वैदिक ज्योतिष में राहु-केतु को छाया ग्रह के नाम से जाना जाता है जो अशुभ ग्रह माने जाते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, इन दोनों ग्रहों को क्रूर एवं पापी ग्रह भी कहा जाता है। जैसा प्रभाव राहु किसी व्यक्ति के जीवन पर डालता है, वैसा ही प्रभाव केतु का भी माना गया है। इनका प्रभाव न सिर्फ कुंडली पर होता है, बल्कि भावों पर भी होता हैं। कुंडली में इनकी शुभ-अशुभ स्थिति जातकों को सकारात्मक या नकारात्मक दोनों तरह के परिणाम देने में सक्षम होती है। एस्ट्रोसेज के इस खास ब्लॉग के माध्यम से हम आपको अवगत करवाएंगे कि राहु-केतु किसी तरह से आपके जीवन को प्रभावित करते हैं। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि राहु-केतु के बारे में।
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कुंडली में अशुभ राहु-केतु होने पर मिलते हैं ये संकेत
- किसी घर का काला कुत्ता या काले जानवर की मौत होना,
- घर में से बिल्ली के रोने की आवाज आना,
- किसी रिश्तेदार द्वारा अचानक से धोखा मिलना,
- या फिर आपका कोई करीबी दोस्त अपनी चालों से आपको नीचा दिखाने की कोशिश करें, तो समझ लेना चाहिए कि इसकी वजह राहु का नकारात्मक असर है।
- इसी क्रम में, अचानक से आपके कंधे या सिर पर छिपकली का गिरना,
- आपके सुनने की क्षमता कम होना या शरीर के जोड़ों में एकदम से दर्द होने लगना,
- घर के पालतू जानवर की मौत हो जाना,
- आपके पुत्र आपका विरोध करने लगे या पड़ोसी आपसे बिना कारण लड़ाई करने लगे तो समझना चाहिए कि केतु का अनिष्ट प्रभाव शुरू हो गया है।
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शनिवत राहु और कुजवत केतु ऐसे करते हैं आपके जीवन को प्रभावित
वैदिक ज्योतिष में राहु को शनिवत राहु कहा जाता है और वहीं केतु को कुजवत केतु के नाम से जाना जाता है। अगर हम इसके अर्थ की बात करें, तो राहु का प्रभाव शनि के समान माना जाता है जबकि केतु का प्रभाव मंगल की तरह माना गया है। ऐसे में, शनिवत राहु और कुजवत राहु कैसे करते हैं आपके जीवन को प्रभावित, चलिए जानते हैं।
कुंडली में राहु देव जहां विराजमान होते हैं, वहां की उन्नति रोक देते हैं। राहु देव के भाग्य भाव में बैठेकर यह आपका भाग्योदय नहीं होने देते हैं। छाया ग्रह राहु का शरीर मलिन और दारूण है तथा यह स्वभाव से बेहद कठोर हैं। ऐसे में, यह अपने साथ विनाश की प्रवृत्ति को लेकर संचरण करते हैं और इनके प्रभाव से मनुष्य विद्रोही स्वभाव का बनाते हैं। साथ ही, यह किसी व्यक्ति को जुआ, शराब और कूटनीतिज्ञ चालों को चलने वाला बनाते हैं। राहु ग्रह का आघात और प्रहार एकदम सटीक और विनाशकारी होता है।
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राहु ग्रह का संबंध फर्नीचर, लकड़ी, शैया, इमारती सामान, बिजली का सामान, वाहन और विस्फोटक सामग्री समेत चेचक, श्वेत कुष्ठ, खसरा आदि से जोड़ा जाता है। इसके विपरीत, केतु ग्रह मौसी, नाना, अपहरण, डकैती, कूटनीतिक चालें, षड्यंत्र, रक्त कुष्ठ, दाद-खुजली, औषधि, पेचिश, वारदाना, जूट, बांस का कागज, डिब्बा, प्रयोगशाला के उपकरण, पालतू पशुओं और अस्पताल आदि से माना जाता है।
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राहु-केतु के दुष्प्रभावों से मुक्ति दिलाते हैं ये सरल एवं अचूक उपाय
- शनिवार के दिन लाजवंती की जड़ लेकर आएं और इसे छल्ले के आकार का घुमाव देकर सूती रंगहीन धागे से रोगी के बांधना फलदायी रहता है।
- राहु और केतु ग्रह के यंत्र को ताम्रपत्र पर बनवाकर स्थापित करें और नियमित रूप से इनकी पूजा-अर्चना करें। ऐसा करने से राहु-केतु के अशुभ प्रभावों में कमी आती है।
- राहु ग्रह का रत्न गोमेद तथा केतु देव के रत्न लहसुनिया की अंगूठी को पूजा करने के बाद धारण करें। इन दोनों ग्रहों के रत्न को करने से राहु-केतु के दुष्प्रभावों से राहत मिलती है।
- कुंडली में राहु ग्रह की स्थिति दुर्बल या अशुभ हो, तो नदी में नारियल को बहाना चाहिए।
- इसी क्रम में, अगर केतु ग्रह कमज़ोर या नकारात्मक स्थिति में होता है, तो कुत्तों को खाना खिलाने से लाभ प्राप्त होता है।
- नियमित रूप से राहु-केतु के मंत्रों का 11 माला जाप करें और प्रतिदिन यंत्र की पूजा एवं दर्शन करना भी श्रेष्ठ माना जाता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर 1. कुंडली में राहु-केतु दोष होने पर व्यक्ति तनावग्रस्त रहने लगता है और नींद न आने की समस्या का सामना करना पड़ता है।
उत्तर 2. ज्योतिष के अनुसार, राहु और केतु की वजह से कुंडली में कालसर्प दोष बनता है।
उत्तर 3. मान्यताओं के अनुसार, राहु ग्रह की देवी माता सरस्वती हैं और केतु के देवता भगवान गणेश हैं।
उत्तर 4. राहु-केतु को मज़बूत करने के लिए 18 शनिवार तक व्रत रखना लाभदायी रहता है।