मांगलिक कन्याएं अपनी कुंडली से मंगल दोष हटाने के लिए ज़रूर करें ये व्रत, जानें पूजन विधि

भगवान शिव जी की पत्नी माँ पार्वती को समर्पित सौभाग्य सुंदरी का व्रत बहुत ही ख़ास और सौभाग्य प्रदान करने वाला बताया गया है। इस दिन जहाँ सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करते हुए ये व्रत रखती हैं वहीँ अच्छे पति की कामना करने वाली कुंवारी लड़कियों के बीच भी इस व्रत का काफी महत्व होता है। सिर्फ इतना ही नहीं अगर निःसंतान दंपत्ति भी इस व्रत में माता पार्वती की पूजा अर्चना करें तो माता रानी उनकी भी मनोकामना पूरी कर के उन्हें संतान का सुख अवश्य देती हैं। अगर किसी कन्या की राशि में मंगल दोष होता है तो उन्हें भी ये व्रत रखने से माता के सौभाग्य के इस दोष से मुक्ति मिल जाती है।  

माँ पार्वती ने की थी इस व्रत की शुरुआत 

इस व्रत के बारे में ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव को अपने पति के रूप में हासिल करने के लिए माता पार्वती ने इस व्रत की शुरुआत की थी।  इस व्रत के फल से ही शिव जी माता पार्वती के साथ विवाह बंधन में बंधे। इसी तरह पुनर्जन्म में भी पार्वती रूप में भी उन्होंने पुन: भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर साधना की। इस व्रत के बारे में कहा जाता है कि अगर इस व्रत को पूरी निष्ठा के साथ किया जाए तो वैवाहिक जीवन में आने वाली किसी भी समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। 

इस व्रत ,में शिव परिवार की पूजा की जाती है। जो कोई भी शिव परिवार की पूजा करता है उनके जीवन में कभी भी धन और ऐश्वर्य की कमी नहीं होती है। ऐसे लोगों का घर हमेशा ही धन और अन्न से भरा रहता है। सौभाग्य सुंदरी के इस व्रत में नौ ग्रहों की पूजा भी की जाती है। इस व्रत को रखने वाली महिलाएं इस दिन तिल मिश्रित जल से भगवान शिव और माता पार्वती को स्नान कराती हैं। 

पूजा पूरी होने के बाद ब्राह्मणों को अपनी इच्छा-शक्ति के अनुसार दान-दक्षिणा देने की मान्यता है। इस व्रत में दिन के एक समय ही भोजन करना चाहिए और वो भोजन दूध से ही बना होना चाहिए।

कैसे करें इस व्रत की पूजा? 

सौभाग्य सुंदरी की पूजा में माता गौरी और शिव भगवान की पूजा की जाती है। इस व्रत की पूजन सामग्री में फूलों की माला, फल, भोग के लिए लड्डू, पान, सुपारी, इलायची, लोंग के साथ ही सोलह श्रंगार की चीज़ें भी खासतौर पर माता रानी को चढ़ाई जाती है। सोलह श्रृंगार की चीज़ों में लाल साड़ी, चूडियां, बिंदी, कुमकुम, मेंहदी, पायल जैसे सुहाग से जुड़ी चीज़ें होती हैं। इस पूजा में शिव जी के पूरे परिवार की पूजा करने के बाद नौ ग्रहों की पूजा भी की जाती है।

व्रत का फ़ल:

इस व्रत को सुहागिन महिलाएं रखती हैं तो उनके पति की लंबी उम्र की कामना पूरी हो जाती है।  

इस व्रत को कुंवारी लड़कियाँ रखती हैं तो उन्हें अच्छा और सुन्दर पति मिलता है। 

इस व्रत को मांगलिक कन्याएं रखती हैं तो उनकी कुंडली से ये मंगल दोष दूर हो जाता है। 

साथ ही विवाहित स्त्रियां अपने अच्छे दांपत्य जीवन की मनोकमना रखते हुए भी इस व्रत को रखती हैं। माता पार्वती के आशीर्वाद से उनके जीवन में सब मंगल ही होता है। 

इसके अलावा अगर किसी पति-पत्नी को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो पा रही है तो वो भी इस व्रत को रख सकते हैं।  इस व्रत के फल से माता पार्वती उनकी भी मनोकामना पूरी कर के उन्हें संतान का सुख अवश्य देती हैं।