हिंदू धर्म में अनेकों देवी-देवता हैं। अधिकांश देवताओं की पूजा-पाठ के लिए कोई न कोई दिन निर्धारित किया गया है। शुक्रवार के दिन माता संतोषी की पूजा की जानी चाहिए। सुख-संतोष की देवी माता संतोषी के पिता गणेश और माता रिद्धि-सिद्धि हैं।
संतोषी का अर्थ होता है सभी इच्छाओं को पूरा कर संतोष प्रदान करने वाली। माँ संतोषी को माँ दुर्गा के सबसे शांत और कोमल रूपों में से एक माना जाता है। इनका रूप बेहद सौम्य होता है, और ये क्षीर सागर में कमल के फूल पर वास करती हैं ।
माता संतोषी को प्रसन्न्ता, सुख-शांति और मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली देवी माना गया है। शुक्रवार के दिन भक्त माता को प्रसन्न करने के लिए विधि-विधान से उनकी पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। माता संतोषी के अलावा शुक्रवार के दिन कुछ लोग भगवान शुक्र और वैभवलक्ष्मी देवी की भी पूजा करते हैं। माता संतोषी बहुत ही जल्दी प्रसन्न होने वाली देवी हैं, जिनकी पूजा से घर में सुख-शांति बनी रहती है और कभी भी धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। तो चलिए आज हम आपको अपने इस लेख के द्वारा बताते हैं शुक्रवार के दिन किये जाने वाले माँ संतोषी व्रत की पूजा विधि और व्रत के दौरान रखी जाने वाली सावधानियां-
ऐसे हुआ माँ संतोषी का जन्म
संतोषी माता भी ऐसी ही एक देवी हैं, जिनका पुराणों में ज़्यादा ज़िक्र नहीं किया गया है। ऐसा माना जाता है कि एक बार भगवान गणेश अपनी बहन मनसा देवी के साथ रक्षाबंधन का त्यौहार मना रहे थे पिता की कलाई पर राखी बंधते देख गणपति के दोनों पुत्र “शुभ और लाभ” ने यह त्यौहार मनाने की इच्छा ज़ाहिर की और भगवान गणेश से एक बहन माँगा। बहन “मनसा देवी”, पत्नी “रिद्धि-सिद्धि” और पुत्र “शुभ-लाभ” के कहने पर गणेश ने एक कन्या उत्पन्न की, जिनका नाम “संतोषी” रखा और इस तरह माँ संतोषी का जन्म हुआ ।
माँ संतोषी व्रत की पूजा-विधि
- इस व्रत में प्रातः काल स्नान आदि करने के बाद संतोषी माता को प्रणाम करें।
- पूजा की शुरुआत में माता को रोली, मोली और पुष्प आदि अर्पित करें।
- पूजा करते समय एक कलश में पानी भरें और उसके ऊपर एक कटोरी में गुड़ चना भरकर रखें।
- हाथ में थोड़ा गुड़-चना लेकर संतोषी माता की कथा सुने।
- कथा समाप्त होने पर माता को धूप दिखाएं और आरती गायें।
- आरती करने के बाद हाथ में रखा गुड़-चना गाय को खिला दें।
- कटोरी में रखा हुआ गुड़-चना प्रसाद के रूप में बाँट दें।
- भोजन करने से पहले स्वयं भी गुड़-चना प्रसाद के रूप में लें और उसके बाद भोजन करें।
व्रत के दौरान ज़रूर ध्यान रखें इन बातों का
सुख-सौभाग्य और धन-धान्य की कामना से माता संतोषी के 16 शुक्रवार तक व्रत करने का विधान है। व्रत करने वाले स्त्री-पुरुष इस दिन खट्टी चीज को ना खाए और न ही स्पर्श करें। एक और बात का ध्यान रखें कि हाथ में रखें गुड़ और चने का प्रसाद गाय को खिलाएं और कटोरी में रखा प्रसाद स्वयं खाएं और दूसरों को भी बाँट दें। व्रत वाले दिन आप केवल एक बार ही भोजन कर सकते हैं। मनोकामना पूर्ति हो जाने पर व्रत का उद्यापन अवश्य करें।
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