सालों बाद पौष पूर्णिमा पर बन रहा है अद्भुत संयोग, इन उपायों से जाग उठेगी सोई किस्मत!

सालों बाद पौष पूर्णिमा पर बन रहा है अद्भुत संयोग, इन उपायों से जाग उठेगी सोई किस्मत!

एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको पौष पूर्णिमा 2024 के बारे में बताएंगे और साथ ही, इस बारे में भी चर्चा करेंगे कि इस दिन किस प्रकार के उपाय करने चाहिए ताकि आप इन उपायों को अपनाकर चंद्रमा और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त कर सके। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि विस्तार से पौष पूर्णिमा के बारे में।

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हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। पौष माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली के लिए पौष माह की पूर्णिमा के दिन व्रत और पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन स्नान, दान और सूर्यदेव को अर्घ्य भी दिया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ चंद्रमा की भी पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा, व्रत कर घर में सत्यनारायण की कथा करने से व्यक्ति जीवन में सुख भोगता है और मृत्यु के बाद अगले जन्म में भी धन, शांति और समृद्धि पाता है। खास बात यह है कि इस दिन बेहद खास संयोग बन रहा है। यह संयोग कई सालों बाद बन रहा है, जो विशेष मायनों में खास साबित होगा और इस वजह से इस पूर्णिमा तिथि का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाएगा। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं पौष पूर्णिमा की तिथि, मुहूर्त व इस दिन किए जाने वाले आसान उपायों के बारे में और भी बहुत कुछ।

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पौष पूर्णिमा 2024: तिथि व मुहूर्त

इस साल पौष माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 25 जनवरी 2024 गुरुवार के दिन पड़ रही है। 

पूर्णिमा आरम्भ: 24 जनवरी 2024 की रात 09 बजकर 52 मिनट से 

पूर्णिमा समाप्त: 25 जनवरी 2024 की रात 11 बजकर 26 मिनट तक

पौष पूर्णिमा 2024 पर खास संयोग

पौष पूर्णिमा 2024 तिथि के दिन कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग और प्रीति योग। इन चारों योग का निर्माण हो रहा है। मान्यता है कि यदि आप भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना करती हैं तो आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। इसके अलावा, इस दिन दान-पुण्य के कामों से भी आपको लाभदायक परिणाम प्राप्त होंगे।

पौष पूर्णिमा का महत्व

सनातन धर्म के अनुसार, पौष का महीना सूर्य देव का माह है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि है इसलिए इस दिन चंद्रमा के साथ-साथ सूर्य देव की पूजा आराधना से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। पौष पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा नदी में लोग स्नान के लिए जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन पूजा, जप, तप और दान से न केवल चंद्र देव, बल्कि भगवान श्रीहरि की भी कृपा मिलती है और व्यक्ति के समस्त पाप कट जाते हैं।

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पौष पूर्णिमा की पूजा विधि

जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि पौष पूर्णिमा पर स्नान, दान, जप और व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष मिलता है। इस दिन चंद्रमा और सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं पौष पूर्णिमा की व्रत और पूजा विधि के बारे में:

  • पौष पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनकर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद गेहूं और अनाज की पांच ढेर बनाएं इनपर भगवान विष्णु, सूर्य, रुद्र, ब्रह्मा और देवी लक्ष्मी को स्थापित करेंगे। 
  • जिनकी तस्वीर या मूर्ति न हो उनका ध्यान करते हुए उनके नाम से एक फूल उस ढेर पर रख दें।
  • इसके बाद पूरी विधि से पूजा करें। घी का दीप जलाएं और तिल, गुड़ और फल का प्रसाद भगवान को अर्पित करें और फिर आरती करें। 
  • अगले दिन यह अनाज किसी ब्राह्मण अथवा जरूरतमंद को दान करें। शाम के समय खीर का प्रसाद बनाकर माता लक्ष्मी को अर्पित करें। आरती करें और कथा पढ़ें। 
  • अंत में पारण मुहूर्त में व्रत पारण करें। 

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पौष पूर्णिमा पर न करें ये काम 

