कुंभ राशि में शनि का धनिष्ठा नक्षत्र के अंतिम 2 पदों में भ्रमण: जानें प्रभाव!

धनिष्ठा नक्षत्र में शनि 2023: वैदिक ज्योतिष के अनुसार, प्रत्येक ग्रह राशि परिवर्तन करते हुए अलग-अलग राशियों से होकर गुज़रता है। नियमानुसार देखा जाए तो प्रत्येक राशि के अंतर्गत 2.25 नक्षत्र होते हैं। हर ग्रह जिस राशि में और जिस नक्षत्र में स्थित होता है, उसी के अनुसार सकारात्मक अथवा नकारात्मक परिणाम प्रदान करता है। ज्योतिष में प्रत्येक नक्षत्र को 4 पदों में बांटा गया है, जो कि अलग-अलग ग्रहों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करते हैं।

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इंडियन एस्ट्रोलॉजी यानी कि भारतीय ज्योतिष के अनुसार, कुल 27 नक्षत्र होते हैं, जिनमें से 23वां नक्षत्र धनिष्ठा है। इस नक्षत्र की राशियां मकर और कुंभ हैं, जिन पर शनि देव शासन होता है। हालांकि धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह को माना जाता है।

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एस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग में हम सबसे पहले जानेंगे कर्म देवता शनि देव के बारे में फिर इसके बाद कुंभ राशि में धनिष्ठा नक्षत्र के अंतिम 2 पदों में शनि के भ्रमण के प्रभावों के बारे में जानेंगे।

शनि देव 17 जनवरी 2023 को शाम 05:04 पर धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे पद में प्रवेश करेंगे। धनिष्ठा नक्षत्र में शनि देव 14 मार्च 2023 तक रहेंगे। प्रभाव की बात करें तो धनिष्ठा नक्षत्र में शनि देव की उपस्थिति प्रत्येक जातक को उनकी कुंडली में शनि की स्थिति और मंगल (चूंकि धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामित्व मंगल ग्रह को प्राप्त है) की स्थिति के अनुसार अलग-अलग तरह से प्रभावित करेगी। इसके अलावा जातक किस महादशा में चल रहा है और उसकी राशि क्या है और किस लग्न में पैदा हुआ है, परिणाम इन चीज़ों पर भी निर्भर करेंगे।

आइए अब जानते हैं कि धनिष्ठा नक्षत्र में शनि के प्रभाव के बारे में। साथ ही शनि की इस स्थिति का जातकों पर क्या पड़ेगा।

शनि की उपस्थिति में धनिष्ठा नक्षत्र के तहत जन्मे जातकों के लक्षण

ज्योतिष में धनिष्ठा नक्षत्र को अनुकूल नक्षत्र माना जाता है। मान्यता है कि इस नक्षत्र के तहत जन्मे जातकों की मान-मर्यादा और प्रतिष्ठा काफ़ी बढ़ी हुई होती है और ऐसे लोग भाग्यशाली होते हैं। इस नक्षत्र का स्वामित्व मंगल ग्रह को प्राप्त है, इसलिए मंगल के गुण जैसे कि ऊर्जा और जुनून आदि जातकों में पाए जाते हैं। 

अग्नि देव, वायु देव, पृथ्वी, वृंज़ द्यौस, सूर्य देव, चंद्रमास और ध्रुव धनिष्ठा नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता हैं। इस नक्षत्र के तहत जन्मे जातकों पर इन सभी देवताओं का आशीर्वाद रहता है। यही वजह है कि ऐसे लोग अजेय होते हैं। संगीत और कला में इनकी विशेष रुचि होती है। सुर-ताल के प्रति इनका झुकाव अधिक होता है। इनमें काफ़ी अधिक ऊर्जा पाई जाती है, जिसके परिणामस्वरूप ये लोग खेल-कूद में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। साथ ही ये लोग बेहद मेहनती, बुद्धिमान और भरोसेमंद भी होते हैं।

