वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को कर्म फल दाता ग्रह का दर्जा दिया गया है। अर्थात यह व्यक्ति को उनके कर्मों के आधार पर ही फल देते हैं। अगर आपके कर्म अच्छे हैं तो शनि आपको अच्छे परिणाम देंगे और अगर आपके कर्म बुरे हैं तो आपको शनि के प्रकोप भी झेलने को मिलेगा।
यही वजह है शनि को न्याय कारक ग्रह भी कहा जाता है। इसके अलावा बात करें अस्त और उदय होने की तो ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का अस्त होना और ग्रहों का उदित होना दोनों ही महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसे में जहां फरवरी के महीने में न्याय के देवता शनि अस्त हुए थे अब वह 18 मार्च को कुंभ राशि में उदित होने जा रहे हैं।
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स्वाभाविक सी बात है शनि उदित होंगे तो इसका मेष से लेकर मीन राशि पर कुछ ना कुछ प्रभाव अवश्य देखने को मिलेगा। तो चलिए जान लेते हैं कि आपकी राशि पर शनि उदित का क्या प्रभाव रहेगा, शनि उदित का समय क्या रहने वाला है, साथ ही जानेंगे ग्रहों का उदय होना आखिर किसे कहते हैं।
कुंभ राशि में शनि उदित- क्या रहेगा समय?
सबसे पहले बात करें समय की तो, शनि 18 मार्च को कुंभ राशि में उदित होने जा रहे हैं। शनि इससे पहले 11 फरवरी 2024 को अस्त हुए थे और अब 18 मार्च को सुबह 7 बजकर 49 मिनट पर अपनी अस्त अवस्था से निकलकर उदित हो जाएंगे।
क्या यह जानते हैं आप? शनि ग्रह को वैदिक ज्योतिष में सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है क्योंकि यह सबसे धीमी गति से चलते हैं और एक राशि में तकरीबन ढाई साल का समय बिताते हैं। यही वजह है कि यह व्यक्ति के जीवन को गहराई से प्रभावित भी करते हैं। ऐसे में अब जब यह अपनी अस्त अवस्था से निकलकर उदित अवस्था में आने वाले हैं तो निश्चित रूप से यह जातकों के जीवन में बड़े बदलाव अवश्य लेकर आएंगे। लेकिन आखिर ग्रहों का उदित या अस्त होना कहते किसे हैं? चलिए इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।
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कुंभ राशि में शनि उदित
दरअसल शनि एक राशि में तकरीबन ढाई साल तक स्थित रहते हैं। ऐसे में एक राशि में दोबारा आने में उन्हें तकरीबन 30 साल का वक्त लग जाता है। शनि अब अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में अस्त अवस्था से निकलकर उदित होने जा रहे हैं।
बात करें अस्त होने की तो दरअसल जब भी कोई ग्रह सूर्य के इतना निकट चला जाए कि वह सूर्य के तेज और ओज से अपना प्रभाव खोने लगे तो इसे ही ग्रहों का अस्त होना कहा जाता है। ज्योतिष के जानकार मानते हैं की ग्रह अपनी अस्त अवस्था में ग्रह शुभ फल नहीं दे पाते हैं। वहीं इसके विपरीत जब ग्रह वापस सूर्य से दूर जाकर अपना प्रभाव और तेज वापस प्राप्त कर लेते हैं तो इसे उदित होना कहते हैं।
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वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह
शनि ग्रह को वैदिक ज्योतिष में एक बेहद ही महत्वपूर्ण ग्रह का दर्जा दिया गया है। यह व्यक्ति के आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, आदि का कारक माना जाता है। जहां मकर और कुंभ शनि की ही राशि मानी गई है वहीं तुला को इसकी उच्च राशि और मेष को इसकी नीच राशि का दर्जा दिया गया है। शनि एक राशि में तकरीबन ढाई वर्षो तक रहता है और ज्योतिष की भाषा में इसे ही शनि की ढैया कहते हैं।
शनि की दशा साढ़े सात साल की होती है जिसे शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में शनि मजबूत अवस्था में होते हैं उन्हें जीवन में तमाम सुख मिलते हैं। ऐसे जातक कर्मठ होते हैं, कर्मशील होते हैं और न्याय प्रिय भी होते हैं। वहीं इसके विपरीत अगर कुंडली में शनि पीड़ित अवस्था में है तो यह जातकों की जीवन में तमाम परेशानियां पैदा करने लगता है। इससे जातकों के जीवन में दुर्घटना और जेल जाने जैसी परिस्थितियों के योग भी बनने लगते हैं। यही वजह है कि ऐसी स्थिति में ज्योतिष के जानकार शनि के कुप्रभाव से बचने के लिए जल्द से जल्द कुछ सरल ज्योतिषीय उपाय अपनाने की सलाह देते हैं। क्या कुछ है ये उपाय चलिए जान लेते हैं।
