आश्विन महीने की अमावस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। इस अमावस्या को अमावस्या श्राद्ध या महालया अमावस्या भी कहते हैं। सनातन धर्म के अनुसार इस दिन लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिये दान, पुण्य कर्म, तर्पण, भंडारा इत्यादि करते हैं। सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है, जिनके निधन की तिथि मालूम नहीं होती है या आपको अपने पितर ज्ञात नहीं हैं। माना जाता है कि इस दिन श्राद्ध करने से पुण्य लाभ कई गुना बढ़ जाता है। पितृ पक्ष का यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
खास बात यह है कि इस बार सर्व पितृ अमावस्या पर बेहद शुभ योग का निर्माण हो रहा है और इस योग में अपने पितरों का श्राद्ध करने से आपकी हर मनोकामना पूरी होगी। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं सर्वपितृ अमावस्या 2023 की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, प्रचलित पौराणिक कथा और ज्योतिष उपाय के बारे में।
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सर्वपितृ अमावस्या 2023: तिथि व समय
इस साल सर्वपितृ अमावस्या 2023, शनिवार, 14 अक्टूबर के दिन मनाई जाएगी।
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 13 अक्टूबर 2023 की रात 09 बजकर 53 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 14 अक्टूबर 2023 की रात 11 बजकर 27 मिनट तक
सर्व पितृ अमावस्या 2023 शुभ मुहूर्त
सर्व पितृ अमावस्या के मुहूर्त के लिए कुतुप और रोहिणी मुहूर्त के साथ अपराह्न काल को भी शुभ माना जाता है।
कुतुप मुहूर्त: 14 अक्टूबर की सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक।
अवधि: 00 घंटे 48 मिनट
रोहिणी मुहूर्त: 14 अक्टूबर की दोपहर 12 बजकर 32 मिनट से दोपहर 01 बजकर 20 मिनट तक।
अवधि: 00 घंटे 48 मिनट
अपराह्न काल: 14 अक्टूबर की दोपहर 01 बजकर 20 मिनट से दोपहर 3 बजकर 43 मिनट तक।
अवधि: 02 घंटे 23 मिनट
सर्वपितृ अमावस्या पर बन रहा है ख़ास योग
इस बार सर्वपितृ अमावस्या पर ऐन्द्र योग का बन रहा है। ऐन्द्र योग को ज्योतिष में बहुत शुभ माना गया है। इस योग में किए गए सभी कार्य पूर्ण होते हैं और उन कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। जब भी ऐन्द्र योग किसी जातक की कुंडली में बनता है, तो उस जातक को जीवन में खूब तरक्की प्राप्त होती है।
ऐन्द्र योग प्रारंभ: 13 अक्टूबर की रात 10 बजकर 04 मिनट से
ऐन्द्र योग समाप्त: 14 अक्टूबर की रात 10 बजकर 23 मिनट तक।
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सर्वपितृ अमावस्या का महत्व
सर्वपितृ अमावस्या उन लोगों के लिए अत्यधिक उपयुक्त है जिन्हें अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के बारे में जानकारी नहीं होती है, या वे श्राद्ध पक्ष के अन्य दिनों में तर्पण और पिंडदान करने में असमर्थ होते हैं। ऐसा माना जाता है कि पूर्वजों की आत्मा सर्वपितृ अमावस्या यानी भाद्रपद महीने की अमावस्या के दिन श्राद्ध या तर्पण की अपेक्षा से अपने वंशज के घर जाती है। लेकिन वहीं यदि पितरों का पिंडदान नहीं किया गया तो उनकी आत्मा दुखी होकर वापस चली जाती है इसलिए, सर्व पितृ अमावस्या के दिन अपने पितरों का श्राद्ध करना बेहद जरूरी माना जाता है।
सर्वपितृ अमावस्या की विधि
- इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि कर खुद को शुद्ध कर लें।
- फिर सूर्यदेव को जल दें।
- पूरी, खीर, सब्ज़ी, चावल आदि भोजन बनाएं।
- अपने पितरों को याद करें और उन्हें अपने हाथों से बनाया हुआ भोजन स्वीकार करने के लिए प्रार्थना करें।
- ब्राह्मण को आदर सत्कार के साथ भोजन कराएं।
- भोजन कराने के बाद ब्राह्मण को अपनी इच्छानुसार दान, दक्षिणा, आदि दें व् उनका आशीर्वाद लें।
- इस दिन गायें, कुत्तों व् कौए को भोजन अवश्य खिलाएं।
- इसके अलावा, सर्व पितृ अमावस्या के दिन हरे चारे का दान ज़रूर करें।
- इस दिन घर के दरवाज़े पर पानी व खाने की वस्तुएं ज़रूर रखें।
