हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन (द्वितीय तिथि) को फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाता है। इस साल यानि 2020 में यह त्यौहार 25 फरवरी (मंगलवार) को मनाया जा रहा है। यह 24 फरवरी को 23:16:40 से शुरू होकर 26 फरवरी 01:39:36 तक रहेगा।
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ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह त्यौहार मार्च या फरवरी के महीने में मनाया जाता है। फुलेरा दूज का त्यौहार बसंत पंचमी और होली के बीच फाल्गुन में मनाया जाता है। ज्योतिष जानकारों की मानें तो फुलेरा दूज पूरी तरह दोष मुक्त दिन है। इस दिन का हर पल शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन किसी शुभ काम को करने के लिए मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती।
क्या है फुलेरा दूज
इसे एक शुभ और सर्वोच्च त्यौहार माना जाता है। इस त्यौहार को उत्तर भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। यह त्यौहार भगवान कृष्ण को समर्पित है। शाब्दिक अर्थ में फुलेरा का मतलब होता है ‘फूल’ जो फूलों को दर्शाता है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण फूलों से खेलते हैं और फुलेरा दूज की शुभ पूर्व संध्या पर होली के त्यौहार में भाग लेते हैं। ‘
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जानें फुलेरा दूज का महत्व
आकाशीय और ग्रह संबंधी भविष्यवाणियों के अनुसार, इस त्यौहार को सबसे महत्वपूर्ण और शुभ दिनों में से एक माना जाता है। आइए जानते हैं क्या है फुलेरा दूज का महत्व-
- फुलेरा दूज मुख्य रूप से बसंत ऋतु से जुड़ा त्यौहार है।
- वैवाहिक जीवन या प्रेम संबंधों में किसी भी परेशानी को दूर करने के लिए इससे अच्छा दिन कोई नहीं हो सकता है।
- फुलेरा दूज को साल का ‘अबूझ मुहूर्त’ भी माना जाता है क्योंकि यह दिन किसी भी हानिकारक प्रभाव और दोषों से प्रभावित नहीं होता। इस दिन आप विवाह, संपत्ति की खरीद आदि जैसे सभी तरह के शुभ कार्यों को अंजाम दे सकते हैं क्योंकि ऐसा करने के लिए इस दिन को सबसे पवित्र माना गया है। इस दिन आपको किसी शुभ मुहूर्त का इंतजार करने की जरूरत नहीं है, ना ही किसी पंडित से परामर्श लेने की जरूरत है
- इस दिन मुख्य रूप से राधा-कृष्ण की पूजा की जाती है।
- अगर किसी की कुंडली में प्रेम का अभाव हो तो उन्हें इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा करनी चाहिए।
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ज्योतिष के जानकारों की मानें तो किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए या किसी नए काम की शुरुआत के लिए इससे अच्छा दिन कोई हो ही नहीं सकता है। इस दिन जो भी भक्त प्रेम और श्रद्धा से राधा-कृष्ण की उपासना करते हैं उनके जीवन में भगवान श्री कृष्ण प्रेम और ख़ुशियाँ बरसाते हैं।
कैसे मनाते हैं फुलेरा दूज-
- इस विशेष दिन पर भक्त भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं। यह पर्व उत्तरी भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भव्य उत्सव की तरह मनाया जाता है।
- भक्त इस दिन घरों और मंदिरों में देवता की मूर्तियों को सजाते हैं। राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं को सुंदर फूलों से सजाते हैं।
- इस खास दिन पर अनुष्ठान सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसमें भगवान श्री कृष्ण और राधा के साथ रंग-बिरंगे फूलों से होली खेलते हैं।
- मंदिरों को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है और भगवान कृष्ण-राधा की मूर्ति को सजाकर रंगीन मंडप में रखते हैं।
- भगवान कृष्ण-राधा को सुंगध और अबीर-गुलाल भी अर्पित करते हैं।
- प्रसाद में सफेद मिठाई, पंचामृत और मिश्री चढ़ाएं।
- प्रसाद के बाद ‘मधुराष्टक’ का पाठ करें या ‘राधा कृपा कटाक्ष’ का पाठ करें, अगर आपको पाठ करना कठिन लगे तो बस ‘राधेकृष्ण’ का जाप कर सकते हैं।
- देवताओं के सम्मान में भजन-कीर्तन किया जाता है।
- पूजा खत्म करने के बाद श्रृंगार की चीजों का दान करें और प्रसाद ग्रहण कर लें।
कृष्ण भक्त इस दिन को बड़े उत्सव की तरह मनाते हैं। उनमें इस दिन को लेकर काफी उत्साह होता है। वे राधे-कृष्ण को गुलाल लगाते हैं, भोग लगाते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं। फुलेरा दूज का दिन भगवान कृष्ण के प्रेम को जीतने का दिन है। मानते हैं कि इस दिन भक्त कान्हा पर जितना प्रेम बरसाते हैं, उतना ही प्रेम कान्हा भी अपने भक्तों पर लुटाते हैंं।
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फुलेरा दूज मनाने के समय रखें इन बातों का ध्यान
- इस दिन पूजन करने के लिए शाम का समय सबसे उत्तम माना जाता है।
- पूजा के समय रंगीन और साफ कपड़े पहनें।
- अगर आप प्रेम संबंधी परेशानी के लिए पूजा कर रहे हैं तो गुलाबी कपड़े पहनें और अगर वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियों को खत्म करने के लिए पूजा कर रहे है तो पीले रंग के कपड़े पहनें।
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