वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को एक शुभ ग्रह माना गया है लेकिन जल्द ही बृहस्पति ग्रह शनि के स्वामित्व वाली राशि कुंभ में वक्री होने वाले हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किसी भी ग्रह के वक्री होने पर उसके सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव में बढ़ोतरी हो जाती है। ऐसे में आज हम आपको इस लेख में बृहस्पतिवार के दिन अपनाए जाने वाले उन उपायों के बारे में बताने वाले हैं जिनसे वक्री बृहस्पति के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकेगा लेकिन उससे पहले वक्री बृहस्पति और उसके नकारात्मक प्रभाव के बारे में आपको थोड़ी सी जानकारी दे देते हैं।
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कब वक्री हो रहे हैं बृहस्पति?
साल 2021 में 20 जून को बृहस्पति शनि के स्वामित्व वाली राशि कुंभ में वक्री हो जाएँगे और 14 सितंबर, 2021 तक इसी अवस्था में रहेंगे। इसके बाद ये मार्गी होकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
बृहस्पति के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव
बृहस्पति को वैदिक ज्योतिष में एक शुभ ग्रह माना गया है। सभी 12 राशियों में बृहस्पति का स्वामित्व धनु और मीन राशि पर है। वहीं 27 नक्षत्रों के बीच बृहस्पति पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र पर आधिपत्य रखते हैं। किसी भी जातक की कुंडली में बृहस्पति शिक्षा, शिक्षक, बड़े भाई, ज्ञान, धर्म-कर्म इत्यादि का कारक माना गया है।
बृहस्पति यदि किसी जातक की कुंडली में शुभ स्थान पर विराजमान हो तो ऐसे जातक शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा कार्य करते हैं। ऐसे जातकों का धर्म-कर्म की तरफ ज्यादा झुकाव रहता है। ऐसे जातक स्वभाव से ईमानदार और धन-धान्य से भरपूर जीवन जीते हैं। वहीं बृहस्पति ही किसी भी जातक की कुंडली में संतान के कारक भी माने जाते हैं।
वहीं बृहस्पति यदि कमजोर हो तो ऐसे जातक की तरक्की रुक जाती है। समाज में इंका परिहास होता है। शादी-विवाह में परेशानियों के साथ-साथ नौकरी पाने के लिए भी इन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बृहस्पति पेट का कारक ग्रह माना गया है। ऐसे में बृहस्पति के कमजोर होने पर जातकों को पेट की समस्या परेशान करती है।
अब चूंकि बृहस्पति जल्द ही वक्री होने जा रहे हैं तो ऐसी स्थिति में नकारात्मक प्रभाव पाने वाले जातकों के जीवन में इसका प्रभाव बढ़ सकता है। ऐसे में आइये अब आपको वो उपाय बता देते हैं जिन्हें बृहस्पतिवार के दिन अपनाकर आप वक्री बृहस्पति के नकारात्मक प्रभाव को दूर कर सकते हैं।
वक्री बृहस्पति के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के उपाय
सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवता या ग्रह को समर्पित होता है। चूंकि बृहस्पति को सभी ग्रह और देवताओं के बीच ‘गुरु’ का दर्जा प्राप्त है, ऐसे में सप्ताह में बृहस्पतिवार या फिर कहें तो गुरुवार का दिन भगवान बृहस्पति को खास तौर से समर्पित होता है।
- बृहस्पतिवार के दिन पीला, क्रीम या फिर ऑफ व्हाइट रंग के वस्त्र धारण करें। ये तीनों ही रंग भगवान बृहस्पति को बेहद ही प्रिय हैं।
- गुरुवार के दिन एक तांबे के पात्र में गंगाजल के साथ केसर मिला लें और इसे भगवान शिव को अर्पित करें। ऐसा करते हुए 108 बार “ॐ नमः शिवाय” का जाप जरूर करें। बृहस्पति के नकारात्मक प्रभाव कम होंगे।
- गुरुवार के दिन शिक्षकों का सम्मान करें। अपने से बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करें। घर में यदि कोई बच्चा हो तो उसे प्यार दें। बड़े भाई से बेहतर संबंध बना कर रखें। भगवान बृहस्पति आप पर प्रसन्न होंगे।
- गुरुवार के दिन व्रत रखें। अन्न न खाएं और न ही नमक खाएं। फलाहार पर रहें। ज्यादा समस्या हो तो आप सेंधा नमक का सेवन कर सकते हैं। इससे भगवान बृहस्पति आपको शुभ फल देंगे।
- बृहस्पतिवार के दिन कोई भी कार्य शुरू करने से पहले माथे पर केसर का तिलक लगाएं। कार्य में सफलता मिलेगी।
- गुरुवार के दिन किसी मंदिर जाकर केले के पेड़ की जड़ में गाय के घी का दीपक जलाएं। भगवान बृहस्पति आप पर बहुत प्रसन्न होंगे। इस उपाय से विवाह संबंधी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।
- गुरुवार के दिन पीले रंग की वस्तु का दान करें जैसे कि पीले वस्त्र, पीले खिलौने इत्यादि। इसके अलावा आप किसी छात्र को किताबें या फिर पढ़ने लिखने की किसी सामग्री भी दान कर सकते हैं। इससे भगवान बृहस्पति आप पर अति प्रसन्न होंगे।
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