सबरीमाला मंदिर पहले भी कई बार सुर्ख़ियों में रह चुका है। वजह है इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर चली आ रही अंतहीन बहस। जहाँ आज भी कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश पूर्ण रूप से वर्जित है वहीँ कुछ लोग इस बात की वकालत भी करते हैं कि ये सब बातें पुरानी और दकियानूस है। मंदिर में सबका प्रवेश होना चाहिए। इसी बात को लेकर समय-समय पर ये मंदिर चर्चा का विषय बना रहता है। ऐसे में अभी कुछ समय पहले ही सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को सही करार दिया गया था।
सर्वोच्च न्यायालय की बेंच ने 28 सितंबर 2018 को 4-1 के बहुमत से केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक हटा दी थी। कोर्ट ने यह कहते हुए मशहूर अयप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक हटाई थी कि महिलाओं को मंदिर में ना जाने देनी वाली ये परंपरा सदियों पुरानी और संविधान के खिलाफ है।
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कोर्ट के इस फैसले के बाद से ही इस फैसले के खिलाफ याचिकाएं दायर होने लग गयी. लिहाज़ा इन्ही 65 याचिकाओं पर सुनवाई के बाद जल्द ही सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला सुना सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि 17 नवंबर से ही सबरीमाला मंदिर में मंडला मक्कारविल्लाक्कू महोत्सव शुरू होने वाला है. ये महोत्सव पूरे 2 महीनों तक चलने वाला है।
कौन हैं भगवान अयप्पा?
सबरीमाला मंदिर में श्री अयप्पा की पूजा की जाती है उन्हें ‘हरिहरपुत्र’ कहा जाता है। यानी की भगवान शिव और विष्णु के पुत्र। यहाँ ये समझने की ज़रूरत है कि यह किस्सा भगवान अयप्पा के अंदर शिव और विष्णु की शक्तियों के मिलन को दिखाता है न कि दोनों के शारीरिक मिलन को. इसके अनुसार भगवान अयप्पा में दोनों ही देवताओं का कुछ-कुछ अंश है. जिसके चलते उन्हें दोनों भगवान का पुत्र कहा जाता है। इसी वजह से भक्तों के बीच उनका महत्व और बढ़ जाता है। इस मंदिर में दर्शन करने वाले भक्तों को तकरीबन दो महीने पहले से ही मांस-मछली का सेवन छोड़ना होता है. माना जाता है कि जो भी इंसान यहां तुलसी या फिर रुद्राक्ष की माला पहनकर और व्रत रखकर इस मंदिर में दर्शन करता है तो उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है.
जानें क्या है मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित करने की असली वजह
अब सवाल ये भी उठता है कि आखिर किसी मंदिर परिसर में किसी भी इंसान, फिर वो चाहे महिला हो या पुरुष या बच्चे-बुज़ुर्ग, का प्रवेश क्यों वर्जित किया गया है? कुछ लोग बताते हैं कि ऐसा महिलाओं के मासिक धर्म की वजह से किया गया है। इस मंदिर का नियम है कि इसमें प्रवेश करने के लिए किसी भी इंसान को खुद को 40 दिनों के लिए पवित्र रखना बेहद ज़रूरी है लेकिन महिलाओं और बच्चियों के लिए ये मुमकिन नहीं है और इसलिए उनका प्रवेश इस मंदिर में वर्जित कर दिया गया है।
हालाँकि एक वेबसाइट में छपी एक खबर के मुताबिक इस वजह का सिरे से खंडन करते हुए और एमए देवैया के एक लेख का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश वर्जित होने की वजह उनका मासिक धर्म बिलकुल भी नहीं है।
अपने लेख में एमए देवैया ने लिखा है कि, “मैं पिछले 25 सालों से सबरीमाला मंदिर जा रहा हूं. और लोग मुझसे अक्सर पूछते हैं कि इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध किसने लगाया है. मैं छोटा सा जवाब देता हूं, “खुद अयप्पा (मंदिर में स्थापित देवता) ने. आख्यानों (पुरानी कथाओं) के अनुसार, अयप्पा अविवाहित हैं. और वे अपने भक्तों की प्रार्थनाओं पर पूरा ध्यान देना चाहते हैं. साथ ही उन्होंने तब तक अविवाहित रहने का फैसला किया है जब तक उनके पास कन्नी स्वामी (यानी वे भक्त जो पहली बार सबरीमाला आते हैं) आना बंद नहीं कर देते.” और महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक की बात का पीरियड्स से कुछ भी लेना-देना नहीं है.”