भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना यानी सावन का महीना शुरू होने को है। ऐसे में इस दौरान भगवान शिव के भक्त महादेव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद अपने जीवन में बनाए रखने की हर मुमकिन कोशिश करते हैं। इन्हीं कोशिशों में एक है भगवान शिव की सबसे प्रिय वस्तु रुद्राक्ष धारण करना।
हालांकि हर एक रत्न की तरह यदि रुद्राक्ष को भी गलत तरीके, गलत दिन, गलत विधि से धारण किया जाए तो इससे व्यक्ति के जीवन में अनुकूल की जगह प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगते हैं। ऐसे में आज अपने इस विशेष ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि सावन के महीने में यदि आप रुद्राक्ष धारण करने का विचार बना रहे हैं तो आपको किन नियमों का पालन करना होगा, आपको किन बातों का ध्यान रखना होगा, और साथ ही इसे धारण करने की सही विधि क्या है।
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साथ ही हम आपको बताएंगे कि किस रुद्राक्ष को पहनने से या धारण करने से कैसे फल की प्राप्ति होती है।
भगवान शिव और रुद्राक्ष का रिश्ता
सबसे पहले सवाल उठता है कि, आखिर रुद्राक्ष और भगवान शिव का रिश्ता क्या होता है? ऐसे में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बात करें तो रुद्राक्ष के बारे में कहा जाता है कि इसमें साक्षात महादेव वास करते हैं। यही वजह है कि रुद्राक्ष और महादेव का संबंध अटूट माना गया है।
इसी मान्यता के चलते धार्मिक दृष्टिकोण से भी रुद्राक्ष को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। कहते हैं रुद्राक्ष की पूजा करने, जप करने और इसे धारण करने से मनुष्य को करोड़ों पुण्य की प्राप्ति होती है। विशेष तौर पर सावन के पावन महीने में रुद्राक्ष की आराधना करना और उसे धारण करना बेहद शुभ माना गया है।
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सावन में रुद्राक्ष धारण करते समय इन बातों का रखें विशेष ख्याल
कहा जाता है कि रूद्राक्ष हमेशा लाल रंग के ही धागे में धारण करना चाहिए। इसके अलावा यदि आप सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं तो सावन महीने के सोमवार का दिन या फिर शिवरात्रि का दिन इसके लिए बेहद ही शुभ माना गया है। रुद्राक्ष धारण करने से पहले इसे शिवलिंग के समक्ष रख दें और शिव मंत्रों का जाप करें और तब इसे धारण करें।
रुद्राक्ष का महत्व: रुद्राक्ष को न केवल भगवान शिव का सबसे खास और प्रिय आभूषण कहा जाता है बल्कि ऐसी भी मान्यता है कि जिस घर में रुद्राक्ष की नियमित रूप से पूजा की जाती है वहां आरोग्य का वास होता है। रुद्राक्ष, धारण करने वाले व्यक्ति को दीर्घायु प्रदान करता है। इसके अलावा इसे धारण करने से मन को शांति मिलती है और मानसिक परेशानियों से मुक्ति भी मिलती है। समस्याएं हृदय रोग की हो या फिर अशुभ ग्रहों के प्रभाव की रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को इन मुद्दों पर भी लाभ प्राप्त होता है। इसके साथ-साथ रुद्राक्ष व्यक्ति के तेज और ओज में वृद्धि कराता है और पापों का नाश करता है।
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रुद्राक्ष धारण करने की सही विधि
यदि आप भी सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करने जा रहे हैं तो उससे पहले उसकी सही विधि जान लें:
- रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसे विधिवत अभिमंत्रित करना चाहिए।
- इसके लिए पंचामृत के मिश्रण में रुद्राक्ष को स्नान कराएं और फिर गंगाजल से स्नान कराएं।
- इसके बाद घर की पूजा वाली जगह पर या शिव मंदिर में गाय के दूध से बने शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- अष्टगंध या फिर चंदन लेकर रुद्राक्ष को पूजा स्थल पर लाल साफ कपड़े पर रख दें।
- इसके बाद हाथ में थोड़ा सा गंगाजल लेकर संकल्प लें। (हे त्रिदेव मैं (अपना नाम और गोत्र बोलें) भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्ति हेतु व मनवांछित फल की प्राप्ति के लिए इस रुद्राक्ष को अभिमंत्रित कर रहा /रही हूं, यह मेरे काम में मुझे पूर्णता प्रदान करें।) ऐसा कहते हुए जल को नीचे जमीन पर छोड़ दें और इसके बाद ही रुद्राक्ष धारण करें।
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रुद्राक्ष धारण करने के नियम
- रुद्राक्ष धारण करने जा रहे हैं तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि, रुद्राक्ष हृदय पर, गले में, और हाथों में धारण करना चाहिए।