विभिन्न प्रकार का कौशल मौजूद होने के कारण इन्हें धन और ख्याति की प्राप्ति होती है। सामाजिक रूप से भी ये लोग सक्रिय होते हैं क्योंकि ये दूसरों का सम्मान करना बख़ूबी जानते हैं। धार्मिक गतिविधियों में भी इन लोगों की काफ़ी सक्रियता पाई जाती है। आइए अब जानते हैं धनिष्ठा नक्षत्र के बारे में।

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ज्योतिष में धनिष्ठा नक्षत्र

ज्योतिष में कुल 27 नक्षत्र हैं। धनिष्ठा नक्षत्र को 23वें स्थान पर रखा गया है। इस नक्षत्र का विस्तार मकर राशि में 23 अंश तक और कुंभ राशि में 6.40 अंश तक होता है। इसका स्वामित्व मंगल ग्रह को प्राप्त है, जो ख़ुद ही आठ तत्वों क्रमशः अग्नि, पृथ्वी, वायु, वरुण, द्यौस, सूर्य, चंद्रमास और ध्रुव आदि से संबंधित है। यही वजह है कि इस नक्षत्र में इनकी आठों विशेषताएं जैसे कि संगीत, आत्मविश्वास, स्थिरता, विश्वसनीयता, कड़ी मेहनत, ऊर्जा, बुद्धि और सहानुभूति आदि शामिल हैं।

धनिष्ठा नक्षत्र में शनि की भविष्यवाणी करने से पहले विभिन्न ग्रहों को समझना होगा। साथ ही कुंडली में उनके स्थान और भावों पर उनके स्वामित्व पर भी ध्यान देने की ज़रूरत होगी। धनिष्ठा नक्षत्र के मामले में शनि, मंगल और राहु बेहद महत्वपूर्ण हैं, इसलिए मुख्य रूप से इन ग्रहों को देखना ज़्यादा ज़रूरी है।

शनि ग्रह

ज्योतिष में शनि को देरी, वृद्धावस्था, अनुशासन, कड़ी मेहनत, असफलता आदि का कारक माना जाता है। मूल रूप से देखा जाए तो शनि देव उन सभी चीज़ों के कारक हैं, जिनसे व्यक्ति हमेशा बचने का प्रयास करता है। शनि को कर्म देवता कहा गया है। यह सबसे बड़ा और सबसे धीमे चलने वाला ग्रह है। यह हमें कठिन परिश्रम करने और अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करते हैं। मकर और कुंभ राशियों पर शनि देव का आधिपत्य है। शनि जब कुंभ में गोचर करते हैं तो धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे पद में प्रवेश करते हैं और फिर धीरे-धीरे चौथे पद की तरफ़ प्रस्थान करते हैं। यही वजह है कि कुंडली में शनि की भूमिका को समझना बेहद ज़रूरी माना गया है।

मंगल ग्रह

ज्योतिष में मंगल ग्रह को उग्र स्वभाव का माना गया है। यह ऊर्जा, जुनून, आक्रामकता और वीरता का कारक होता है। धनिष्ठा नक्षत्र पर मंगल का शासन है। इसलिए कुंडली में इसकी स्थिति और कुंडली के भावों पर इसके स्वामित्व के आधार पर शनि के प्रभावों की सटीक भविष्यवाणी करना बेहतर होगा।

राहु ग्रह

ज्योतिष में राहु को अशुभ ग्रह के रूप में देखा जाता है। आमतौर पर इसे भय, भ्रम, लालच और भौतिकवाद जैसी नकारात्मक चीज़ों का कारक माना जाता है। यह कुंभ राशि का सह-स्वामी होता है। धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे और चौथे पद का विस्तार कुंभ राशि में 6.40 अंश तक होता है, इसलिए किसी भी जातक के लिए भविष्यवाणी करने से पहले राहु की स्थिति महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शनि को कुछ हद तक प्रभावित करेगा।

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धनिष्ठा नक्षत्र में शनि: सामान्य विवेचन/व्याख्या

