ज्योतिष में रोहिणी नक्षत्र की विशेषता और जानें इसके तेजोमय प्रभाव को

भारतीय ज्योतिष शास्त्र धार्मिक ग्रंथों  के अनुसार 27 नक्षत्रों में रोहिणी नक्षत्र को विशेष स्थान दिया गया है। धर्म ग्रंथों में इस नक्षत्र को पूजनीय व वंदनीय माना गया है। कहा गया है कि, इस नक्षत्र में भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था। ‘रोहिणी’ का अर्थ ‘लाल’ होता है। ज्योतिष गणना के अनुसार रोहिणी नक्षत्र आकाश मंडल में चौथा नक्षत्र है। रोहिणी नक्षत्र में जन्म होने पर जन्म राशि वृष तथा राशि का स्वामी शुक्र होते हैं और रोहिणी नक्षत्र का स्वामी चन्द्रमा होता है। 

सिद्धांत ज्योतिष के अनुसार यह 5 तारों का समूह है। कहा गया है कि रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेने वाला व्यक्ति सदा दूसरों में गलतियां ढूँढता रहता है। आप कोई भी ऐसा मौका हाथ से नहीं जाने देते हैं जिसमे कि सामने वाले की त्रुटियों की चर्चा न करें। ऐसे जातक शारीरिक रूप से दुबले-पतले होते हैं इसलिए कोई भी छोटी से छोटी मौसमी बदलाव के रोग अक्सर इनको घेर लेते हैं।  ऐसे जातक स्वभाव से कोमल और सौन्दर्य के प्रति लगाव इनके प्रमुख गुणों में से एक माने गए हैं। 

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रोहिणी नक्षत्र- विभिन्न चरण और उनके प्रभाव  

रोहिणी नक्षत्र का स्वामी चन्द्र है इसलिए इस नक्षत्र में जन्मे जातक स्त्रियों पर विशेष आसक्ति रखते हैं और मीठा बोलने वाले तथा  कार्यक्षेत्र में व्यवस्थित रहना ही पसंद करते हैं।  इस नक्षत्र के चार चरण होते हैं जो की अपने अलग-अलग प्रभाव से जातक के सुख – दुःख में सहायक बनते हैं।  

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प्रथम चरण –  रोहिणी नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल ग्रह को माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कहा गया है कि, रोहिणी नक्षत्र का स्वामी व रोहिणी नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी चन्द्रमा और मंगल की मित्रता के कारण जातक को सदैव धन ,ख्याति, सुख-समृद्धि व उन्नत्ति प्रदान करता है।  

द्वितीय चरण – रोहिणी नक्षत्र के द्वितीय चरण में जन्मा व्यक्ति रूपवान, आकर्षक, मनमोहक और सौम्य स्वभाव का होता है। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र होने के कारण ऐसा जातक मित्र प्रिय भी होता है। परन्तु ऐसे जातकों को कुछ न कुछ पीड़ा बनी रहती है व शुक्र की दशा अन्तर्दशा में जातक की विशेष उन्नत्ति होती है और जीवन में अनेकों ख्यातियाँ प्राप्त करता है।   

तृतीय चरण – रोहिणी नक्षत्र के तृतीय चरण का स्वामी बुध होने के कारण ऐसे जातक जिम्मेदार, सत्यवादी, नैतिक रूप से उन्मुख व आर्थिक रूप से मजबूत ,कार्य क्षेत्र में जैसे की गायन , कला के क्षेत्र में प्रतिभाशाली व श्रेष्ठ स्थान प्राप्त करते हैं। चन्द्र व बुध की दशा अन्तर्दशा में जातक की विशेष उन्नत्ति होती है।

चतुर्थ चरण –  रोहिणी नक्षत्र के चतुर्थ चरण का स्वामी चंद्र ग्रह होने के कारण ऐसे जातक तेजस्वी, सत्यवादी एवं सौन्दर्य प्रेमी, शांतिपूर्ण बातें करने वाले व जलीय उत्पाद व तरल पदार्थ से संबंधित व्यवसाय व जलयात्रा से सम्बंधित कार्य करता है। विशेषकर ऐसे जातकों को जीवन का भरपूर सुख चन्द्रमा की दशा जीवन का पूर्ण सुख प्राप्त होता है।  

रोहिणी नक्षत्र में स्त्रियाँ

रोहिणी नक्षत्र में जन्म लेने वाली स्त्रियां शरीर से दुबली-पतली परन्तु विशेष रूप से आकर्षक होती हैं और सामाजिक तौर गुणवान व  सदा अपने से बड़ों और माता पिता की आज्ञाकारिणी होती हैं। पिता की उपेक्षा माता पक्ष से आपका अधिक स्नेह रहता है। पति के साथ सहमति बनाये रखती हैं इसलिए इनका दांपत्य  जीवन मधुर बीतता है और साथ ही ये ऐश्वर्यशाली जीवन व्यतीत करती हैं और सदा लोकप्रिय होती हैं।  

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रोहिणी नक्षत्र में जन्मे जातक करें ये कार्य 

ज्योतिषीय ग्रंथों के अनुसार रोहिणी नक्षत्र में जातकों को  विशेष कर वनस्पति वैज्ञानिक, औषधि विशेषज्ञ, कलाकार, संगीतकार, मनोरंजन उद्योग, सौन्दर्य-प्रसाधन उद्योग,कृषि, खेती-बाड़ी, खाद्य प्रौद्योगिकी,  सेक्स चिकित्सक, रत्न व्यवसायी, आंतरिक सज्जाकार, परिवहन व्यवसाय, पर्यटन, मोटर-गाड़ी उद्योग, तेल और पेट्रोलियम संबंधी व्यवसाय, कपड़ा उद्योग, जलयात्रा संबंधी उद्योग, पैकेजिंग और वितरण तथा जलीय उत्पाद व तरल पदार्थ से संबंधित व्यवसाय करना ऐसे जातकों के लिए फलीभूत रहता है और सदैव जीवन में कामयाबी प्राप्त करते हैं।   

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