पढ़ें स्कंदमाता की महिमा और उपासना का महत्व! साथ ही जानें नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंद माता की पूजा विधि और उनसे जुड़े मंत्र
आज यानी 3 अक्टूबर, गुरूवार को देशभर में नवरात्रि 2019 का पांचवा दिन मनाया जाएगा। नवरात्रि के पांचवें दिन देवी दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा-आराधना किये जाने का विधान है। स्कंदमाता को ये नाम स्कंद अर्थात कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण मिला। मान्यता है कि स्कंदमाता की आराधना करने से मोक्ष के द्वार खुलते है और भक्त को परम सुख की प्राप्ति होती है। इसलिए जो भी जातक नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता माँ का पूजन और ध्यान करता है अपने उस भक्त की समस्त इच्छाओं की पूर्ति अर्थात उनकी हर मनोकामना को मां स्वयं पूर्ण करती हैं।
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दुर्गा मां के स्कंदमाता रूप का ज्योतिषीय महत्व
स्कंदमाता का हिन्दू धर्म में तो विशेष महत्व बताया ही गया है, साथ ही ज्योतिष विज्ञान में भी विशेष स्थान प्राप्त है। इसमें स्कंदमाता को बुध ग्रह को नियंत्रित करने वाली देवी बताया गया है, इसलिए मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा-आराधना पूरे विधि विधान से करने पर जातक के बुध ग्रह से संबंधित सभी दोष और बुरे प्रभाव शून्य या फिर समाप्त हो जाते हैं। इसलिए नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता का पूजन करने से आपको उनका तो आशीर्वाद प्राप्त होता ही है, साथ ही बुध देव की कृपा की भी प्राप्ति होती है।
स्कंदमाता का स्वरूप
- देवी स्कंदमाता की चार भुजाएँ होती हैं।
- जिनमें से मां के दो हाथों में कमल, एक हाथ में कार्तिकेय होता है और एक हाथ से मां ने अभय मुद्रा धारण की हुईं होती है।
- मां कमल पर विराजमान होती है, जिस कारण उनका एक नाम पद्मासना भी है।
- स्कंदमाता की पूजा-आराधना करने से सभी भक्तों को सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
- मां के इस अदभुद रूप को अग्नि देवी के रूप में भी कई जगहों पर पूजा जाता है।
- अपने इस ममता भरे व जननी स्वरूप में देवी भक्तों से अपार स्नेह करती हैं।
शरद नवरात्रि के पांचवे दिन की पूजा विधि
मान्यता है कि स्कंदमाता के पूजन से भक्तों को अपने हर प्रकार के रोग-दोषों से मुक्ति मिलती है। नवरात्रि के पांचवे दिन की पूजा का विधान भी नवरात्रि के अन्य दिनों की भाँती ही कुछ इस प्रकार है:-
- सर्वप्रथम स्कंदमाता की पूजा से पहले कलश देवता अर्थात भगवान गणेश का विधिवत तरीके से पूजन करें।
- भगवान गणेश को फूल, अक्षत, रोली, चंदन, अर्पित कर उन्हें दूध, दही, शर्करा, घृत, व मधु से स्नान कराए व देवी को अर्पित किये जाने वाले प्रसाद को पहले भगवान गणेश को भी भोग लगाएँ।
- प्रसाद के पश्चात आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट करें।
- फिर कलेश देवता का पूजन करने के बाद नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता, की पूजा भी करें।
- इन सबकी पूजा-अर्चना किये जाने के पश्चात ही स्कंदमाता का पूजन शुरू करें।
- स्कंदमाता की पूजा के दौरान सबसे पहले अपने हाथ में एक कमल का फूल लेकर उनका ध्यान करें।
- इसके बाद स्कंदमाता का पंचोपचार पूजन कर, उन्हें लाल फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर अर्पित करें।
- इसके बाद घी अथवा कपूर जलाकर स्कंदमाता की आरती करें।
- अब अंत में मां के मन्त्रों का उच्चारण करते हुए उनसे अपनी भूल-चूक के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
नवरात्रि के पाँचवे दिन से जुड़े मंत्र
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
प्रार्थना मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
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एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को शरद नवरात्रि की शुभकामनाएं! हम आशा करते हैं कि स्कंदमाता की कृपा से आपके जीवन में हमेशा खुशहाली आए।