आपको जानकर बेशक हैरानी होगी की भारत के उत्तर में केदारनाथ से लेकर दक्षिण में रामेश्वरम तक कुल साथ शिव मंदिर हैं जो एक कतार में स्थित हैं। इन दोनों ज्योतिर्लिंगों के बीच में स्थित पांच शिव मंदिरों को खासतौर से इस संसार के निर्माण करने वाले पंच तत्वों का प्रतिनिधि माना जाता है। जी हाँ बता दें कि, इन पाँचों शिव मंदिरों को जल, वायु, आकाश, अग्नि और धरती का प्रतिनिधित्व प्राप्त है। इन पाँचों शिव मंदिरों में से चार शिव मंदिर तमिलनाडु में और एक आंध्र प्रदेश में स्थित है। आज हम आपको इस पाँचों शिव मंदिरों की ख़ासियत और उसके महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं। तो देर किस बात की आइये जानते हैं इन पांच मंदिरों की ख़ासियत और उससे जुड़े अहम् तथ्यों को।
केदारनाथ और रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के बीच स्थित हैं ये पांच प्रमुख शिव मंदिर
श्रीकालहस्ती मंदिर
बता दें कि शिव जी का ये मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुपति से करीबन 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर को मुख्य तौर पर पंच तत्वों में से वायु का प्रतिनिधि माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि आज से कई वर्ष पहले पांचवीं शताब्दी में इस मंदिर में खासतौर से राहु और केतु दोषों को दूर करने के लिए पूजा अर्चना की जाती थी। जीवन में आने वाले राहु काल शांति की पूजा भी इस मंदिर में करवाई जाती थी।
एकम्बेश्वरनाथ मंदिर
पंच तत्वों में से पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करने वाला ये मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी मंदिर में पार्वती माता ने बालू या रेत से शिवलिंग की स्थापना कर शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। कांचीपुरम स्थित ये शिव मंदिर करीबन 25 एकड़ में बना है। शिव जी के इस ग्यारह मंजिला मंदिर की ऊंचाई करीबन 200 फ़ीट है। इस मंदिर को शिव जी के प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है।
अरुणाचलेश्वर मंदिर
बता दें कि शिव जी का ये विशेष मंदिर तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में अरुणाचल की पहाड़ी पर स्थित है। शिव जी का ये प्रमुख मंदिर असल में अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। पौराणिक साक्ष्यों के अनुसार इस शिव मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में चोल वंश के राजाओं ने किया था। इस मंदिर में भक्त अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ती के लिए शिव जी की पूजा अर्चना करने आते हैं।
जम्बूकेश्वर मंदिर
शिव जी का ये मंदिर असल में तमिलनाडु के थिरुवनाईकवल जिले में स्थित है। इस जगह को त्रिची नाम से भी जाना जाता है। पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार शिव जी का ये मंदिर आज से करीबन 1800 वर्ष पुराना है। सभी पंच तत्वों में से इस मंदिर को विशेष रूप से जल का प्रतिनिधि माना जाता है।
थिल्लई नटराज मंदिर
शिव जी के नटराज रूप का ये मंदिर तमिलनाडु के चिदंबरम में स्थित है। बता दें कि प्रसिद्ध भारत मुनि द्वारा शिव जी के बताये गए सभी 108 रूपों की पूजा इस मंदिर में की जाती है। यहाँ शिव के सभी रूप देखने को मिलते हैं। इस मंदिर का निर्माण दशवीं शताब्दी में चोल वंश के राजाओं द्वारा करवाया गया था।