राहु इस घर में होने पर भिखारी को भी बना सकता है राजा, मुकेश अंबानी पर बरसाई है विशेष कृपा

राहु इस घर में होने पर भिखारी को भी बना सकता है राजा, मुकेश अंबानी पर बरसाई है विशेष कृपा

जन्‍मकुंडली में 12 भाव होते हैं और इसके हर भाव में ग्रहों का अलग फल एवं प्रभाव होता है। आज हम आपको छाया ग्रह राहु के कुंडली के 12वें भाव में पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बता रहे हैं। इसके साथ ही यह भी जानेंगे कि राहु के बारहवें भाव में होने की वजह से किन लोगों को सफलता के शिखर तक पहुंचने का मौका मिला।

कुंडली का बारहवां भाव

ज्‍योतिष में कुंडली के बारहवें भाव को वैराग्‍य और एकांत का कारक माना गया है। यह भाव आध्‍यात्मिक मुक्‍ति का घर भी है। 12वें भाव में राहु की उपस्थिति से जातक की आभा और बुद्धि पर असर पड़ता है।

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ज्‍योतिष में राहु को सबसे क्रूर और पाप ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। इस ग्रह की वजह से व्‍यक्‍ति बुरी आदतों, सट्टेबाज़ी और चोरी जैसे गलत कामों में लिप्‍त रहता है। बारहवें भाव में होने पर राहु जातक के अंदर से बुराई को बाहर लाता है और उसे दूसरों की नज़रों में एक बुरा इंसान बनाकर पेश करता है।

राहु के 12वें भाव में होने पर व्‍यक्‍ति अपने जीवन का आनंद लेता है। इनका अपने जीवनसाथी के साथ मज़बूत रिश्‍ता रहता है। हालांकि, ये लोग अनैतिक कार्यों में भी लिप्‍त रहते हैं और पति-पत्‍नी के बीच में कुछ मुद्दों की वजह से गलतफहमियां उत्‍पन्‍न होती है जिसके कारण इनके रिश्‍ते में उतार-चढ़ाव बने रहते हैं।

राहु के इस भाव में होने पर खर्चों में भी वृद्धि होती है जिससे आर्थिक स्थिति में असंतुलन आता ही है साथ ही अचानक खर्चे बने रहते हैं। बीमारी की वजह से इलाज पर खर्चा होने का खतरा भी बना रहता है। हालांकि, अच्‍छी आमदनी होने और संपन्‍न होने की वजह से ये अपने खर्चों को आसानी से संभाल लेते हैं।

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बारहवें भाव में राहु का सकारात्‍मक प्रभाव

12वें भाव में राहु की सकारात्‍मक स्थिति से से जातक दान-पुण्‍य करता है और उसकी अध्‍यात्‍म की ओर रुचि बढ़ती है। ये ज़रूरतमंद और गरीब लोगों की सहायता करते हैं और दूसरों के प्रति दयालु व्‍यवहार रखते हैं।

बारहवें भाव में राहु का नकारात्‍मक प्रभाव

जब बारहवें भाव में राहु नकारात्‍मक या अशुभ स्थि‍ति में हो, तो इसकी वजह से आकस्मिक खर्चे उत्‍पन्‍न होते हैं जिनके कारण आर्थिक समस्‍याएं पैदा होती हैं। ये गलत कार्यों में लिप्‍त रहते हैं जिससे इनकी छवि खराब हो सकती है। इनका स्‍वास्‍थ्‍य भी कुछ ज्‍यादा अच्‍छा नहीं रह पाता है।

बारहवें भाव में राहु की कुछ उल्‍लेखनीय स्थितियां

वृषभ राशि में राहु: वृषभ राशि में राहु को उच्‍च का माना जाता है और इस स्थिति में व्‍यक्‍ति को असीम संपन्‍नता और आर्थिक लाभ मिलता है। इनकी गुप्‍त स्रोतों से आमदनी होती है। विदेश से अचानक मुनाफा होने से इनकी संपन्‍नता में वृद्धि होती है।

ये मल्‍टीनेशनल कंपनी या विदेश जाकर काम करने की इच्‍छा रखते हैं। इन्‍हें करियर के क्षेत्र में बेहतर प्रगति एवं उन्‍नति प्राप्‍त होती है।