  • शनि अपने शत्रु ग्रह मंगल के नक्षत्र में है और धनिष्ठा नक्षत्र का विस्तार मकर से कुंभ राशि तक होता है, जो कि शनि की राशियां हैं, इसलिए इसे बहुत प्रबल माना जाता है।
  • धनिष्ठा धन, संपत्ति, स्थिरता, अनुकूलनशीलता और स्वर-संगति का नक्षत्र है क्योंकि यह संगीत और रंगमंच से संबंधित कलाओं का भी प्रतिनिधित्व करता है।
  • धनिष्ठा नक्षत्र में शनि वाले लोगों को शुरुआत में आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ बेहतर होता जाएगा। 
  • ऐसी स्थिति वाले लोगों को 30 की आयु के बाद धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है। 
  • यदि शनि धनिष्ठा नक्षत्र के तहत मकर राशि में हो तो ऐसे जातकों को शक्ति, पद और अधिकार प्राप्त होता है।
  • हालांकि ये परिणाम जीवन में काफी मेहनत और लगन के बाद थोड़ी देरी से मिलते हैं। 
  • ऐसी स्थिति में लोगों का झुकाव ज़रूरतमंद एवं ग़रीब लोगों की सेवा करने की ओर भी हो सकता है।
  • प्रेम संबंधों की बात करें तो यदि शनि धनिष्ठा नक्षत्र में स्थित होकर किसी तरह से दूसरे, पांचवें, सातवें या ग्यारहवें भाव से जुड़ा हो तो देरी, निराशा और प्रतिबंधों का अनुभव होने की संभावना बनती है। आमतौर पर ऐसे रिश्ते लंबे समय तक चलने वाले होते हैं लेकिन थोड़े सुस्त हो सकते हैं।

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धनिष्ठा नक्षत्र के पद

धनिष्ठा नक्षत्र का पहला पद

धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम पद का स्वामित्व सूर्य देव को प्राप्त है, जो कि सिंह राशि के अंतर्गत आता है। इस पर मंगल, शनि और सूर्य का प्रभाव होता है। यही वजह है इस स्थिति में जातक को भौतिक सफलता मिलती है। ऐसे जातक विवाह संबंधी मामलों को छोड़कर हर प्रयास में सफल हो सकता है।

धनिष्ठा नक्षत्र का दूसरा पद 

धनिष्ठा नक्षत्र का दूसरा पद कन्या नवमांश में आता है, जो कि बुध द्वारा शासित होता है। इस स्थिति में जातकों की कम्युनिकेशन स्किल अच्छी होती है। साथ ही संगीत और एथलेटिक्स प्रतिभा का भी विकास होता है, लेकिन विवाह संबंधी मामले चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।

धनिष्ठा नक्षत्र का तीसरा पद

धनिष्ठा नक्षत्र का तीसरा पद तुला नवमांश में आता है, जिसका स्वामित्व शुक्र देव को प्राप्त है। यह जातक को महत्वाकांक्षी बनाता है। साथ ही विवाह संबंधी मामलों में सफलता दिलाता है। जो जातक ज्योतिष, परफॉर्मिंग आर्ट और अध्यात्म में शामिल हैं, उन्हें इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।

धनिष्ठा नक्षत्र का चौथा पद 

वृश्चिक नवमांश के स्वामी मंगल हैं, जिसमें धनिष्ठा नक्षत्र का चौथा पद शामिल होता है। ऐसे जातक आउट-डोर गेम्स और शारिरिक गतिविधियों की तरफ़ ज़्यादा झुकाव रखते हैं। जो लोग ज़रूरतमंद हैं या कम भाग्यशाली हैं, उनकी मदद करने में ये लोग पीछे नहीं हटते हैं। लेकिन ऐसे लोग पारिवारिक विवाद को सुलझाने में सक्षम नहीं होते हैं।

आइए अब विस्तार से जानते हैं कि 17 जनवरी 2023 से लेकर 14 मार्च 2023 तक धनिष्ठा नक्षत्र में मौजूद शनि का सभी 12 राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

