पढ़ें मां कूष्माण्डा की महिमा और मंत्र! साथ ही जानें शरद नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा के पूजन का महत्व व पूजा विधि।
आज 2 अक्टूबर, बुधवार को शरद नवरात्रि 2019 का चौथा व्रत रखा जाएगा। मां दुर्गा के कूष्माण्डा स्वरूप को समर्पित इस दिन का उत्सव देशभर में धूम-धाम के साथ मनाया जाएगा। नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा-आराधना किये जाने का विधान होता है। मां कूष्माण्डा का ये नाम तीन शब्दों के मेल से बना है, जिसमें ‘कू’ का अर्थ है लघु, ‘ऊष्मा’ का अर्थ है ऊर्जा एवं ‘अण्डा’ का अर्थ है अंडाकार। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा ने अपने अण्डाकार रूप में ही ब्रह्माण्ड की उत्पति की थी, इसलिए इनके इस रूप को कूष्माण्डा देवी कहा गया।
कूष्माण्डा देवी का ज्योतिषीय महत्व
वैदिक ज्योतिष अनुसार मां कूष्माण्डा स्वयं सृष्टि के पिता यानी सूर्य देव का मार्गदर्शन करती हैं, इसलिए माना ये भी जाता है कि जो भी जातक नवरात्रि के चौथे दिन व्रत का पालन कर मां कूष्माण्डा की पूजा-आराधना करता है, उसे न केवल मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बल्कि उस जातक की कुंडली से सूर्य के सभी दोषों का निवारण भी निश्चित रूप से हो जाता है।
मां कूष्माण्डा का स्वरूप
- नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ रूपों में से चौथा रूप मां कूष्माण्डा का होता है।
- मां कूष्माण्डा के स्वरूप की बात की जाएं तो इसे देवी पार्वती का ही स्वरूप माना गया है। जिसमें मां कूष्माण्डा की 8 भुजाएँ होती है।
- अपनी इन आठों भुजाओं में मां चक्र, गदा, धनुष, तीर, अमृत कलश, कमण्डल और कमल धारण किये रखती है।
- मां कूष्माण्डा शेर की सवारी करती हैं।
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शरद नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा विधि
मान्यता है कि मां कूष्माण्डा के पूजन से भक्तों को धन-वैभव और सुख-शांति की अदभुद अनुभूति होती है। नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा का विधान भी तीसरे दिन की भाँती ही कुछ इस प्रकार है-
- सर्वप्रथम मां कूष्माण्डा की पूजा से पहले कलश देवता अर्थात भगवान गणेश का विधिवत तरीके से पूजन करें।
- भगवान गणेश को फूल, अक्षत, रोली, चंदन, अर्पित कर उन्हें दूध, दही, शर्करा, घृत, व मधु से स्नान कराए व देवी को अर्पित किये जाने वाले प्रसाद को पहले भगवान गणेश को भी भोग लगाएँ।
- प्रसाद के पश्चात आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट करें।
- फिर कलेश देवता का पूजन करने के बाद नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता, की पूजा भी करें।
- इन सबकी पूजा-अर्चना किये जाने के पश्चात ही मां कूष्माण्डा का पूजन शुरू करें।
- मां कूष्माण्डा की पूजा के दौरान सबसे पहले अपने हाथ में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें।
- इसके बाद मां कूष्माण्डा का पंचोपचार पूजन कर, उन्हें लाल फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर अर्पित करें।
- इसके बाद घी अथवा कपूर जलाकर मां कूष्माण्डा की आरती करें।
- अब अंत में मां के मन्त्रों का उच्चारण करते हुए उनसे अपनी भूल-चूक के लिए क्षमा प्रार्थना करें।
नवरात्रि में धारण करें: नवदुर्गा कवच
मां कूष्माण्डा से जुड़े विशेष मंत्र:
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
प्रार्थना मंत्र
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को नवरात्रि 2019 की हार्दिक शुभकामनाएँ ! हम आशा करते हैं कि नवरात्रि का चौथा दिन आपके लिए ख़ास होगा और देवी कूष्माण्डा की कृपा आपके ऊपर बरसेगी।