शनि ग्रह को अन्य सभी ग्रहों की तुलना में बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा शनि ग्रह को ग्रहों का न्यायाधीश भी कहा जाता है। मान्यता है कि यह व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार फल देने के लिए जाने जाते हैं। जिन लोगों के कर्म अच्छे हैं उन्हें शनिदेव शुभ फल प्रदान करते हैं और जिन लोगों के कर्म अच्छे नहीं होते हैं उन्हें शनिदेव का प्रकोप भी झेलना पड़ता है। ग्रहों के ये न्यायाधीश अर्थात शनिदेव मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं।
अब जून के महीने में यानी 29 जून से शनि अपनी ही राशि कुंभ में वक्री चाल चलने वाले हैं। वक्री चाल का अर्थ होता है जब भी कोई ग्रह उल्टी चाल शुरू करते हैं। बात करें शनि ग्रह की तो यह 29 जून को रात 11:40 पर वक्री हो जाएंगे। ज्योतिष के जानकार मानते हैं कि क्योंकि शनि देव कुंभ राशि में ही स्थित हैं और यहीं पर उनकी वक्री चाल प्रारंभ होने वाली है ऐसे में शनि वक्री का सबसे गहरा असर कुंभ जातकों पर देखने को मिलेगा।
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हमारे इस खास ब्लॉग के माध्यम से आज हम जानेंगे वक्री शनि का सभी राशियों पर क्या असर पड़ेगा और वक्री शनि के प्रकोप से बचने के लिए क्या कुछ उपाय किए जा सकते हैं।
वक्री शनि- क्या रहेगा कुंभ राशि के जातकों पर प्रभाव?
सबसे पहले बात करें कुंभ राशि के जातकों की तो जैसा कि हमने पहले भी बताया कि कुंभ शनि की अपनी राशि है। स्वराशि में ही शनि का वक्री होना कुंभ जातकों को किस्मत का साथ दिलाएगा। इस राशि के जातकों को हर काम में सफलता मिलेगी, कहीं आकस्मिक रूप से धन प्राप्त हो सकता है, आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और इस राशि के व्यापारी जातकों को अपार लाभ मिलेगा।
शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव
मौजूदा समय में शनि के कुंभ राशि में होने से मकर राशि, कुंभ राशि और मीन राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव चल रहा है। कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण है, मकर राशि पर आखिरी चरण है और मीन राशि पर इसका पहला चरण चल रहा है।
ऐसे में साढ़ेसाती के प्रभाव से शनि के वक्री होने से इन राशि के जातकों को आर्थिक, शारीरिक और मानसिक परेशानियां उठानी पड़ सकती है।
शनि की ढैया का प्रभाव
इसके अलावा कर्क राशि और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैया का प्रभाव चल रहा है।
शनि के प्रकोप से बचने के लिए करें ये उपाय
- विशेष रूप से इन पांच राशियों को शनि के प्रकोप से बचने के लिए शनि से संबंधित कुछ विशेष उपाय करने की सलाह दी जा रही है। जैसे की रोजाना दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करें।
- शनि से संबंधित वस्तुओं का जरूरतमंद लोगों को दान करें।
- किसी भी गरीब व्यक्ति को परेशान ना करें।
- काले कुत्तों को रोटियां खिलाएं।
- अपने कर्म हमेशा अच्छे रखें।
- किसी से छल, कपट या झूठ ना बोलें।
कुंडली में शनि का प्रभाव
हिन्दू ज्योतिष में शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है। जब यह किसी राशि में प्रतिकूल स्थिति में होते हैं तो ऐसे में यह व्यक्ति को उपरोक्त क्षेत्रों में कमी देने लगते हैं। शनि वक्री होने के परिणाम स्वरुप आर्थिक और स्वास्थ्य मोर्चे पर भी नकारात्मक प्रभाव नज़र आ सकते हैं।
इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में शनि जिस भी घर में मौजूद होते हैं उस घर को ठीक रखते हैं और जिस भी घर पर दृष्टि डालते हैं वहां तकलीफ हो सकती है। शनि का वक्री होकर कुंडली में गोचर करना उसके भाव और स्थान के मुताबिक परिणाम देता है।
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि शनि को कर्म फल दाता ग्रह कहा जाता है। ऐसे में शनि मेहनत करने वाले, सही काम करने वालों को, सफलता देते हैं और वहीं आलसी लोगों को, गलत काम करने वाले लोगों को, इसके दुष्परिणाम भी उठाने पड़ सकते हैं। शनि के वक्री होने के चलते जलवायु पर भी असर दिखेगा, कई जगहों पर तूफान के साथ खूब वर्षा होगी और इससे फसल भी खराब हो सकती है।
शनि वक्री का अर्थ
सबसे पहले वक्री का अर्थ जान लें तो, जब भी कोई ग्रह उल्टी चाल चलता है तो इस वक्री कहा जाता है। खगोलीय दृष्टि से शनि ग्रह के वक्री होने का मतलब यह होता है कि इसका अपने परिक्रमण मार्ग पर विपरीत दिशा में या पीछे की ओर बढ़ता हुआ नजर आना।