धनिष्ठा नक्षत्र में शनि: राशि अनुसार भविष्यवाणी

मेष: मेष राशि के जातकों के लिए शनि का यह गोचर पेशेवर रूप से फलदायी सिद्ध होगा। इस दौरान आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होंगे। प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों को प्रमोशन मिल सकता है और साथ ही नए अवसर भी प्राप्त हो सकते हैं। जो लोग ख़ुद का व्यवसाय चला रहे हैं, उन्हें इस अवधि में नई लाभकारी डील्स मिलने की संभावना अधिक है। इस दौरान आप कुछ ऐसे संबंध भी स्थापित करेंगे, जो भविष्य में व्यवसाय के विस्तार के लिए मददगार साबित होंगे।

वृषभ: शनि आपके दसवें भाव में गोचर करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप आपको वेतन में वृद्धि और अच्छे अवसरों के रूप में सौभाग्य की प्राप्ति होगी। यदि आप फ्रेशर हैं तो आपको अपना करियर शुरू करने के शानदार मौका मिल सकता है। कुल मिलाकर आपका अच्छा समय शुरू होने वाला है।

मिथुन: शनि आपके नौवें भाव में गोचर करेंगे। ऐसे में उन छात्रों का भाग्य चमकने की संभावना है, जो उच्च शिक्षा के अध्ययन के लिए विदेश जाना चाहते हैं। नौकरी और व्यवसाय के संबंध में भी विदेश यात्राएं संभव हो सकती हैं। भारत में उच्च शिक्षा के अध्ययन का विकास होने के योग बनेंगे। इसके अलावा पिता और छोटे भाई-बहनों के साथ भी आपके संबंध बेहतर रहेंगे।

कर्क: शनि धनिष्ठा नक्षत्र के तहत कुंभ राशि में गोचर करेंगे और इससे आपके लिए शनि ढैय्या की शुरुआत होगी। ऐसे में आपको जीवन के हर क्षेत्र पर अतिरिक्त ध्यान देने की ज़रूरत होगी। आशंका है कि आपका वैवाहिक और पारिवारिक जीवन कुछ समस्याओं के कारण अस्त-व्यस्त हो सकता है। अचानक से लाभ और हानि होने के भी योग बन सकते हैं क्योंकि शनि आपके आठवें भाव में प्रवेश करेंगे।

सिंह: सिंह राशि के जातकों के लिए शनि देव सातवें भाव में गोचर करेंगे। इसके परिणामस्वरूप आपको व्यवसाय करने के नए अवसर मिलेंगे। परिवार या जीवनसाथी के साथ तीर्थ यात्रा पर जाने के योग बन रहे हैं। यदि आप कोई संपत्ति या लग्ज़री आइटम ख़रीदने की योजना बना रहे हैं तो यह समय अनुकूल है। जो लोग सिंगल हैं, उन्हें इस दौरान अपना हमसफ़र मिल सकता है क्योंकि पारिवारिक जीवन में प्रवेश करने के योग बन रहे हैं।

कन्या: शनि देव मंगल शासित धनिष्ठा नक्षत्र के तहत आपके छठे भाव में गोचर करेंगे। यह अवधि न्यायपालिका से जुड़े लोगों के लिए अनुकूल साबित होगी। वकील या न्यायाधीश जैसे पदों पर काम करने वाले लोगों को प्रगति देखने को मिलेगी। निवेश करने के लिहाज से भी यह समय अच्छा रहेगा, मगर यह जातकों की कुंडली में अन्य ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करेगा। यदि आप पहले से ही किसी बीमारी से पीड़ित हैं तो इस दौरान अपने स्वास्थ्य को नज़रंदाज़ न करें। डॉक्टर से उचित परामर्श लेते हुए सही उपचार कराएं।

तुला: तुला राशि के जातकों के लिए शनि पांचवें भाव में गोचर करेंगे। यह समय छात्रों के लिए अच्छा रहेगा लेकिन जब वे कठिन मेहनत करेंगे तब। क्रिएटिव क्षेत्रों जैसे कि आर्किटेक्चर, डिज़ाइनिंग आदि में नौकरी या बिज़नेस करने वाले लोगों को सफलता मिलेगी। हालांकि सातवें भाव में शनि की मौजूदगी आपके वैवाहिक जीवन समस्याएं उत्पन्न कर सकती है, इसलिए अत्यधिक सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

