वैदिक ज्योतिष में शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। ये कठोर परिश्रम का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए जो लोग कठिन परिश्रम करते हैं और अपने काम को पूरी ईमानदारी से करते हैं। उन्हें शनि कभी परेशान नहीं करते हैं। यह नैतिकता, न्याय, करियर, जीवन की उपलब्धियों, गुणों और मूल्यों से संबंध रखते हैं। शनि दीर्घकालिक योजना या दूरदर्शिता के साथ चिंता के भी प्रतीक हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि नैतिक कर्तव्यों और शक्ति के कारक हैं। कुंडली में शनि जब मजबूत स्थिति में होते हैं, तो वे जातकों को रंक से राजा बना देते हैं।
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एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको शनि के कुंभ राशि में अस्त के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, यह भी जानेंगे कि शनि अस्त होकर जातकों के जीवन और देश-दुनिया को कैसे प्रभावित करेंगे और उन प्रभावों से कैसे बचा जा सकता है।
शनि कुंभ राशि में अस्त: तिथि व समय
शनि एक ऐसा ग्रह है जो जीवन के अलग-अलग पड़ाव पर इंसान को महत्वपूर्ण सबक सिखाता है। 12 राशियों में से मकर और कुंभ राशि पर शनि देव का आधिपत्य है। शनि देव तुला राशि में उच्च के होते हैं और मेष में नीच के होते हैं। अगर नक्षत्रों की बात करें तो, शनि पुष्य नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र और उत्तरा-भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी हैं और इन्हें एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने में लगभग 2.5 वर्ष लगते हैं। इनके प्रत्येक गोचर से दुनियाभर में बदलाव देखने को मिलते हैं। वैदिक ज्योतिष में शनि गोचर को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है और यह शुक्र के स्वामित्व वाली राशि में जन्मे जातकों को शुभ फल देते हैं।
शनि धीमी गति से चलने वाला एक कठोर ग्रह है जो इंसान को कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। अब शनि 30 जनवरी 2023 की रात 12 बजकर 02 मिनट पर कुंभ राशि में अस्त हो जाएंगे। आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि हमारे जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ने वाला है।
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शनि कुंभ में अस्त का महत्व
30 जनवरी, 2023 को शनि कुंभ राशि में अस्त होंगे। जैसे कि हम जानते हैं कि शनिदेव को न्याय और अनुशासन अति प्रिय है। शनि एक ऐसा ग्रह है जो व्यक्ति को जीवन में अनुशासित रहना सिखाता है और इनकी कृपा से व्यक्ति सीमा में रहकर काम करना भी सीखता है। ये हमें हमारी ऊर्जा को सही दिशा में ले जाने के लिए भी तैयार करते हैं। शनि व्यक्ति को अतीत और वर्तमान में किए गए गलत कार्यों के लिए दंडित करते हैं और अच्छे कर्म करने वाले लोगों पर कृपा करते हैं। आइए नज़र डालते हैं कि शनिदेव के कुंभ राशि में अस्त होने से आपके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ सकता है।
शनि कुंभ में अस्त: वैश्विक प्रभाव
- पेट्रोल या डीजल कारों के मुकाबले इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड लगातार बढ़ेगी क्योंकि यह प्रदूषण रोकने में ज्यादा कारगर है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण को लेकर कुछ नीतियां तैयार कर सकती हैं।
- बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से वैश्विक स्तर पर कुछ नीतियों को लागू किया जा सकता है, जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव भारत में देखने को मिलेगा।
- शनि के अस्त होने के कारण कुछ घटनाएं भारत की न्यायपालिका प्रणाली में कमियों को उजागर कर सकती है।
- प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार डीजल वाहनों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की नीतियां बना सकती हैं।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लेकर भी कुछ नए नियम लागू हो सकते हैं।
- दक्षिण पूर्वी देशों से व्यापार के अवसर मिल सकते हैं।
- पश्चिमी और दक्षिण पूर्व के देशों से भारत के संबंध मजबूत होने के आसार बहुत कम है।
- देश में व्यापार के संबंध में समग्र रूप से अच्छा विकास देखने को मिलेगा।
- खनन, लौह, चमड़ा, पेट्रोलियम आदि क्षेत्रों में विकास की गति धीमी रह सकती है।
- दुनियाभर में लोगों का अध्यात्म के प्रति झुकाव कम हो सकता है।
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शनि कुंभ में अस्त: सामान्य उपाय
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग और मेडिटेशन करें।
- भगवान शिव की पूजा करें।
- हर शनिवार को शनि के बीज मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का 108 बार जाप करें।
- गरीब और जरूरतमंदों की मदद करें। साथ ही भोजन, कपड़े और अन्य आवश्यक चीजें दान करें।
- दूसरों की मदद करें और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। इससे शनि देव की कृपा हमेशा आप पर बनी रहेगी।
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