाए या फिर सुहाग का सामान अर्पित किया जाए तो इससे माँ बेहद ही शीघ्र प्रसन्न होती हैं और अंत में घर के सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें।
करियर की हो रही है टेंशन! अभी ऑर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट
माँ स्कंदमाता के मंत्र –
सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।। या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
माँ स्कंदमाता से संबंधित कथा
सिंह पर सवारी करने वाली स्कंदमाता के बारे में कहा जाता है कि, पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में इन्होंने ही नवचेतना का निर्माण किया था। माँ स्कंदमाता की कृपा यदि मिल जाए तो मूर्ख से मूर्ख व्यक्ति भी ज्ञानी बन जाता है क्योंकि माता स्कंद कुमार कार्तिकेय की माँ कहीं जाती हैं इसीलिए इनका नाम स्कंदमाता रखा गया। माँ के विग्रह में भगवान स्कंद बाल रूप में माता की गोद में बैठे नज़र आते हैं।
नवरात्रि के पांचवें दिन से संबंधित व्रत कथा के अनुसार बताया जाता है कि, तारकासुर नामक राक्षस ने कठोर तपस्या से भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न कर लिया। असुर से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा राक्षस के समक्ष आए और उससे वरदान माँगने को कहा। तब तारकासुर ने ब्रह्माजी से अमरता का वरदान माँग लिया लेकिन ब्रह्मा जी ने असुर तरकासुर को समझाया कि जो कोई भी व्यक्ति जन्म लेता है उसे मरना तो अवश्य ही पड़ता है।
तब तारकासुर ने बहुत ज्यादा दिमाग लगाया और उसने कहा कि, “मैं सिर्फ भगवान शिव के पुत्र के हाथ से मरना चाहूंगा।”
ऐसा वरदान तारकासुर ने इसलिए माँगा क्योंकि उसे लगता था कि भगवान शिव कभी भी विवाह नहीं करेंगे। ऐसे में उनके पुत्र होने की उम्मीद भी नहीं है और इस वरदान को माँग कर वह अमर हो जाएगा।
ब्रह्मा जी ने असुर को वरदान दे दिया लेकिन वरदान मिल जाने के बाद तारकासुर का उत्पात और बढ़ गया। तब सब लोग शिवजी के पास पहुंचे और राक्षस के आतंक से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। कहा जाता है तब भगवान शिव ने माँ पार्वती से विवाह किया जिसके बाद कार्तिकेय भगवान पैदा हुए और उन्होंने ही बड़े होने के बाद तारकासुर का वध किया।
इसके अलावा कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य मेघदूत रचनाएं भी स्कंदमाता की कृपा से मुमकिन हुई है।
कुंडली में राजयोग कबसे? राजयोग रिपोर्ट से जानें जवाब
नवरात्रि के दिन अवश्य करें ये उपाय
- मेष राशि: इस दिन माँ को दूध से बनी मिठाई और लाल रंग के पुष्प अर्पित करें।
- वृषभ राशि: माँ को सफेद रंग के फूल और सफेद चंदन लगाकर उनकी पूजा प्रारंभ करें।
- मिथुन राशि: माँ के 32 नामों का प्रतिदिन स्पष्ट उच्चारण पूर्वक स्मरण करें।
- कर्क राशि के जातक माँ दुर्गा के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा भी अवश्य करें।
- सिंह राशि के जातक माँ दुर्गा के कुष्माँडा स्वरूप का ध्यान अवश्य करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- कन्या राशि के जातक माँ को दूध और चावल से बनी खीर का भोग लगाएं।
- तुला राशि के जातक माँ को लाल रंग की चुनरी अर्पित करें।
- वृश्चिक राशि के जातक नवरात्रि के 9 दिनों तक माँ की सुबह शाम आरती अवश्य करें।
- धनु राशि के जातक दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें और प्रतिदिन माँ को भोग में कोई ना कोई मिठाई अवश्य चढ़ाएं।
- मकर राशि के जातक माँ को नारियल की बर्फी का भोग लगाएं।
- कुंभ राशि के जातक देवी कवच का पाठ अवश्य करें।
- मीन राशि के जातक 9 दिनों तक दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें।
अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!
नवरात्रि पांचवें दिन का महा उपाय
बात करें नवरात्रि के पांचवें दिन किए जाने वाले महा उपाय की तो, इस दिन आप अपने घर के पास किसी भी शक्ति पीठ या देवी मंदिर में जाकर शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके बाद देवी भगवती के 32 नामों के नामवली का कम से कम 32 बार पाठ करें।
कहा जाता है इस महा उपाय को करने से आपको देवी का आशीर्वाद मिलता, लोगों की सोई किस्मत जाग जाती है, भाग्य का साथ मिलता है। साथ ही यह उपाय निसंतान दंपत्ति भी कर सकते हैं। इससे उन्हें शीघ्र संतान प्राप्ति के योग बनने लगते हैं।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।