शनि साढ़े साती एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं। हम में से अधिकांश लोगों ने साढ़े साती के बारे में अपने जीवनकाल में कभी न कभी जरूर सुना होगा। यह शनि की एक ऐसी दशा है जो किसी व्यक्ति को राजा से रंक बनाने की क्षमता रखती है। इसके प्रभाव को कम करने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं। एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपको शनि साढ़े साती से जुड़ी समस्त जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही, आपको रूबरू करवाएंगे कि साढ़े साती के सात सालों में शनि महाराज कैसे करते हैं आपके कर्मों का हिसाब-किताब। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की।
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कौन हैं शनि देव?
वैदिक ज्योतिष और सनातन धर्म में शनि देव को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इनका नाम भी लोगों के मन में भय पैदा करने के लिए काफ़ी है। हिंदू धर्म में भगवान शनि की देवता के स्वरूप में पूजा की जाती है, तो वहीं ज्योतिष में इन्हें सबसे शक्तिशाली ग्रहों में से एक माना जाता है जो कठिन परिश्रम, दीर्घायु, कर्म, अनुशासन, सीमा, महत्वाकांक्षा, देरी और धैर्य आदि का प्रतिनिधित्व करते हैं। सभी नौ ग्रहों में शनि ग्रह को ‘न्यायाधीश’ का दर्जा प्राप्त हैं और यह अन्याय बर्दाश्त नहीं करते हैं।
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शनि साढ़े साती और इसके चरण
प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में कभी न कभी शनि के साढ़ेसाती के प्रभावों का सामना करना पड़ता है। बता दें कि हर इंसान को साढ़ेसाती अलग-अलग तरीके से प्रभावित करती है जो कि व्यक्ति के कर्मों और कुंडली में मौजूद ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति पर आधारित होते हैं। साढ़े सात वर्षों तक चलने वाली शनि साढ़ेसाती के तीन चरण होते हैं और ढ़ाई-ढ़ाई साल का हर चरण होता है। इन चरणों के अनुसार शनि महाराज व्यक्ति को प्रभावित करते हैं।
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हालांकि, शनि साढ़ेसाती मुख्यतः उस राशि पर होती है जिसमें शनि उस साल उपस्थित होते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, जिस राशि में शनि मौजूद होते हैं, उस राशि से पहले और बाद वाली राशि भी शनि साढ़ेसाती के प्रभाव में आ जाती है। सामान्य शब्दों में कहें, तो शनि ग्रह जिस राशि में बैठे होते हैं, उसके आगे, पीछे और शनि की मौजूदा राशि पर शनि की साढ़ेसाती चलती है। यदि आप पर भी शनि की साढ़ेसाती चल रही हैं, तो आपके लिए यह जानना आवश्यक है कि शनि साढ़ेसाती अत्यंत विशेष होती है और इस अवधि में शनि महाराज आपको एक न्यायधीश के रूप में आपके कर्मों का फल प्रदान करते है और इसके बाद, आपको जीवन के महत्वपूर्ण सबक देते हैं।
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इन तीन चरणों में करते हैं शनि देव आपके कर्मों का हिसाब
शनि साढ़ेसाती का पहला चरण: यह चरण शनि साढ़ेसाती का पहला और शुरुआती दौर होता है जो आपके जीवन में या तो धन लाभ लेकर आता है या फिर आर्थिक समस्याएं। इस दौरान आपको स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं तंग कर सकती हैं। ऐसे में, सबसे पहला प्रभाव आपके मस्तिष्क पर देखने को मिलता है और इसके बाद के 10 महीने तक आपके दिमाग पर असर बना रहता है, लेकिन यह नकारात्मक नहीं होता है,बल्कि आप रिसर्च में अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम होते हैं।
शनि साढ़ेसाती का दूसरा चरण: पहले ढ़ाई साल के बीतने के बाद शनि साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुरू होता है और यह साढ़ेसाती का सबसे महत्वपूर्ण फेज होता है। ऐसे में, शनि का दूसरा चरण व्यक्ति के निजी जीवन के साथ-साथ पेशेवर जीवन को भी प्रभावित करता है। यह अवधि व्यक्तिगत विकास और जिंदगी को पुनः एक नज़रिये से देखने को दर्शाती है।
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शनि साढ़ेसाती का तीसरा चरण: दूसरे चरण के बाद शुरू होता है शनि साढ़ेसाती का तीसरा और अंतिम चरण। इस चरण के दौरान जातक ने पिछले दोनों चरणों में जो भी अच्छे या बुरे कर्म किये होते हैं, उसका फल प्राप्त होता है। सामान्य शब्दों में कहें, तो इस अवधि में आपने जो बोया है आप वही काटेंगे। इस दौरान आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है और घर-परिवार में चल रहे विवादों का समाधान होने के साथ-साथ आपक फाइनेंस सही होगा और पारिवारिक विवाद सुलझने के साथ-साथ आपकी रुचि अध्यात्म के प्रति बढ़ती है।
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शनि साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव इन उपायों से होंगे कम
- प्रतिदिन विशेष रूप से शनिवार के दिन शनि देव के बीज मंत्र “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” का जाप करें। ऐसा करने से शनि साढ़े साती के नकारात्मक प्रभाव कम होते है।
- साढ़े साती के प्रभावों से बचाव के लिए शनिवार के दिन शनि देव के मंदिर में जाएं और भगवान शनि को सरसों का तेल और काले तिल चढ़ाएं।
- शनिवार के दिन शनि चालीसा का पाठ करें और इस दिन शनि स्त्रोत का 21 बार पाठ करें। इस उपाय से शनि साढ़े साती के अशुभ प्रभावों से राहत मिलती है।
- शनि साढ़े साती के दौरान भूलकर भी श्रमिक, गरीब, जीव-जंतु या असहाय को परेशान न करें, अन्यथा साढ़े साती के प्रभाव प्रबल हो जाते हैं।
- शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने के साथ-साथ शिव जी की पूजा करने से साढ़े साती के प्रभावों से राहत मिलती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर 1. वर्तमान समय में कुंभ, मकर और मीन राशि पर साढ़े साती चल रही है।
उत्तर 2. साढ़ेसाती लगने पर जातक को शनिवार के दिन शनिदेव के मंदिर में जाकर सरसों का तेल और काले तिल अर्पित करने चाहिए।
उत्तर 3. शनि की साढ़ेसाती साढ़े सात वर्षों तक रहती है।