शनि त्रयोदशी 2023: जानें इस व्रत के नियम, लाभ और शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय!

हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में 2 प्रदोष व्रत आते हैं: प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) और प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष), जिन्हें त्रयोदशी प्रदोष व्रत भी कहा जाता है। जब यह तिथि शनिवार के दिन पड़ती है, उस दिन शनि त्रयोदशी मनाई जाती है। आमतौर पर यह पर्व दक्षिण भारत में बड़े ही रीति-रिवाज के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग दान-पुण्य, पूजा-पाठ एवं कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।

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वर्ष 2023 में कुल 3 बार शनि त्रयोदशी मनाई जाएगी। पहली 18 फरवरी 2023 को, दूसरी 04 मार्च 2023 को और तीसरी 1 जुलाई 2023 को। इसे शनि प्रदोष व्रत या शनि प्रदोषम के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि प्रदोष व्रत मुख्य रूप से माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित होता है, मगर जब यह तिथि शनिवार के दिन पड़ती है तो इसमें कर्म देव शनि की भी अहम भूमिका होती है।

साल की पहली शनि त्रयोदशी, जो कि 18 फरवरी 2023 को पड़ रही है, ज़्यादा ख़ास मानी जा रही है क्योंकि इस दिन महाशिवरात्रि 2023 भी मनाई जाएगी। यह शुभ संयोग कई वर्षों बाद बन रहा है। ऐसे में इस दिन जातकों के ऊपर माता पार्वती और भगवान शिव के साथ-साथ शनि देव की कृपा भी बरसेगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि देव भगवान शिव के उपासक हैं, इसलिए इस दिन भगवान शिव और शनि देव से जुड़े कुछ विशेष उपाय करने से भक्तों को सकारात्मक फलों की प्राप्ति होगी। आइए अब विस्तार से जानते हैं कि शनि त्रयोदशी के दिन हमें क्या-क्या करना चाहिए।

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इस दिन शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभावों से मिलेगी राहत 

17 जनवरी 2023 को शनि का कुंभ राशि में गोचर हुआ था, जिसके बाद कुंभ, मकर और मीन राशि पर साढ़ेसाती और कर्क तथा वृश्चिक राशि पर ढैय्या का समय शुरू हो चुका है। हम जानते हैं कि शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या काल के दौरान जातकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में जिन लोगों के ऊपर शनि देव की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव है, उन्हें उपाय के तौर पर सुझाव दिया जाता है कि शनि त्रयोदशी के दिन भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें। इसके बाद श्री शिव रुद्राष्टकम का पाठ करें। ऐसा करने से आपको साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलेगी और साथ ही भगवान शिव तथा शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त भी होगी।

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शनि त्रयोदशी व्रत के लाभ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि त्रयोदशी व्रत करने से कई सौभाग्यशाली परिणाम मिलते हैं: जैसे कि नौकरी में पदोन्नति, चंद्र दोष से मुक्ति, मानसिक बेचैनी और उलझन दूर होती है, दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है, शनि देव की कृपा बरसती है, भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं और पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।

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शनि त्रयोदशी व्रत के नियम

शनि प्रदोष व्रत करने के कुछ विशेष नियम होते हैं, जो कि इस प्रकार हैं-

  • शनि त्रयोदशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं।
  • फिर स्नान आदि करने के बाद साफ-स्वच्छ कपड़े पहनें।
  • पूजा स्थल का शुद्धिकरण करें।
  • इसके बाद गाय के गोबर से लीप कर एक मंडप तैयार करें।
  • मंडप के नीचे 5 अलग-अलग रंगों से सुंदर रंगोली बनाएं।
  • फिर बेलपत्र, अक्षत, दीपक, धूप और गंगाजल आदि लेकर भगवान शिव की विधिवत पूजा करें।
  • ध्यान रहे कि पूजा के समय आपका मुख उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
  • प्रदोष काल में आप सिर्फ हरी मूंग का सेवन कर सकते हैं चूंकि यह पृथ्वी तत्व से संबंधित है।
  • आप इस दिन पूर्ण उपवास या फलाहार (फलों का सेवन) भी कर सकते हैं।

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शनि त्रयोदशी/ शनि प्रदोष व्रत के अचूक उपाय

  • शनि त्रयोदशी के दिन छाया दान करना करना सबसे उत्तम माना जाता है। इसके लिए, प्रातःकाल एक कटोरी में सरसों का तेल भरकर, उसमें एक सिक्का (मुद्रा) डालें। इसके बाद उसमें अपना चेहरा देखें, फिर इसे शनि मंदिर में दान कर दें। मान्यता है कि ऐसा करने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है।
  • शनि देव को प्रसन्न करने एवं उनके अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए शनि त्रयोदशी की शाम को किसी काले कुत्ते को सरसों के तेल से चुपड़ी हुई मीठी रोटी खिलाएं।
  • शुभ फलों की प्राप्ति के लिए शनि त्रयोदशी के दिन भगवान शिव की पूजा अवश्य करें क्योंकि शनि देव भगवान शिव के उपासक हैं। ऐसे में आपको करना यह है कि जल में काले तिल मिलाकर शिवलिंग पर अर्पित करें। इसके बाद शिव पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का स्पष्ट जाप करें।
  • भगवान शिव की विधिवत पूजा करने के बाद शनि देव की पूजा ज़रूर करें। पहले शिव चालीसा का पाठ करें, फिर शनि चालीसा का पाठ करें। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव और कर्म देव शनि दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • शनि त्रयोदशी के दिन व्रत करें। साथ ही शिवलिंग पर 108 बेलपत्र और पीपल के पत्ते चढ़ाएं। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करना बेहद कल्याणकारी होता है।
  • यदि आप पर कई ग्रहों का अशुभ प्रभाव है तो शनि त्रयोदशी के दिन उड़द की दाल, काले रंग के जूते, काले तिल, उड़द की खिचड़ी, छाता और कंबल आदि का दान ज़रूर करें क्योंकि यह सभी चीज़ें शनि देव से संबंधित होती हैं। इन चीज़ों के दान से शनि देव प्रसन्न होते हैं।
  • शनि पीड़ा से मुक्ति पाने एवं मानसिक शांति की प्राप्ति के लिए शनि त्रयोदशी के दिन जल और दूध पीपल की जड़ में अर्पित करें। फिर वहां 5 मिठाईयां रख दें। इसके बाद अपने पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के वृक्ष की पूजा करें। पीपल के वृक्ष की पूजा करने के बाद, उसके नीचे बैठकर सुंदरकांड का पाठ करें और फिर उसकी 7 परिक्रमा लगाएं। 

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