कल है रोहिणी व्रत, जानें इस व्रत का महत्व और पूजा विधि!

नवंबर 2019 में रोहिणी व्रत कल यानि 14 नवंबर को है। यह व्रत जैन समुदाय में आस्था रखने वाले लोगों के लिये बहुत अहम माना जाता है। यह व्रत हर माह आता है यानि साल में 12 बार यह व्रत आता है और लोगों द्वारा इस व्रत को हर माह पूरी निष्ठा से रखा जाता है। अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिये इस दिन स्त्री-पुरुष व्रत रखते हैं। इस दिन रोहिणी नक्षत्र का महत्वपूर्ण स्थान होता है। रोहिणी नक्षत्र के कारण ही इस दिन रखे जाने वाले व्रत को रोहिणी व्रत कहा जाता है। इस व्रत के दिन भगवान वासुपूज्य की पूजा की जाती है। 

क्या है रोहिणी व्रत का महत्व ?

रोहिणी व्रत के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिये व्रत रखती हैं। जो भी जातक इस व्रत को रखता है उसे 3, 5 या 7 सालों तक यह व्रत रखना पड़ता है। रोहिणी व्रत का संबंध रोहिणी मां से है। यह व्रत मुख्य रुप से महिलाएं लेती हैं लेकिन पुरुषों द्वारा भी इस व्रत को लिया जाता है। रोहिणी व्रत में माता रोहिणी की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के साथ यह व्रत रखती हैं। 

इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि जो भी व्यक्ति रोहिणी व्रत का श्रद्धा भाव से पालन करता है उसे धन-धान्य की कमी कभी नहीं सताती। रोहिणी व्रत रखने से जीवन में आने वाली आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं। दांपत्य जीवन में प्रवेश कर चुके जातकों के लिये इस व्रत का बड़ा महत्व है। इस व्रत को रखने से दांपत्य जीवन सुचारु रुप से चलता रहता है। इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि इस व्रत को रखने से आत्मा के विकार दूर हो जाते हैं और इंसान कर्म के बंधनों से छुटकारा पा लेता है। यानि इस व्रत के रखने से व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से छूट जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

रोहिणी व्रत की पूजा-विधि

  • रोहिणी व्रत वाले दिन व्रत रखने वाले को सुबह उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिये और माता रोहिणी का ध्यान करना चाहिये। 
  • इसके बाद घर के पूजा स्थल की सफाई भी करनी चाहिये। 
  • सफाई के पश्चात पूजा स्थल पर भगवान वासुपूज्य की पंचरत्न से बनी प्रतिमा स्थापित करनी चाहिये। 
  • वासुपूज्य भगवान की पूजा में वस्त्र, फूल, फल और नैवेध्य का भोग लगाया जाना चाहिये। 
  • इसके उपरांत पूरे श्रद्धा भाव से भगवान की पूजा करनी चाहिये। 
  • इस दिन जरुरतमंदों की सहायता करनी चाहिये
  • किसी के प्रति अपने मन में इस दिन बैर भाव नहीं लाना चाहिये। 
  • इस दिन आप जितना सादगी से रहेंगे आपके लिये उतना ही अच्छा होगा। 
  • व्रत के दिन, दिन में सोने से भी बचें।  
  • अपना मन भगवान की अराधना में लगाएं, ध्यान का अभ्यास करना भी आपके लिये उपयोगी रहेगा।