पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत, जानें 2025 में कब है?

पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत, जानें 2025 में कब है?

हिंदू धर्म के अनुसार साल में कई एकादशी आती हैं जिनमें पौष पुत्रदा एकादशी का बहुत महत्‍व है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में दो बार पुत्रदा एकादशी आती है। पहली एकादशी पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है और दूसरी पुत्रदा एकादशी का व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आता है।

इस दिन भगवान विष्‍णु के लिए व्रत एवं पूजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्य फल मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, जो व्‍यक्‍ति संतान प्राप्ति चाहते हैं, वे इस एकादशी पर व्रत रख सकते हैं। संतान की प्राप्ति और उसकी दीर्घायु के लिए इस दिन व्रत एवं पूजन किया जाता है।

यह भी पढ़ें: राशिफल 2025

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके 

कब है पुत्रदा एकादशी 2025?

09 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट पर एकादशी तिथि आरंभ होगी और 10 जनवरी को 10 बजकर 22 मिनट पर इसका समापन होगा। इस प्रकार पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी को शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। पुत्रदा एकादशी पर शुभ योग भी बन रहा है।

कुल नित्‍य योगों में शुभ योग 23वें स्‍थान पर आता है और इस योग पर मां लक्ष्‍मी का आधिपत्‍य है। शास्‍त्रों में शुभ योग को बहुत लाभकारी माना जाता है। इस योग को भाग्‍यशाली और पुण्‍य देने वाला कहा जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि इस योग में किए जाने वाले सभी कार्य संपन्‍न होते हैं।

पौष पुत्रदा एकादशी 2025 का महत्‍व

जिन जातकों के कोई संतान नहीं है, वे पुत्र या संतान प्राप्ति के लिए पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रख सकते हैं। इस दिन व्रत एवं पूजन करने से सभी सुख-सुविधाएं मिलती हैं और व्‍यक्‍ति मृत्‍यु के बाद बैकुंठ धाम को जाता है। इसके साथ ही उसके सारे पाप भी धुल जाते हैं। मान्‍यता है कि इस व्रत को रखने से संतान का स्‍वास्‍थ्‍य भी अच्‍छा रहता है और वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक नगर में सुकेतुमान नाम का राजा रहता था, उसकी पत्नी का नाम शैव्या था। राजा-रानी दोनों संतानहीन थे और इस बात को लेकर वह सदैव चिंतित रहते थे। राजा को यह बात विचलित करती थी कि उनके बाद उनका राजपाट कौन संभालेगा और मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार, श्राद्ध, पिंडदान आदि कर्म कौन करेगा और कौन उन्हें मुक्ति दिलाएगा और कौन उनके पितरों का तर्पण करेगा?

एक बार राजा जंगल में विचरण करने निकले और वहां जाकर प्रकृति के सौंदर्य को देखकर मंत्रमुग्‍ध हो गए। जंगल में राजा ने देखा कि हिरण, मोर व अन्य पशु पक्षी अपनी पत्नी व बच्चों के साथ सुख से जी रहे हैं। यह सब देखकर वह और ज्‍यादा परेशान हो गए। उनके मन में विचार आने लगा कि इतने पुण्य कर्म करने के बाद भी वह निःसंतान रह गए।

आपकी कुंडली में भी है राजयोग? जानिए अपनी  राजयोग रिपोर्ट

उसी समय राजा को प्यास लगी और वह पानी की तलाश में करने लगा। तभी उनकी नज़र नदी के किनारे बने ऋषि-मुनियों के आश्रम पर पड़ी। राजा ने वहां जाकर सभी ऋषियों को प्रणाम किया।  राजा के विनम्र स्वभाव को देखकर वहां उपस्थित सभी ऋषि उससे काफी प्रसन्न हुए और उसे कोई वरदान मांगने के लिए कहा। इस पर राजा ने कहा -हे! ऋषिगण मेरे पास सब कुछ है लेकिन कोई संतान नहीं है। आजकल मैं बस इसी चिंता में डूबा रहता हूं।