- कलाई में रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं तो इसमें रुद्राक्ष के 12 दाने होने चाहिए, गले में धारण कर रहे हैं तो 36 दाने होने चाहिए, और यदि आप इसे हृदय में रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं तो 108 रुद्राक्ष के दाने धारण करने की सलाह दी जाती है।
- हालांकि बहुत से लोग केवल एक रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं। ऐसे में इस बात को सुनिश्चित करें कि वह आपके हृदय तक अवश्य पहुंच रहा हो।
- रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
- ऐसे लोगों को सात्विक भोजन और सात्विक जीवन शैली का पालन करने की सलाह दी जाती है।
- इसके साथ ही सावन के महीने में शिवरात्रि, सोमवार, और प्रदोष का दिन रुद्राक्ष धारण करने के लिए सबसे उपयुक्त बताया गया है।
- यहाँ इस बात का भी ध्यान रखें कि आप जो भी रुद्राक्ष धारण करने जा रहे हैं वह कहीं से भी टूटा फूटा, खंडित या कीड़े लगा हुआ हुआ न हो।
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… तो इसलिए भगवान शिव को बेहद प्रिय है रुद्राक्ष
रुद्राक्ष के बारे में ऐसी मान्यता है कि जब भगवान शिव और माता सती अलग हुए तो मां सती का वियोग भगवान शिव से सहन नहीं हुआ और उनकी आंखों से आंसू की धारा निकल पड़ी। भगवान शिव की आंखों से निकले इन्हीं आंसू से एक पेड़ का निर्माण हुआ। चूंकि रुद्र की आंखों से यह अक्ष (आँसू) निकले थे ऐसे में इससे बने पेड़ को रुद्राक्ष का नाम दिया गया। कहा जाता है रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव को सती माता की याद आती है और यही वजह है कि उन्हें रुद्राक्ष बेहद ही प्रिय होता है।
राशि अनुसार कौन सा रुद्राक्ष करें धारण
मेष राशि: आपके लिए 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ रहेगा।
वृषभ राशि: आपके लिए छह मुखी रुद्राक्ष धारण करना अनुकूल रहेगा।
मिथुन राशि: आपके लिए 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ परिणाम लेकर आएगा ।
कर्क राशि: 2 मुखी रुद्राक्ष आपके लिए बेहद अनुकूल रहेगा।
सिंह राशि: 12 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से आपके जीवन में शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।
कन्या राशि: आपको जीवन के विभिन्न मोर्चों पर लाभ प्राप्त करने के लिए 4 मुखी रुद्राक्ष धारण धारण करने की सलाह दी जाती है
तुला राशि: स्वास्थ्य लाभ और तमाम अन्य लाभ प्राप्त करने के लिए आपको छह मुखी रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है।
वृश्चिक राशि: जीवन के हर क्षेत्र में सफलता व तरक्की के लिए 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
धनु राशि: आपके लिए पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ रहेगा।
मकर राशि: आपके व्यक्तिगत विकास के लिए सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना बेहद शुभ साबित होगा।
कुंभ राशि: मनचाही सफलता प्राप्त करने के लिए आपको 7 मुखी रुद्राक्ष पहनने की सलाह दी जाती है।
मीन राशि: पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने से आपको महादेव का वरदान प्राप्त होगा और जीवन में सकारात्मक बदलाव आने लगेंगे।
सावन के आखिरी दिनों में रुद्राक्ष दान करने का महत्व
जी हां रुद्राक्ष को धारण करने के साथ-साथ के यदि इसका दान भी किया जाए तो इससे व्यक्ति के सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है। माना जाता है कि रुद्राक्ष को दान करने से व्यक्ति का ऐश्वर्य बढ़ता है। हालांकि इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अभिषेक, शिव पुराण कथा वाचन-श्रवण जप के बाद ही इसका दान करें। इससे दान का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
इसके अलावा यदि आप सावन के महीने में दीपदान करते हैं तो इससे भी शुभ फल की प्राप्ति होती है। श्रावण मास में नियमित रूप से दीपदान करने से भगवान शिव की प्रसन्नता हासिल होती है।
सावन में वृक्ष दान और पौधारोपण बेहद शुभ माना जाता है। कहते हैं श्रावण के महीने में यदि बिल्वपत्र, शमी वृक्ष, शिवलिंगी, आंवला आदि पौधों को लगाया जाए या इनका दान किया जाए तो इससे भी व्यक्ति को सुख समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है।
इसके अलावा महादेव को प्रसन्न करने के लिए सावन के आखिरी दिनों में गाय को हरी घास खिलाएं और गरीब लोगों को भोजन कराएं।
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