सावन में शिव और शनि देव को मनाने का आसान तरीका !

भगवान शिव का परम प्रिय महीना है सावन और इस सावन के महीने का शनि देव से भी बहुत ही गहरा संबंध है। इसलिए यदि सावन के महीने में शनि देव की कृपा प्राप्त करनी है शनि मंत्र जानना चाहते हैं, तो आपको कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं, जिन्हें करने से शनि देव महाराज शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपनी कृपा आप पर बरसायेंगे।

भगवान शिव और शनिदेव का संबंध

सबसे पहले यह जान लें कि भगवान शंकर जो समस्त संसार के लिए पूजनीय हैं, उन्होंने शनि देव को अपना शिष्य बनाया अर्थात शनि देव के गुरु हैं भगवान शिव। इसलिए कहा जाता है कि शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान शंकर की आराधना करनी चाहिए क्योंकि यदि गुरु प्रसन्न हैं, तो शिष्य भी प्रसन्न होंगे। सावन का महीना दोनों को प्रसन्न करने का सबसे सुंदर मौका प्रदान करता है।

सावन और शनि देव

जैसा कि आप जानते हैं कि सावन का महीना भगवान शंकर को अत्यंत प्रिय है। इसलिए सावन का महीना भगवान शनि को प्रसन्न करने के लिए भी एक अद्भुत अवसर प्रदान करता है। जिस प्रकार सावन के प्रत्येक सोमवार को भगवान शंकर के लिए व्रत रखा जाता है और प्रत्येक मंगलवार को माता गौरी की प्रसन्नता के लिए मंगला गौरी व्रत रखा जाता है, ठीक उसी प्रकार शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए सावन के प्रत्येक शनिवार को शनि संपत व्रत रखा जाता है। इस व्रत के फलस्वरूप शनिदेव का कोप शांत होता है और जन्म कुंडली में शनि देव द्वारा जनित दोषों का शमन होता है। सावन के प्रत्येक शनिवार को संपत शनिवार कहा जाता है यही वजह है कि इस व्रत को रखने से ना केवल उत्तम आरोग्य की प्राप्ति होती है बल्कि धन-संपत्ति की प्रबलता भी मिलती है।

सावन और शनिदेव का ज्योतिषीय संबंध

सावन वर्षा ऋतु के आगमन का प्रतीक है और चारों ओर वर्षा का जल होता है। इसी वजह से प्रकृति की अद्भुत छटा देखने को मिलती है, लेकिन ऐसे में चारों ओर जल ही जल हो जाता है और वातावरण में जल तत्व की वृद्धि हो जाती है तथा वायु तत्व में कमी आ जाती है। ऐसी स्थिति में प्राणियों का स्वास्थ्य कमजोर होने लगता है और पाचन तंत्र तथा स्नायु तंत्र आदि से संबंधित समस्याएं परेशान करने लगती हैं।

इन सभी समस्याओं की समाप्ति और उत्तम स्वास्थ्य प्राप्ति के लिए शनि देव की आराधना करनी चाहिए, क्योंकि शनि देव की प्रकृति वायु तत्व की है अर्थात शनि देव वायु तत्व पर अपना आधिपत्य रखते हैं, इसलिए शनि देव की कृपा से वातावरण में वायु तत्व की भी वृद्धि हो जाती है और पारिस्थितिक संतुलन बनने से सभी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।

सावन में शनि देव की आराधना कैसे करें

  • सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत्त होकर प्रातः काल ही भगवान शंकर की उपासना करें।
  • इसके बाद संध्या समय में किसी शनि मंदिर अथवा पीपल के वृक्ष के निकट जाएं और उसकी जड़ में एक सरसों के तेल का बड़ा सा दीपक जलाएं ।
  • दीपक जलाने के उपरांत भगवान शंकर के पंचाक्षरी मन्त्र का जाप करें।
  • उसके बाद शनि देव मंत्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः का जाप करें। यह शनि देव का बीज मंत्र है।
  • इसके अतिरिक्त आप ॐ शं शनैश्चराय नमः मन्त्र का जाप भी कर सकते हैं।
  • सर्वप्रथम भगवान शिव से आशीर्वाद मांगे और संभव हो तो रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्त्रोत्र का पाठ करें।
  • इसके बाद शिव जी प्रार्थना करें कि आप के शिष्य शनि मुझ पर कृपा करें।
  • उसके बाद भगवान शनि से प्रार्थना करें कि आपके जीवन की सभी समस्याओं को दूर करें और सभी दोषों से छुटकारा दिलायें तथा आपको उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें।
  • यदि आप अपार लक्ष्मी प्राप्त करना चाहते हैं, तो जब सरसों के तेल का दीपक पीपल वृक्ष के नीचे जलायें तो माता महालक्ष्मी के मंत्र ॐ श्रीं नमः अथवा ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः का जाप भी करें।
  • उसके बाद किसी निर्धन व्यक्ति अथवा दिव्यांगजन को भोजन कराएं या भोजन के निमित्त दक्षिणा दें।
  • आप सावन के महीने में शनिवार के दिन छाया पात्र का दान भी कर सकते हैं। जो भी प्राणी सावन के दिनों में शनिवार को छाया पात्र का दान करता है उससे शनि देव अति शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और मनचाहा फल प्रदान करते हैं।

सावन के महीने में शनिदेव की कृपा पाने के कुछ विशेष और आसान उपाय

  • यदि बहुत समय से आपका कोई काम अटका हुआ है तो आपको एक लोहे की कटोरी लेनी चाहिए और उसमें सरसों का तेल भर लें। तेल भरने के बाद उसमें अपनी मध्यमा उंगली डाल कर शनि मंत्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः का जाप करें। मंत्र जाप के बाद कटोरी समेत तेल का दान कर दें। यह उपाय प्रत्येक शनिवार को करें।
  • यदि आपकी नौकरी ना लग रही हो तो, संपत शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष की तीन बार परिक्रमा करें और उसके तने पर काला धागा लपेटें। इसके बाद पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। अतिशीघ्र आपको नौकरी मिलेगी।
  • यदि धन संपत्ति से संबंधित कोई समस्या है, तो शनिवार को संध्या काल में नीम की लकड़ी को हवन कुंड में इस्तेमाल करें और काले तिल से 108 आहुतियां देकर हवन करें। इस दौरान ॐ शं शनैश्चराय स्वाहा मंत्र का जाप करें।
  • शनिदेव की विशेष कृपा पाने के लिए शनिवार के दिन शिवलिंग का सरसों के तेल से अभिषेक करें और संपत शनिवार को व्रत रखें और एक समय ही भोजन ग्रहण करें।
  • यदि आप पर शनिदेव की साढ़ेसाती, ढैय्या, पनौती अथवा कंटक शनि का प्रभाव चल रहा है तो आप उपरोक्त उपाय करके अपने कष्टों को कुछ हद तक कम कर सकते हैं।

यदि आप उपरोक्त उपाय यदि आप ऊपर बताए गए उपाय करते हैं, तो भगवान शिव की आज्ञा और शनिदेव की कृपा से आपके जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी और आपको उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होगी तथा जीवन में लक्ष्मी की कभी कमी नहीं रहेगी।

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