वृश्चिक राशि में राहु: वृश्चिक राशि में राहु को नीच का माना जाता है। इस स्थिति में जातक गूढ़ विज्ञान जैसे क्षेत्र में करियर बनाने की इच्‍छा रख सकता है। इनका व्‍यक्‍तित्‍व ही रहस्‍यमयी होता है।

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इन नामचीन हस्तियों की कुंडली के 12वें भाव में हैं राहु

मुकेश अंबानी: देश के सबसे बड़े और सफल उद्यमियों में मुकेश अंबानी अग्रणी हैं। इनकी कुंडली में राहु बारहवें भाव में है जिसकी वजह से इन्‍हें अपने व्‍यापार में सफलता की ऊंचाईयां छूने का मौका मिला।

स्‍वामी विवेकानंद: वह एक हिंदू आध्‍यात्मिक नेता थे। संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका और इंग्‍लैंड में वेदांत फिलॉस्‍फी में उन्‍होंने अहम भूमिका निभाई है। उनकी कुंडली के बारहवें भाव में भी राहु विराजमान था जिसकी वजह से उनका रुझान अध्‍यात्‍म एवं धर्म की ओर बढ़ा।

नेल्‍सन मंडेला: वह दक्षिण अफ्रीका के पहले ब्‍लैक राष्‍ट्रपति थे। उन्‍हें 1993 में शांति स्‍थापना के लिए नोबल पुरस्‍कार से भी नवाज़ा गया था।

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राहु के बारहवें भाव में होने पर बनते हैं ये योग

गुरु चांडाल योग: राहु की बृहस्‍पति के साथ युति होने पर गुरु चांडाल योग बनता है और इस योग की वजह से जातक के जीवन में कई रुकावटें और अड़चनें आती हैं। उसे कार्य पूरे करने में दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है। ये लाभ प्राप्‍त करने के लिए अपने पद का गलत इस्‍तेमाल करते हैं।

ग्रहण योग: सूर्य या चंद्रमा के राहु के साथ युति करने पर ग्रहण योग बनता है। सूर्य के साथ बनने पर जातक को सरकार से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उसे सरकारी प्रोजेक्‍ट में नुकसान उठाना पड़ सकता है या उस पर कोई मुकदमा भी चल सकता है। वहीं चंद्रमा के साथ युति होने पर जातक मानसिक तनाव से ग्रस्‍त रहता है और कई कारणों से पीड़ा उठाता है।

शेषनाग कालसर्प योग: जब राहु बारहवें भाव में हो, केतु छठे भाव में हो और सभी ग्रह राहु-केतु के बीच में आ रहे हों, तब इस योग का निर्माण होता है। इस योग के दुष्‍प्रभाव की वजह से व्‍यक्‍ति को अपने शत्रुओं के साथ मतभेदों का सामना करना पड़ता है। इनके ऊपर कोई मुकदमा भी चल सकता है।

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राहु के बारहवें भाव में होने पर ज्‍योतिषीय उपाय

  • राहु के बारहवें भाव में होने पर इसके बुरे प्रभावों को कम करने के लिए आप निम्‍न ज्‍योतिषीय उपाय कर सकते हैं।
  • रसोई से बाहर भोजन न करें। अपना भोजन खुद पकाएं और उसे रसोई के अंदर ही खाएं।
  • अच्‍छी नींद के लिए आप खांड और सौंफ को अपने तकिए के नीचे रखें। इससे राहु के बारहवें भाव में पड़ने वाले बुरे प्रभाव कम हो सकते हैं।
  • आप लाल कपड़े में थोड़ी सौंफ डालकर उसे अपने साथ रखें। इससे आपका दिमाग शांत रहता है। आप अपनी मासी या बहन को अपनी आय में कुछ पैसा दें। इससे राहु शांत रहता है।
  • अपने गले में चांदी पहन कर रखें। इसके अलावा चांदी के गिलास में पानी पिएं।

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अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न

प्रश्‍न. 12वें घर में राहु क्‍या दर्शाता है?

उत्तर. बारहवें घर में राहु दर्शाता है कि आप उत्‍साही स्‍वभाव के हैं।

प्रश्‍न. राहु कौन से भाव में शुभ फल देता है?

उत्तर. राहु तीसरे, छठे या 11वें भाव में शुभ फल देता है।

प्रश्‍न. राहु शुभ का कब होता है?

उत्तर. राहु दसवें, 11वें और पांचवे स्‍थान पर शुभ माना जाता है।

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