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शनि ग्रह शांति मंत्र एवं उपाय
वैदिक ज्योतिष में अक्सर शनि को एक क्रूर ग्रह के रूप में दर्शाया जाता है। हालांकि शनि कोई शत्रु नहीं है। ऐसे में इससे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। शनि एक शिक्षक की तरह होते हैं जो व्यक्ति को सही राह पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। वहीं जो लोग गलत राह पर चलते हैं शनि उन्हें दंड भी देते हैं। अगर शनि कमजोर होते हैं तो व्यक्ति को व्यवसाय में परेशानियां, नौकरी से संबंधित दिक्कतें, अनचाही जगह पर तबादला, पदोन्नति में रुकावटें, कर्ज जैसी समस्याएं परेशान करने लगते हैं। ऐसी स्थिति में शनि को शांत करने के तुरंत उपाय करने की सलाह दी जाती है। जैसे कि,
- अगर शनि आपकी कुंडली में कमजोर अवस्था में है तो काले रंग के वस्त्रो का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें।
- अपने कर्मचारियों और सेवकों को खुश रखें।
- शराब और मांस का सेवन न करें।
- रात को दूध न पिएँ।
- शनिवार के दिन रबर या लोहा से संबंधित चीजे ना खरीदें।
- शनि देव की पूजा करें।
- राधा कृष्ण की पूजा करें।
- भगवान हनुमान की पूजा करें।
- इसके अलावा आप चाहें तो शनि देव के लिए व्रत भी रख सकते हैं।
- रत्न की बात करें तो आप नीलम रत्न धारण कर सकते हैं। इससे शनि के सकारात्मक प्रभाव मिलने की संभावना बढ़ने लगती है। आप जीवन में कार्यक्षेत्र में और व्यवसाय में सफलता के लिए शनि यंत्र स्थापित कर सकते हैं। जड़ी की बात करें तो इसके लिए धतूरे की जड़ धारण करना शनि के लिए अनुकूल माना गया है।
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आइए अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं कि कुंभ राशि में उदित होकर शनि आपकी राशि पर किस तरह के प्रभाव देने वाले हैं।
शनि का कुंभ राशि में उदय- राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए शनि दसवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और वर्तमान समय में यह आपके ग्यारहवें भाव…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए शनि नवम भाव और दशम भाव के स्वामी हैं और वर्तमान समय में आपके दशम भाव में…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए शनि अष्टम भाव और नवम भाव के स्वामी हैं और वर्तमान समय में नवम भाव में गोचर कर रहे हैं…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए शनि सातवें भाव और आठवें भाव के स्वामी हैं और वर्तमान समय में शनि का गोचर कुंभ राशि में …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
सिंह राशि
शनि का कुंभ राशि में उदयआपकी राशि के सातवें भाव में होने वाला है। शनि महाराज आपकी राशि के लिए छठे और सातवें …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
कन्या राशि
यदि आपका जन्म कन्या राशि में हुआ है तो शनि आपकी राशि के लिए पांचवें भाव और छठे भाव के स्वामी हैं। वर्तमान समय में …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए शनि योगकारक ग्रह हैं क्योंकि यह आपके केंद्र भाव और त्रिकोण भाव के स्वामी हैं यानी कि …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शनि तीसरे भाव और चौथे भाव के स्वामी हैं और वर्तमान समय में कुंभ राशि में आपकी …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
धनु राशि
शनि का कुंभ राशि में उदय आपकी राशि से तीसरे भाव में होने वाला है। शनि महाराज आपके दूसरे और तीसरे भाव के स्वामी हैं …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
मकर राशि
मकर राशि के जातकों के लिए शनि देव महत्वपूर्ण ग्रह हैं क्योंकि यह आपकी राशि के स्वामी हैं और उसके साथ ही आपके धन भाव यानी…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए शनि का उदित होना सर्वाधिक महत्वपूर्ण साबित होगा क्योंकि यह आपके द्वादश भाव के स्वामी होने…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
मीन राशि
मीन राशि के जातकों के लिए शनि ग्यारहवें और बारहवें भाव के स्वामी ग्रह हैं और वर्तमान समय में शनि का गोचर …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
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