जानें सत्यनारायण व्रत इस माह कब है, और क्या है इसकी पूजा विधि

साल 2019 के सितंबर माह में सत्यनरायण का व्रत 13 सितंबर को रखा जाएगा। सनातन धर्म के लोगों के बीच इस कथा का बड़ा महत्व है। शास्त्रों के अनुसार सत्य को भगवान विष्णु के रुप में पूजा जाना ही सत्यनारायण है। वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार सत्यनाराय़ण का अर्थ है कि, सृष्टि में केवल नारायण यानि भगवान विष्णु ही सत्य हैं बाकी सब मोह है। सत्यनारायण का व्रत हर माह आता है और लोगों द्वारा पूरे विधि-विधान से इस व्रत को रखा जाता है। सत्यनारायण का व्रत रखने से इंसान जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और उसे भगवान विष्णु के चरणों में जगह मिलती है।

सत्यनारायण के व्रत के दिन भगवान विष्णु के अन्य अवतारों जैसे कृष्ण, राम और वामन अवतार की भी पूजा करना शुभ माना गया है। इस व्रत को यदि कोई सच्चे मन से रखे तो वह मोह के बंधनों से छूट जाता है। इस व्रत को रखने से जातकों को असीम आनंद की प्राप्ति होती है और मन में शांति का वास होता है।

सत्यनारायण व्रत पूजा विधि एवं व्रत सामग्री

भगवान को प्रसन्न करने के लिये यूं तो आपका स्वच्छ मन ही काफी है लेकिन हिंदू शास्त्रों में भगवान को प्रसन्न करने के कुछ विधि-विधान भी बनाए गये हैं। इसी तरह सत्यनारायण भगवान के व्रत के दौरान भी कुछ बातों का ध्यान व्रतधारी को रखना चाहिये। व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्वच्छ हो जाना चाहिये। इसके बाद पूजा के लिये चावल, कपूर, धूप, दीया, श्रीफल, ऋतुफल, नैवेद्य, आम के पत्ते, वस्त्र, फूल इत्यादि पूजा स्थल पर रख लेने चाहिये। पूजा स्थल पर भगवान सत्यनारायण की कोई प्रतिमा या तस्वीर भी अवश्य होनी चाहिये।

सत्यनारायण के व्रत के दिन सुबह के समय तो भगवान सत्यनारायण की पूजा होनी ही चाहिये इसके अलावा शाम के वक्त भी पूरे विधि-विधान के साथी पूजा अर्चना और सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ होना चाहिये। शाम के समय आपको एक चौकी पर भगवान सत्यनारायण की तस्वीर या प्रतिमा रखनी चाहिये। इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेश को पूजा जाना चाहिये और उसके बाद सत्यनारायण भगवान का ध्यान किया जाना चाहिये। व्रत वाले दिन भगवान सत्यनारायण के साथ-साथ यदि आप भगवान राम और कृष्ण का भी ध्यान करते हैं तो आपके लिये शुभ रहेगा। पूजा के बाद व्रत कथा की जानी चाहिये. कथा सुनने में जो भी व्यक्ति दिलचस्पी ले उसे सादर आमंत्रित किया जाना चाहिये। कथा के बाद भगवान सत्यनारायण की पूजा करनी चाहिये और सबमें प्रसाद बांटना चाहिये। ले पूजा समाप्ति के बाद भगवान सत्यनारायण से प्रार्थना करें की वो आपकी मनोइच्छा को पूर्ण करें। इस दिन यदि आप जरुरतमंदों और ब्राह्मणों की सेवा करते हैं तो आपको मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।