राजा की इस बात को सुनकर ऋषि बोले, “राजन! भगवान ने आज तुम पर अपनी विशेष कृपा दिखाई है और उनकी कृपा से ही तुम यहां पहुंचे हो। ऋषि ने राजा को पुत्रदा एकादशी का पूरी निष्‍ठा से व्रत करने के लिए कहा। राजा ने उस व्रत का पालन किया और नियम के अनुसार द्वादश के दिन व्रत पारण किया। इसके कुछ दिनों बाद रानी गर्भवती हुईं और उन्हें एक तेजस्वी और यशस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई और अंत में राजा को मोक्ष मिला। इस प्रकार से इस व्रत का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।

करियर की हो रही है टेंशन! अभी ऑर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट

पौष पुत्रदा एकादशी 2025 की पूजन विधि

आप पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान कर के साफ वस्‍त्र धारण कर लें। इसके बाद आप घर के पूजन स्‍थल में खड़े होकर व्रत का संकल्प लें। अब आप अपने घर के पूजा स्‍थल की सफाई करें और पूरे घर को शुद्ध करें। मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें और फिर शंख में जल भरकर प्रतिमा का अभिषेक करें।

अभिषेक करने के बाद आप भगवान विष्णु को चंदन का तिलक लगाएं और चावल, फूल, अबीर, गुलाल, इत्र आदि से उनकी पूजा करें। इसके बाद आप मूर्ति के आगे घी का दीपक जलाएं। पौष पुत्रदा एकादशी पर पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करना अत्‍यंत लाभकारी माना जाता है क्‍योंकि विष्‍णु जी को पीला रंग बहुत प्रिय है। इसके अलावा आप भगवान विष्णु को भी पीले वस्त्र अर्पित करें।

अब आप भगवान विष्‍णु को मौसमी फल, आंवला, लौंग, नींबू, सुपारी चढ़ाएं। फिर गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाएं। खीर में तुलसी का पत्ता जरूर डालें। इसके बाद पुत्रदा एकादशी की कथा पढ़ें और आरती करें।

पौष पुत्रदा एकादशी 2025 के दिन मंदिर जाकर भी श्रीहरि और मां लक्ष्‍मी की आराधना करें और एकादशी की रात भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें। एकादशी के अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उसके पश्‍चात् ही व्रत का पारण करें।

अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!

पौष पुत्रदा 2025 एकादशी पर इन बातों का रखें ध्‍यान

  • आप इस दिन अपशब्‍दों का प्रयोग न करें, किसी से झगड़ा न करें और न ही क्रोध करें।
  • एकादशी के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें और व्रती को अनाज का सेवन करने से बचना चाहिए।
  • एकादशी के दिन चावल का सेवन करना सख्‍त वर्जित है। इसके अलावा मांस, मछली, शराब और अंडे आदि से भी परहेज़ करना चाहिए।
  • आप पौष पुत्रदा एकादशी पर ब्रह्म मुहूर्त में स्‍नान करें और इस दिन सिर न धोएं।
  • इस दिन भोग में तुलसी के पत्तों का प्रयोग करना शुभ माना जाता है लेकिन एकादशी तिथि पर तुलसी के पत्ते तोड़ने नहीं चाहिए।
  • एकादशी का प्रसाद तेल में पकाना नहीं चाहिए।

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्‍न 1. पौष पुत्रदा एकादशी 2025 कब है?

उत्तर. 10 जनवरी, 2025 को पौष पुत्रदा एकादशी है।

प्रश्‍न 2. पुत्रदा एकादशी क्‍यों मनाई जाती है?

उत्तर. संतान प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखा जाता है।

प्रश्‍न 3. पुत्रदा एकादशी पर क्‍या नहीं खाना चाहिए?

उत्तर. इस दिन प्‍याज, लहसुन और मांस आदि का सेवन वर्जित है।