पौराणिक शास्त्र महाभारत की माने तो शुक्राचार्य (शुक्र) को दानवों का पुरोहित बताया गया है, जो योग के आचार्य हैं। कहा जाता है कि शुक्र देव ने भगवान शिव की सालों तक कठोर तपस्या करके उनसे मृत संजीवनी विद्या हासिल की थी, जिसके परिणाम स्वरूप ही उन्हें युद्ध में मारे गये सभी दानवों को पुनः जीवित कर देते का सामर्थ्य प्राप्त हुआ था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ही भोलेनाथ ने उन्हें धन का अध्यक्ष भी बना दिया था, जिसके बाद से ही शुक्राचार्य तीनों लोक (स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल लोक) की सारी संपत्तियों के स्वामी बन गये थे। भगवान शिव से मिले वरदानों के साथ ही उन्हें ब्रह्मा जी ने भी वरदान दिया था, जिसके बाद शुक्राचार्य ग्रह बनकर तीनों लोकों का कल्याण करने लगे।
शुक्र ग्रह के कारकतत्व
अगर उनके स्वरूप की बात की जाएं तो मत्स्य पुराण के अनुसार इनका वर्ण श्वेत, और वाहन रथ है, जिसमें अग्नि के समान आठ घोड़ों को जोता हुआ है। इसके साथ ही शुक्र देव को स्वास्थ्य, आकर्षक, वाहन सुख, कविता, रोमांस, विपरीत लिंगी मित्र, सोने का संग्रह, शानदार घर, भोग विलास की वस्तुएँ, नाच गाना, रसिकता, सुन्दरता, फिल्म, अभिनय, सौन्दर्य प्रसाधन व वसंत ऋतु आदि का कारकतत्व प्रदान होता है।
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शत्रु ग्रह की राशि में होगा शुक्र का गोचर
ऐसे में आज रात्रि शुक्र देव हमेशा की तरह एक बार पुनः अपना राशि परिवर्तन करते हुए कर्क से सिंह राशि में गोचर कर रहे हैं। चूँकि इस गोचर के दौरान शुक्र देव अपने शत्रु ग्रह चंद्र की राशि कर्क से निकलकर अपने शत्रु ग्रह सूर्य की ही राशि सिंह में रात्रि 20:23 बजे गोचर करेंगे इसलिए इससे करीब-करीब हर राशि प्रभावित होंगी।
शुक्र ग्रह की जातकों की जन्म कुंडली में स्थिति
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार जिन भी जातकों की जन्म कुंडली में शुक्र उच्च भाव में या मजबूत स्थिति में होते है उन जातकों को अपने जीवन में भौतिक संसाधनों की कोई कमी नहीं रहती है। इसके विपरीत किसी भी कुंडली में शुक्र की स्थिति कमजोर या नकारात्मक होने से जातक को जीवन में आर्थिक कष्ट, स्त्री सुख में कमी, डायबिटीज़ और सांसारिक सुखों की हमेशा कमी से झूझना पड़ता है। इसलिए शुक्र ग्रह की शांति के लिए ज्योतिष में कई उपाय भी बताये गये हैं। जिन उपायों के अनुसार शुक्र देव को शांत करने के लिए जातक दान, पूजा-पाठ और रत्नों का सहारा ले सकते हैं।
शुक्र ग्रह की शान्ति के लिए उपाय
शुक्र देव से जुड़े विशेष व कारगर उपायों में शुक्रवार का व्रत, दुर्गाशप्तशी का पाठ, चावल और श्वेत वस्त्र का दान आदि करने का मुख्य विधान है। ऐसे में जिस भी जातक की कुंडली में शुक्र की स्थिति उनके इस राशि परिवर्तन के बाद कमजोर हो रही है, तो उन जातकों को उपाय अवश्य ही करने चाहिए। क्योंकि इन कार्यों को करने से शुक्र ग्रह से शुभ फल की तो प्राप्ति होगी ही साथ ही अगर शुक्र के सिंह में गोचर होने से उसका प्रभाव आपकी राशि पर अशुभ पड़ रहा होगा तो भी वो प्रभाव दूर हो सकेगा।
अशुभ शुक्र के लिए अवश्य करें ये काम
वैदिक ज्योतिष अनुसार अशुभ शुक्र की शांति के लिए व्यक्ति को शुक्र से संबंधित वस्तुओं का दान देने की सलाह दी गई है। जिसमें चाँदी, चावल, दूध, श्वेत वस्त्र आदि शामिल होते हैं। इसके अलावा शुक्र के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए जातक को:-
- हर शुक्रवार दुर्गाशप्तशती का पाठ करना चाहिए।
- विशेष तौर से कन्या पूजन एवं शुक्रवार का व्रत करना चाहिए।
- अच्छी क्वालिटी का हीरा धारण करना चाहिए। ऐसे में यदि हीरा पहनना संभव न हो तो जातक अर्किन, सफेद मार्का, ओपल, स्फटिक आदि किसी भी शुभवार, शुभ नक्षत्र और शुभ लग्न में धारण कर सकता है।
- हर शुक्रवार शुक्र देव की पूजा के दौरान शुक्र के बीज मंत्र का जाप करें।
ॐ शुं शुक्राय नमः।
ॐ हृीं श्रीं शुक्राय नमः।
शुक्र देव से जुड़े मंत्र
- जातक के लिए अपने जीवन में आर्थिक संपन्नता, प्रेम और आकर्षण में वृद्धि करने के लिए शुक्र के बीज मंत्र “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” का उच्चारण करना बेहद शुभ माना गया है।
- माना जाता है कि इस मंत्र को कम से कम 16000 बार उच्चारण करने से गोचर के अशुभ परिणामों को तो कम किया ही जा सकता है, साथ ही उससे शुभ फलों की प्राप्ति भी की जा सकती है।
- देश-काल-पात्र सिद्धांत में तो शुक्र के बीज मंत्र को कलयुग में 64000 बार जपने के लिए कहा गया है।
- इसके अलावा शुक्र को शांत करने के लिए आप “ॐ शुं शुक्राय नमः।” मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।