वैदिक ज्योतिष में किसी भी ग्रह का स्थान परिवर्तन हर जातक के जीवन पर विशेष प्रभाव डालता है। फिर चाहे वो ग्रह वक्री हो या गोचर, उसका प्रभाव प्रत्येक राशि पर पड़ेगा। कर्मफल दाता शनि समस्त ग्रहों में से सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में शनि का हर गोचर ढाई वर्षों में होता है। क्योंकि शनि को राशि चक्र का अपना एक चक्कर पूरा करने में करीब 30 वर्षों का समय लगता है। शनि ने वर्ष 2022 में 29 अप्रैल को अपना गोचर करते हुए मकर से कुंभ में स्थान परिवर्तन किया था। अब अपने गोचर के लगभग 1 माह बाद शनि अपनी वक्री गति यानी उल्टी चाल चलते हुए पुनः स्थान परिवर्तन करने जा रहे हैं।
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141 दिनों तक वक्री रहेंगे शनि
एस्ट्रोसेज के ज्योतिषियों की मानें तो शनि 5 जून को सुबह 4 बजकर 14 मिनट से कुंभ से मकर की ओर अपनी वक्री गति शुरू करेंगे और शनि 23 अक्टूबर तक इसी अवस्था में वक्री रहेंगे। ऐसे में शनि का 141 दिनों तक उल्टी चाल का प्रभाव करीब-करीब सभी राशियों के साथ-साथ देश-दुनिया में भी कई बड़े बदलाव लेकर आएगा।
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अगर बात करें राशियों की तो जहाँ शनि की ये वक्री अवस्था कुछ जातकों को शुभ परिणाम देने का कार्य करेगी। वहीं कुछ जातकों को इस दौरान शनि साढ़ेसाती व शनि ढैय्या से कई प्रकार के कष्ट उठाने पड़ सकते हैं। इसके अलावा वरिष्ठ विशेषज्ञों के अनुसार शनि का कुम्भ से मकर में इस तरह वक्री होना देशभर में मंदी लाने के योग बनाएगा। तो चलिए अब बिना देर किए ये जानते हैं कि आखिर शनि की ये उलटी चाल किसके जीवन में लेकर आएगी मंगल ही मंगल:-
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इन राशियों के लिए शुभ रहेगी शनि की ये वक्री चाल
मेष राशि:
5 जून से शनि आपके एकादश भाव में वक्री होंगे, जिसके परिणामस्वरूप आपको सामान्य से अनुकूल फल मिलने की संभावना रहेगी। इस दौरान वक्री शनि सबसे अधिक आपके कार्यक्षेत्र में अपना प्रभाव दिखाते हुए, आपको करियर में सफलता देने का कार्य करेंगे। वो जातक जो नौकरी में बदलाव का सोच रहे थे या नौकरी की तलाश में थे, उन्हें भी शनि देव की कृपा से कोई अच्छा अवसर मिलने के योग बनेंगे। हालांकि इसके लिए उन्हें शुरुआत से ही प्रयास करते रहने की आवश्यकता होगी। आर्थिक जीवन में स्थिति अच्छी होगी और आप अपनी कई अधूरी इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम रहेंगे। ख़ासतौर से आईटी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए शनि देव भाग्य में वृद्धि करने का कार्य करेंगे।
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वृश्चिक राशि:
5 जून से शनि आपके चतुर्थ भाव में अपनी वक्री गति आरंभ करेंगे। इसके परिणामस्वरूप ये स्थिति सबसे अधिक आपके करियर में उन्नति लाने का कार्य करेगी। आप जिस भी कार्य की जिम्मेदारी लेंगे आपको अपार सफलता मिलेगी। चाहे आप नौकरी करते हो या व्यापार हर क्षेत्र में आपको अपनी मेहनत का फल इस दौरान मिलने के योग बनेंगे। आर्थिक तंगी भी दूर होगी और आप किसी बड़े निवेश से अच्छा धन अर्जित करेंगे। शिक्षा की बात करें तो उच्च शिक्षा से जुड़े छात्रों के लिए समय उत्तम रहने वाला है।
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धनु राशि:
शनि आपके तृतीय भाव से अपनी उल्टी चाल प्रारंभ करेंगे। जिससे आप शनि की कृपा प्राप्त करते हुए अपने जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में सफलता अर्जित करते दिखाई देंगे। खासतौर से ये समय सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं जातकों के लिए उत्तम रहेगा। वहीं व्यापारी जातकों को भी किसी सरकारी अधिकारी की मदद से कोई लाभ मिलने के योग बनेंगे। आर्थिक स्थिति भी अच्छी होगी और आप अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए किसी प्रकार का कोई निवेश करने का फैसला भी लेते दिखाई देंगे।
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कुंभ राशि:
शनि का ये स्थान परिवर्तन आपके लिए विशेष महत्वपूर्ण रहने वाला है। क्योंकि इस दौरान शनि देव आपकी राशि के लग्न भाव में ही अपनी वक्री गति आरंभ करेंगे। जिसके चलते आप अपनी मेहनत करते हुए कार्यक्षेत्र पर उत्तम लाभ प्राप्त करने में समर्थ रहेंगे। बात करें शिक्षा की तो इस राशि के छात्रों को भी शनि देव अच्छा प्रदर्शन देते हुए अनुकूल अंक हासिल करने में मदद करेंगे। धन पक्ष भी अच्छा रहेगा और आप काफी खुश दिखाई देंगे।
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शनि ग्रह की शान्ति के उपाय
जिन जातकों की कुंडली में शनि देव का प्रभाव कष्टदायक रहने वाला है, उन्हें शनिदेव को शांत करते हुए उनकी विशेष कृपा पाने के लिए कुछ कारगर उपाय करने की सलाह दी जाती है।
- हर शनिवार शनि देव को बिना छुए सरसों का तेल चढ़ाएं।
- हर शनिवार शनि देव के समक्ष सरसों के तेल का एक दीपक ज़रूर जलाएं।
- नियमित रूप से रोजाना शनि चालीसा का पाठ करें।
- शनि ग्रह की शांति के लिए शनि ग्रह के बीज मंत्र का जाप करें।
- कुष्ठ रोगियों की सेवा करें।
- ज़रूरतमंदों व ग़रीबों को श्रद्धानुसार दान दें।
- कुत्तों को न सताएं, बल्कि उन्हें रोजाना भोजन खिलाएं।
- अपनी कुंडली में शनि देव के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए आप ऑनलाइन शनि ग्रह शांति पूजा भी करवा सकते हैं।
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