सावन का महीना शुरू हो चुका है जो भगवान शिव का सबसे प्रिय माह है। सावन से जुड़ी मान्यता है कि इस महीने शिव जी अपने भक्तों से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें मनचाहा फल प्रदान करते हैं। लेकिन, शायद ही आप जानते होंगे कि भोलेशंकर के भक्तों में सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि देव-दैत्यों से लेकर नवग्रह तक शामिल हैं इसलिए सावन के महीने में शिव पूजा से कुंडली में उपस्थित कई अशुभ दोषों और अशुभ ग्रहों के प्रभावों से मुक्ति मिल सकती है। एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग सावन में शिव पूजा से कैसे पा सकते हैं कुंडली में बनने वाले खतरनाक दोषों से छुटकारा आदि के बारे में जानकारी प्रदान करेगा। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की।
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जिन जातकों की कुंडली में अशुभ योग मौजूद होते हैं और तमाम उपायों के बाद भी आपको मनचाहे परिणाम नहीं मिल पाए हैं, तो इन दोषों के निवारण के लिए सावन का महीना बेहद शुभ है। इसकी वजह यह है कि भगवान शिव को सावन अतिप्रिय है। अगर किसी व्यक्ति को राहु-केतु और शनि जैसे क्रूर ग्रह कष्ट पहुंचा रहे हैं और आपके कार्यों में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं, तो सावन में शिव जी की पूजा एवं उपाय करने से न चूकें। सावन में भगवान शिव की शरण में जाने से अज्ञानी को विद्या, निर्धन को धन, निःसंतान दंपति को संतान, कन्या को मनचाहा वर तथा धर्म न जानने वाले को धर्म का ज्ञान प्राप्त होता है। लेकिन, सावन के इन उपायों को जानने से पहले हम आपको रूबरू करवाते हैं सावन कब से कब तक चलेगा।
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सावन 2024: कब से कब तक रहेगा?
सावन माह का इंतज़ार शिव भक्तों को पूरे साल बेसब्री से रहता है। इनकी आराधना भक्त के सभी संकट हरती है और मनोवांछित फल प्रदान करती है। सावन की बात करें, तो साल 2024 में सावन के महीने का आरंभ 22 जुलाई 2024, सोमवार के दिन से हो गया है और इसका समापन 19 अगस्त 2024, सोमवार के दिन ही होगा। इस दिन पूर्णिमा तिथि होगी और संपूर्ण देश में रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाएगा। इस बार का सावन 29 दिनों तक रहेगा, तो आपके पास शिवशंकर को प्रसन्न करने के लिए काफ़ी समय है।
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ग्रहों के दुष्प्रभाव से निजात दिलाएंगे शिव जी
जन्म कुंडली में कुछ अशुभ योग या ग्रहों की नकारात्मक स्थिति होने पर व्यक्ति को जीवनभर दुख, दर्द,, कष्ट, कलह और समस्याओं से जूझना पड़ता है। हालांकि, इन अशुभ दोषों और ग्रहों के दुष्प्रभावों से राहत के लिए सावन में शिव पूजन अवश्य करनी चाहिए। ऐसा करने से शुभ परिणाम मिलने लगते हैं।
- ज्योतिष के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में राहु-केतु के बीच में सभी ग्रह आ जाते हैं, तो इस स्थिति को कालसर्प दोष कहा जाता है। इसके परिणामस्वरूप, जातक दुखी एवं परेशान रहता है। कालसर्प दोष निवारण के लिए भगवान शिव के किसी प्राचीन मंदिर में शिव पूजा करने के साथ-साथ सर्पों की पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए।
- किसी जातक की जन्म कुंडली में लग्नेश अस्त, वक्री होकर छठे, आठवें, बारहवें में स्थित होते हैं या फिर राहु, केतु, शनि के भाव में बैठे हो या फिर लग्नेश छठे, आठवें, बारहवें भाव के स्वामी के साथ मौजूद हों, तो व्यक्ति को भगवान मृत्युंजय की पूजा करनी चाहिए।
- जिन जातकों की कुंडली में लग्नेश (लग्न भाव का स्वामी) कमज़ोर अवस्था में होता है और वह अथवा लग्न राहु-केतु के प्रभाव में होता है, तो जातक को भगवान शिव की आराधना से राहत मिलती है।
- आपकी कुंडली में लग्न/पहले भाव में राहु, केतु या शनि महाराज के बैठे होने पर जातक के लिए शिव पूजा करना बेहद आवश्यक होता है।
- अगर आप किसी भी तरह के रोग-बिमारी से छुटकारा, बार-बार होने वाली दुर्घटनाओं से मुक्ति और घातक दशाओं के प्रभाव का निवारण करना चाहते हैं, तो आपके लिए महामृत्युंजय मंत्र, मृतसंजीवनी स्तोत्र का पाठ करना सर्वश्रेष्ठ उपाय हैं।
- आपकी कुंडली में शनि देव के जन्म राशि से पहले, दूसरे और बारहवें भाव में मौजूद होने पर जातक शनि साढ़ेसाती के प्रभाव में रहता है। ऐसे में, गोचर में शनि महाराज अगर जातक की जन्म राशि से चौथे और आठवें भाव में विराजमान हों, तो जातक पर ढैय्या का प्रभाव देखने को मिलता है। इन दोनों ही स्थितियों में मृत्युंजय के रूप में भगवान शिव की पूजा करना श्रेष्ठ रहता है।
- ऐसे व्यक्ति जिनकी जन्म कुंडली में चौथे या पांचवें भाव में पापी ग्रह मौजूद हों या फिर चौथे भाव के स्वामी, चतुर्थेश और पांचवें भाव के स्वामी, पंचमेश, शनि या राहु के साथ कमज़ोर स्थिति में बैठे हैं, तो जातक ग्रहों के अशुभ प्रभावों से मुक्ति के लिए सावन में भगवान शिव की पूजा करें।
- कुंडली के आठवें भाव में लग्नेश या चंद्र देव राहु और सूर्य के साथ युति करते हैं, तो जातक को महादेव का पूजन करना चाहिए।
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सावन में नवग्रहों से जुड़े दोषों को दूर करने के लिए उपाय
बुध संबंधित दोष: कुंडली में बुध से जुड़ा दोष होने पर जातक को व्यापार, करियर और शिक्षा में समस्याएं आती हैं। ऐसे में, सावन में शिवलिंग पर दूर्वा चढ़ाना शुभ रहता है।
चंद्र संबंधित दोष: कुंडली में चंद्र देव से संबंधित दोष होने पर मानसिक समस्याएं परेशान करती हैं और इसके लिए हर सोमवार शिवलिंग पर दूध अर्पित करें।
सूर्य संबंधित दोष: सूर्य अशुभ या कमज़ोर होने पर व्यक्ति को अपमान का सामना करना पड़ता है। ऐसे में, सावन माह में शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं।
राहु-केतु संबंधित दोष: जिन जातकों की कुंडली के राहु-केतु अशुभ योग का निर्माण करते हैं, उन्हें स्वास्थ्य समस्याएं तंग करने लगती हैं। इससे बचाव के लिए भगवान शिव को धतूरा चढ़ाएं।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर 1. सावन माह की शुरुआत 22 जुलाई 2024 से हो गई है और इसका समापन 19 अगस्त को होगा।
उत्तर 2. इस माह में शिव जी को प्रसन्न करने के लिए भक्त प्रसिद्ध तीर्थों से जल भरकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जाते हैं और शिवलिंग पर अर्पित करते हैं।
उत्तर 3. सावन में शिव जी की पूजा से ग्रह दोष एवं ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है।