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सर्वपितृ अमावस्या की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में अग्निष्वात और बर्हि पद नाम के पितृ देव थे। उनकी मानस कन्या थीं जिसका नाम अक्षोदा था। अक्षोदा ने अश्विन मास की अमावस्या पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए तप किया था। तपस्या से प्रसन्न होकर सभी पितर देवता अक्षोदा के सामने प्रकट हुए। उस समय अक्षोदा का पूरा ध्यान एक तेजस्वी पितर अमावसु की ओर ही था और वह उन्हें एक टक निहारती रहीं और अमावसु से कहा कि, ‘वरदान में आप मुझे स्वीकारें, मैं आपका संग चाहती हूं।’ अक्षदा की ये बात सुनकर सभी पितर देवता क्रोधित हो गए। उन्होंने उसे श्राप दिया कि वह पितृलोक से पृथ्वी लोक जाएगी। ये सुनकर अक्षोदा को अपनी गलती का अहसास हुआ और वह क्षमा मांगने लगी। तब पितरों ने दयाकर उससे कहा कि वह मत्स्य कन्या के रूप में जन्म लेगी। भगवान ब्रह्मा के वंशज महर्षि पाराशर उस मत्स्य कन्या को पति रूप में मिलेंगे और उसके गर्भ से भगवान वेद व्यास जन्म लेंगे। इसके बाद वह श्राप मुक्त होकर पितर लोक में वापस आ जाएगी।
सभी पितरों ने अमावसु की खूब प्रशंसा की और उन्हें वरदान दिया कि आपने सौंदर्य और स्त्री के आगे अपने मन को भटकने नहीं दिया और अपने संयम पर नियंत्रण रखा इसलिए आज से ये तिथि आपके नाम से अमावसु के रूप में जानी जाएगी। मान्यता है कि तभी से ये दिन सर्व पितृ अमावस्या के रूप में जानी गई।
सर्वपितृ अमावस्या के दिन करें ये काम
सर्वपितृ अमावस्या के दिन कुछ ऐसे कार्य है जिसे करने से पितरों का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं उन कार्यों के बारे में।
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा जरूर करनी चाहिए। माना जाता है कि पीपल के पेड़ पर देवी-देवताओं के साथ-साथ पितरों का भी वास होता है इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जरूर जलाएं।
- किसी कारणवश अगर आप पितृपक्ष में तर्पण नहीं कर पाएं हैं, तो इस विशेष दिन तर्पण जरूर करें।
- इस दिन किसी पवित्र नदी, जलाशय या कुंड में स्नान जरूर करें। यदि ये संभव न हो तो स्नान करते समय पानी में गंगाजल मिला लें।
- इस दिन पितरों के नाम का दान जरूर करें।
- सर्वपितृ अमावस्या पर शाम के समय दीपक जलाकर दरवाजे पर पूड़ी और अन्य मिष्ठान रखें। माना जाता है कि ऐसा करने से पितृगण आपके घर से भूखे नहीं जाते हैं और दीपक की रोशनी में पितरों को जाने का रास्ता दिखाया जाता है।
- इस दिन ब्राह्मणों को भोजन जरूर करवाएं।
इस दिन इन कार्यों को करने से बचें
- सर्वपितृ अमावस्या के दिन अपने घर से किसी को भी खाली हाथ न लौटने दें। अगर कोई गरीब, जरूरतमंद आपके द्वार में आता है तो उसे खाना खिलाकर ही भेजें।
- इस दिन किसी का भी भूलकर कर अपमान न करें क्योंकि इससे पितर नाराज हो जाते हैं।
- सर्वपितृ अमावस्या के दिन तामसिक भोजन का सेवन न करें। इसके अलावा, कुलथी, मसूर की दाल और अलसी का सेवन करने से बचें।
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सर्वपितृ अमावस्या के दिन जरूर करें ये उपाय, दूर होंगे सारे कष्ट!
इस दिन कई उपायों को अपनाने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं। तो आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में:
पितरों का तर्पण करें
आप यदि पितृ पक्ष में अपने पितरों का तर्पण नहीं कर पाए हैं तो इस दिन जल के पात्र में तिल डालकर पितरों का स्मरण करते हुए तर्पण आदि करें। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष से भी छुटकारा पाया जा सकता है।
इन चीज़ों का करें दान
सर्वपितृ अमावस्या के दिन मंदिर में चावल, नमक, आटा, गुड़, उड़द की दाल और घी का दान करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन में शांति बनी रहती है और व्यक्ति के हर काम अपने आप बनने लगते हैं।
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गाय को खिलाएं पालक
सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए व आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए इस दिन गाय को हरी पालक जरूर खिलाएं। ऐसा करना आपके लिए फलदायी साबित होगा।
पीपल के वृक्ष की पूजा करें
इस दिन सुबह व शाम पीपल के पेड़ की पूजा करें और जल चढ़ाएं। साथ ही, घी का दीपक जलाएं और 11 व 21 बार पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करें।
इस मंत्र का जाप करें
इस दिन किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान जरूर करें और इस दौरान ‘ॐ पितृ गणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
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