कैसे शुरु हुआ प्रबोधन पर्व, जानें इस दिन पूजा करने के लाभ!

हर मास की एकादशी तिथि को हिंदू धर्म के लोग शुभ मानते हैं। लेकिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को बाकी सारी एकादशियों में अलग स्थान प्राप्त हैष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी कहा जाता है इस दिन को प्रबोधन पर्व के रुप में भी जाना जाता है। इस दिन पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने का भी बड़ा महत्व है।  

कैसे हुई इस पर्व की शुरुआत 

हिंदू शास्त्रों के अनुसार एक बार भगवान विष्णु औऱ दैत्य शंखासुर के बीच लंबे समय तक युद्ध चला। भगवान विष्णु ने अंत में शंखासुर को हराया और उसे मार गिराया। जिस दिन भगवान विष्णु ने उसे मारा उस दिन भाद्रपद मास की शुक्ल एकादशी थी। शंखासुर से युद्ध करके भगवान विष्णु बहुत थक चुके थे इसलिये वह क्षीरसागर में जाकर योग निद्रा में लीन हो गए। भगवान विष्णु याग निद्रा से कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को जागे। जब वह जागे तो सारे देवताओं द्वारा उनकी पूजा की गई। यही कारण है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को देवप्रबोधिनी कहा जाता है और इस दिन प्रबोधन पर्व मनाया जाता है।

इस दिन पूजा करने का महत्व

जिस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं उस दिन को देवश्यनी का दिन कहा जाता है। इस दिन के बाद से देवउठनी एकादशी तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। देवउठनी एकादशी के बाद शुभ कार्य शुरु हो जाते हैं। आपको बता दें कि दीपावली का त्योहार उन महीनों के दौरान ही आता है जब भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं इसलिये दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा भगवान विष्णु के बिना ही होती है। जब देवउठनी या प्रबोधन पर्व के दिन विष्णु भगवान योग निद्रा से जाग जाते हैं तो उस दिन देवी-देवता विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी की पूजा एक साथ की जाती है। प्रबोधन पर्व के दौरान हर हिंदू घर में पूजा की जाती है। भक्त भगवान से कामना करते हैं कि उनके जीवन में खुशियां बनी रहें। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा का शुभ फल भक्तों को अवश्य मिलता है। 

साल 2019 में प्रबोधन पर्व या देवउठनी एकादशी 8 नवंबर को है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान शालिग्राम जिन्हें विष्णु भगवान का ही रुप माना जाता है का विवाह तुलसी जी से करवाया जाता है। माना जाता है कि तुलसी माता लक्ष्मी का ही अंश है और तुलसी का पौधा उनकी राख से बना है। देवउठनी एकादशी के दिन यदि आप तुलसी विवाह कराते हैं तो आपकी शादी में आ रही या शादीशुदा जिंदगी में आ रही सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं।