भगवान शनि भगवान सूर्य के पुत्र हैं। मान्यता है कि भगवान शनि को उनके श्याम वर्ण के होने की वजह से भगवान सूर्य ने अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया था। यही वजह है कि भगवान शनि और भगवान सूर्य आपस में बैर रखते हैं।
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ज्योतिष शास्त्र में शनि को क्रूर ग्रह की संज्ञा दी गई है। जिस जातक की कुंडली में भगवान शनि कमजोर स्थिति में मौजूद हों वैसे जातकों के जीवन में कष्ट ही कष्ट होता है। भगवान शनि के बुरे प्रभावों की वजह से जातक के जीवन में कई प्रकार की परेशानियां पैदा होती हैं। उदाहरण के तौर पर यदि शनि देवता किसी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह से पीड़ित हों तो ऐसे जातकों के जीवन में दुर्घटना का भय बना रहता है। इसके साथ ही ऐसे जातकों के कारावास जाने की भी आशंका बनी रहती है।
यूं तो भगवान शनि को शांत करने के बहुत से उपाय बताए जा सकते हैं लेकिन इन उपायों में ज़्यादातर उपायों में समय और धन, दोनों ही अधिक मात्र में खर्च होते हैं। ऐसे में आज हम आपको इस लेख में शनि देवता को प्रसन्न करने के लिए एक बेहद ही सरल उपाय के बारे में बताने वाले हैं जिसे ‘शनि यंत्र’ कहते हैं।
शनि यंत्र
सनातन परंपरा में यंत्रों को बेहद असरदार और महत्वपूर्ण माना गया है। यंत्र दरअसल संख्याओं की ऐसी अद्भुत व्यवस्था है जिससे ग्रह दोषों और सभी तरह की विपत्तियों को दूर करने में आसानी होती है। ऐसे में ज़्यादातर नकारात्मक फल देने वाले शनि देवता के लिए भी एक यंत्र मौजूद है जिसे शनि यंत्र कहा जाता है।
शनि यंत्र 11 गुणा 03 के योग पर आधारित एक चमत्कारी यंत्र है। इस यंत्र में 07 से लेकर 15 तक की संख्या यूं सजाई या फिर कहें तो व्यवस्थित की जाती है कि उनका योग हर दिशा से 33 ही निकलता है। शनि यंत्र चौकोर आकार का होता है और इसमें नौ खाने होते हैं जिन खानों में इन संख्याओं को योग अनुसार रखा जाता है।
आप चाहें तो शनि यंत्र घर पर भी तैयार कर सकते हैं लेकिन तब आपको इस यंत्र को सिद्ध करना पड़ेगा जो कि काफी लंबी प्रक्रिया है। ऐसे में आप इस यंत्र को बाजार से भी खरीद सकते हैं। बाजार में उपलब्ध शनि यंत्र सिद्ध होते हैं और पूरी तरह से त्रुटि रहित रूप में आसानी से उपलब्ध होते हैं।
शनि यंत्र को सोने, चांदी या फिर भोजपत्र पर बनवाया जाता है। इसे हमेशा कुशल कारीगरों द्वारा ही तैयार करवाना चाहिए। शनि यंत्र खरीदने या तैयार करवाने के बाद इसकी एक बार पंचोपचार या फिर षोडशोपचार से अवश्य पूजा करें। शनि यंत्र का निर्माण या फिर इस यंत्र को शनिवार के दिन ही धारण करें। इससे शनि देव अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
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इस यंत्र को आप गले या बांह पर धारण कर सकते हैं। इसके अलावा आप इस यंत्र को घर में मौजूद पूजा स्थल पर रख कर इसकी पूजा भी कर सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि भूल से भी शरीर में धारण किया हुआ शनि यंत्र आप पूजा स्थल पर न रखें। शनि यंत्र के प्रभाव से आपको जीवन से जुड़ी हर समस्या से छुटकारा पाने में आसानी होगी। कुंडली में कमजोर शनि भी इस यंत्र के प्रभाव से आपका अनिष्ट नहीं करेंगे।
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