भौगोलिक रूप से बात करें तो शनि की गति की दिशा में कोई परिवर्तन नहीं होता है। जब भी कोई ग्रह वक्री होता है तो यह पृथ्वी के काफी नजदीक मौजूद होता है इसीलिए उसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। यही वजह है कि कुछ राशियों के लिए वक्री ग्रहों का होना फायदेमंद साबित होता है तो वहीं कुछ राशियों को इसके नकारात्मक प्रभाव झेलने पड़ते हैं।
अब शनि जब 139 दिनों के लिए वक्री अवस्था में जा रहे हैं तो निश्चित रूप से इसका भी कुछ राशियों पर सकारात्मक प्रभाव दिखेगा तो कुछ राशियों को इससे परेशानियां उठानी पड़ सकती है।
अधिक जानकारी: इस साल अर्थात साल 2024 में शनि का गोचर नहीं हुआ है लेकिन 11 फरवरी 2024 को शनि का परिवर्तन अवश्य हुआ था। इस दौरान शनि कुंभ राशि में अस्त हो गए थे। इसके बाद 18 मार्च को कुंभ राशि में ही शनि उदित हो गए और अब 29 जून 2024 को कुंभ राशि में शनि वक्री होने जा रहे हैं।
शनि का राशि परिवर्तन मार्च 2025 में होगा। मार्च में शनि की राशि परिवर्तन से मेष राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू होगी। मेष राशि के जातकों पर साढ़ेसाती 03 जुलाई 2024 तक रहेगी फिर इसके बाद ही इनको इससे राहत मिलेगी। साल 2027 से वृषभ राशि के जातकों पर साढ़ेसाती का पहला चरण आरंभ होगा जो 2034 में जाकर खत्म होगा।
इसके अलावा मिथुन राशि पर साढे़साती 08 अगस्त 2029 से शुरू हो जाएगी और फिर साल 2036 तक चलेगी। कर्क राशि वालों पर साढ़ेसाती 31 मई 2032 से शुरू होगी और 22 अक्टूबर 2038 को जाकर खत्म होगी। इस तरह के आने वाले 10 से 15 वर्षों में कुंभ, मीन, मेष, वृषभ ,मिथुन और कर्क राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का असर नज़र आने वाला है।
हालांकि इससे डरने या घबराने की आवश्यकता नहीं है। अगर आपकी राशि पर भी शनि का प्रकोप बना हुआ है तो आप अभी विद्वान ज्योतिषियों से जुड़कर इसके निवारण के उपाय जान सकते हैं। या अगर आपको अपनी कुंडली में शनि की स्थिति जाननी है तो इसके लिए आप शनि रिपोर्ट की मदद ले सकते हैं।
अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं स्वराशि कुंभ में शनि वक्री होकर के आपकी राशि को किस तरह से प्रभावित करेंगे। यहां पर यह सभी 12 राशियों का विस्तृत गोचर फल और संबंधित उपाय दिये जा रहे हैं।
कुंभ राशि में शनि वक्री- राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए शनि देव आपके दसवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। अब यह…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों की कुंडली में शनि ग्रह नौवें और दसवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
मिथुन राशि
मिथुन राशि वालों के लिए शनि आपके आठवें और नौवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए शनि देव आपके सातवें और आठवें भाव के स्वामी हैं जो अब …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
सिंह राशि
सिंह राशि वालों के लिए शनि महाराज आपके छठे और सातवें भाव के स्वामी हैं। वर्तमान समय में …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए शनि आपकी राशि के पांचवें भाव और छठे भाव के स्वामी हैं। वर्तमान समय में…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए शनि देव आपके चौथे और पांचवें भाव के स्वामी हैं। वर्तमान समय में यह…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शनि ग्रह आपके तीसरे भाव और चौथे भाव के स्वामी हैं। अब …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
धनु राशि
धनु राशि के जातकों की कुंडली में शनि महाराज आपके दूसरे और तीसरे भाव के स्वामी हैं जो अब आपके…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
मकर राशि
मकर राशि के जातकों के लिए शनि देव आपके राशि स्वामी होने के साथ-साथ आपके लग्न/पहले भाव और…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
कुंभ राशि
कुंभ राशि वालों के लिए शनि महाराज आपके पहले और बारहवें भाव के स्वामी हैं। वर्तमान समय…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
मीन राशि
मीन राशि के जातकों के लिए शनि महाराज आपके ग्यारहवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर: शनि ग्रह की 29 जून को रात 11:40 पर कुम्भ राशि में वक्री हो जाएंगे।
उत्तर: कर्क राशि और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैया का प्रभाव चल रहा है।
उत्तर: मौजूदा समय में शनि के कुंभ राशि में होने से मकर राशि, कुंभ राशि और मीन राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव चल रहा है।
उत्तर: स्वराशि में ही शनि का वक्री होना कुंभ जातकों को किस्मत का साथ दिलाएगा। इस राशि के जातकों को हर काम में सफलता मिलेगी और आकस्मिक रूप से धन प्राप्त हो सकता है।