ज्ञानी और महाप्रतापी राजा था रावण। रावण ने अपने तप,बल से इतनी सारी शक्तियां प्राप्त कर ली कि सभी देवता उससे डरते थे। रावण को हमेशा से इस बात का अहंकार रहा और यही घमंड उसके सर्वनाश का कारण बना। रामायण में वैसे तो श्री राम ने रावण को हराया था लेकिन क्या आप जानते कि इससे पहले भी रावण 4 बार हार चुका था। हैरान करने वाली बात तो यह है कि बलशाली रावण एक बार बच्चों के हाथों बंदी बना लिया गया था और उनके सामने उसकी शक्तियों की भी एक नहीं चली। तो आइए जानते हैं इन मजेदार किस्सों के बारे में-
बच्चों ने रावण को बंदी बनाकर अस्तबल में बांध दिया था
अपनी शक्तियों के घमंड पर एक बार लंका का राजा कहा जाने वाला रावण पाताल लोक पर राज करने के विचार से अकेला राजा बलि से युद्ध करने चला गया। लेकिन अपने अभिमान में यह भूल गया कि कोई कितना भी बलशालि हो, पाताल लोक में किसी भी व्यक्ति की मायावी शक्तियां काम नहीं करतीं। जब रावण वहां पहुंचा तो उसकी मुलाकात बाहर खेल रहे बच्चों के साथ हुई। बच्चे उसे आश्चर्य से देखने लगे क्योंकि नागलोक का ना होने के कारण वह उन्हें बहुत अजीब सा लग रहा था। साथ ही वह राजा बलि को युद्ध के लिए ललकार रहा था। जिसके बाद बच्चों ने उसे अस्तबल में बांध दिया। जब उसने अपनी शक्तियों का प्रयोग करना चाहा तो खुद को असहाय महसूस करने लगा क्योंकि वहां उसकी शक्तियां काम नहीं कर रही थीं। जब राजा बलि को इस घटना का पता चला तो उन्होंने रावण को बच्चों की कैद से मुक्त कराया।
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सहस्त्रबाहु ने रावण को सेना के साथ पानी में बहा दिया
सहस्त्रबाहु अर्जुन जिसे कार्तवीय अर्जुन के नाम से भी जाना जाता था। सहस्त्रबाहु ने अपने तप से गुरु दात्तत्रेय को प्रसन्न कर उनसे हजारों भुजाओं का वरदान प्राप्त किया था, इसलिए इसका नाम सहस्त्रबाहु पड़ा। एक बार की बात है सहस्त्रबाहु और रावण एक ही नदी (नर्मदा) में स्नान कर रहे थे। तभी सहस्त्रबाहु के मन में नदी के प्रवाह को रोकने का विचार आया और उसने अपनी भुजाओं से नर्मदा का जल रोक दिया और पानी का प्रवाह बंद हो गया। प्रवाह के रुकते ही रावण ने क्रोधित होकर सहस्त्रबहु को बुरे वचन सुनाए। जिसके बाद सहस्त्रबाहु ने उसे बंदी बना लिया। हालांकि पुलस्त्य ऋषि के कहने पर उसने रावण को मुक्त कर दिया। लेकिन रावण भी कहां मानने वाला था? अपने अपमान का बदला लेने के लिए वह कुछ समय बाद अपनी सेना के साथ सहस्त्रबाहु से युद्ध करने पहुंच गया। तब सहस्त्रबाहु ने एक बार फिर अपनी भुजाओं का बल दिखाते हुए नर्मदा नदी का प्रवाह रोका और सारा जल रावण की सेना पर छोड़ दिया। जिसके बाद रावण अपनी सेना के साथ इस जल के प्रवाह में बह गया।
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अहंकार में भगवान शिव से युद्ध कर बैठा था रावण
रावण को अपने अहंकार के कारण हमेशा हार मिली है, लेकिन कहते हैं जब इंसान का बुरा समय आता है तो उसकी बुद्धी भी उसका साथ छोड़ देती है। कुछ ऐसा ही रावण के साथ भी हुआ। वह भगवान शिव का अनन्य भक्त था। लेकिन एक बार रावण अपनी शक्तियों के घमंड में सब भूल गया और भगवान शिव से युद्ध करने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचा। वहां पहुंचकर उसने भगवान शिव को युद्ध के लिए ललकारा लेकिन जब भगवान शिव ने उसका कोई जवाब नहीं दिया और ध्यान मग्न बैठे रहे तो रावण ने अपने अहंकार में सब भूलकर उन्हें कैलाश सहित उठाकर फेंकने का मन बना लिया। जिसके बाद भगवान शिव ने केवल अपने अंगूठे की ताकत से कैलाश को स्थिर कर दिया और रावण के हाथ को पर्वत के नीचे दबा दिया। कई कोशिशों के बाद भी जब रावण का हाथ नहीं निकला तो उसने वहां खड़े-खड़े भगवान शिव की स्तुति की और शिव तांडव स्त्रोत की रचना कर दी। रावण के इस तप से खुश होकर भगवान शिव ने उसे मुक्त कर दिया। इस घटना के बाद रावण ने उन्हें अपना गुरु बनाकर उनकी शरण ले ली।
भगवान राम ने किया था रावण का अंत
इन सारी घटनाओं के बाद हुआ एक आखिरी युद्ध। यह युद्ध था भगवान राम और रावण के बीच और यह उसके जीवन का आखिरी युद्ध साबित हुआ।