वृश्चिक: वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शनि चौथे भाव में गोचर करेंगे। यह समय संपत्ति से जुड़े विवादों का कारण बन सकता है, जिससे आपको मानसिक तनाव सकता है। नौकरी में असंतुष्टि और व्यवसाय में नुकसान के योग बन सकते हैं। व्यक्तिगत जीवन और पारिवारिक जीवन भी अशांत रहने की आशंका है। इस दौरान आपको शारीरिक थकावट भी महसूस हो सकती है।

धनु: मंगल शासित नक्षत्र के तहत आपके तीसरे भाव में शनि का गोचर अनुकूल रहने वाला है। इस दौरान आपकी एकाग्रता और दृढ़ता बढ़ेगी। आपकी इच्छाशक्ति प्रबल होगी। आप कठिन प्रयास करते दिखाई देंगे। ऐसे में ज़ाहिर है कि कठिन प्रयासों के बाद आप नौकरी और व्यवसाय में सफलता हासिल करने में सक्षम होंगे। भाई-बहनों के साथ आपके संबंध मजबूत होंगे। इसके अलावा काम के सिलसिले में की गई यात्राएं फलदायी सिद्ध होंगी।

मकर: इस दौरान आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और आप धन की बचत भी कर सकेंगे क्योंकि शनि देव आपके दूसरे भाव में गोचर करेंगे। कमाई के नए स्रोत मिलने की संभावना अधिक है। मगर आपको सलाह दी जाती है कि अपनी वाणी के प्रति सावधान रहें क्योंकि आपके द्वारा बोले गए कठोर शब्द घर के बड़े-बुज़ुर्गों को भावनात्मक रूप से आहत कर सकते हैं। जो लोग गुप्त अध्ययन या रहस्य विज्ञान में रुचि रखते हैं, उनके लिए यह समय अनुकूल रहेगा।

कुंभ: कुंभ राशि के जातकों के लिए शनि का गोचर पहले भाव में होगा। इस दौरान आपके ख़र्चों में वृद्धि हो सकती है क्योंकि आशंका है कि आप स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त होंगे अर्थात यह गोचर आपके स्वास्थ्य के लिए ज़्यादा अनुकूल नहीं है। इस अवधि के दौरान मानसिक तनाव भी हो सकता है। जो जातक ख़ुद का व्यवसाय चला रहे हैं और जो प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं, उन्हें नए मौके मिल सकते हैं।

मीन: इस दौरान मीन राशि के छात्रों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। आशंका है कि किसी कारणवश आपकी एकाग्रता भंग होंगी, जिससे आपके प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस गोचर काल में हो सकता है कि आप जिस उद्देश्य के लिए यात्रा पर जाएं, वह सफल न हो। आपके ख़र्चे भी बढ़ सकते हैं। हालांकि जो जातक ख़ुद का व्यवसाय चला रहे हैं, उन्हें फ़ायदा होगा, लेकिन सलाह दी जाती है कि इस दौरान कोई भी नया काम शुरू न करें क्योंकि नुकसान होने की आशंका है।

नक्षत्र राशिफल 2023 से जानें अपना भविष्य!

निष्कर्ष: धनिष्ठा नक्षत्र के प्रभाव वाले जातक अपनी-अपनी पसंदीदा फ़ील्ड में दक्षता प्राप्त करने में सक्षम होंगे। ऐसे में ज़ाहिर है कि आप अपने लक्ष्यों तक पहुंचने में कामयाब हो सकते हैं। धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातक ज़्यादा बोलने, सोच-विचार करने और दिखावा करने पर भरोसा नहीं करते हैं। साथ ही ये लोग अपने लक्ष्यों से भटकना भी पसंद नहीं करते हैं। कहा जाता है कि ऐसे जातकों में धैर्य बहुत होता है, जिसके कारण ये लोग शांतिपूर्वक बदला लेने में माहिर होते हैं। यहां पर ध्यान देने वाली बात यह है कि ये सामान्य भविष्यवाणियां हैं। प्रत्येक राशि के जातक के लिए परिणाम, कुंडली में शनि की स्थिति, भाव पर शनि के स्वामित्व, दृष्टि एवं अन्य कई चीज़ों के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकते हैं।

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