  • माता लक्ष्मी को साफ सफाई बेहद प्रिय है इसलिए इस दिन घर को पूरी तरह साफ रखें और ध्यान रहें कि सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू न लगाएं। माना जाता है कि रात में झाड़ू लगाने से माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।
  • पौष पूर्णिमा के दिन भूलकर भी तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज आदि का सेवन न करें। इससे घर आई लक्ष्मी रूठ जाती है। 
  • पूर्णिमा के दिन माता-पिता या फिर बुजुर्गों से झगड़े न करें और न उनका अपमान करें। माना जाता है कि ऐसा करने से चंद्र दोष लगता है। 
  • इस दिन यदि घर पर कोई गरीब या असहाय व्यक्ति आए तो उसे खाली हाथ न जाने दें। उसे अपनी क्षमता अनुसार कुछ न कुछ जरूर दें।  
  • वैसे तो झूठ कभी भी नहीं बोलना चाहिए लेकिन पौष पूर्णिमा के दिन गलती से भी झूठ नहीं बोलना चाहिए।

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पौष पूर्णिमा के दिन पढ़ें ये कथा

कटक नगर में धनेश्वर नाम का एक ब्राह्मण और उनकी पत्नी रूपवती रहते थे। इस ब्राह्मण जोड़े के पास धन, संपत्ति, विलासिता की हर चीज़ें थी। उन्हें किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं थी लेकिन वे निसंतान थे। एक दिन इनके शहर में एक योगी आए। योगी ने वहां पर मौजूदा हर घर से दान दक्षिणा मांगी लेकिन धनेश्वर के घर से उन्होंने कुछ भी नहीं मांगा। ऐसे में धनेश्वर ने ब्राह्मण से पूछा कि, आखिर आपने हमसे कुछ क्यों नहीं मांगा। धनेश्वर की बात सुनकर योगी ने उन्हें बताया कि हम निःसंतान लोगों से दान दक्षिणा नहीं लेते हैं। योगी जी की बात सुनकर धनेश्वर को बहुत दुख हुआ लेकिन उन्होंने योगी जी का आशीर्वाद लिया और उनसे पूछा कि, हम ऐसा क्या कर सकते हैं जिससे हमें संतान की प्राप्ति हो? तब योगी ने धनेश्वर को बताया कि आप प्रत्येक पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा की पूजा करें। ब्राह्मण ने योगी की बात मानकर ऐसा ही किया जिसके बाद उन्हें संतान की प्राप्ति हुई। 

इस बारे में श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा था कि 32 पूर्णिमा का व्रत करने के परिणाम स्वरूप ही धनेश्वर पिता बन पाए। ऐसे में जो कोई भी व्यक्ति इस व्रत का पालन करता है उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है और ऐसे लोग भाग्यशाली भी होते हैं। साथ ही, यह व्रत व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं और इच्छा की पूर्ति के लिए भी जाना जाता है। 

पौष पूर्णिमा पर करें ये आसान उपाय

नीचे कुछ सरल उपाय बताए जा रहे हैं, जिन्हें पौष पूर्णिमा के दिन जरूर करने चाहिए। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में:

आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए

पौष पूर्णिमा की पूजा के दौरान माता लक्ष्मी के प्रभावशाली मंत्र ‘ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:’ का जाप करें। इस मंत्र का जाप कमलगट्टे की माला से करें। माना जाता है कि ऐसा करने से जातक आर्थिक जीवन में आ रही समस्याओं से छुटकारा पा सकता है।

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धन-धान्य के लिए

पौष पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी और चंद्रमा की विधिपूर्वक पूजा करें। सबसे पहले माता लक्ष्मी व भगवान विष्णु को खीर का भोग लगाएं। यह खीर आप मखाने की बना सकते हैं या​ फिर चावल की भी बना सकते हैं। भोग लगाने के बाद खीर सब में प्रसाद के रूप में बांट दें। माना जाता है कि ऐसा करने धन धान्य की कमी नहीं होती है।

विवाह के लिए

यदि किसी कारणवश शादी नहीं हो रही है या विवाह में अड़चन आ रही है तो पौष पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी को हरसिंगार के फूल अर्पित करें। ऐसा करने से जल्द की शादी के योग बनते हैं और जल्द शादी होती है।

कर्ज से छुटकारा पाने के लिए

माता लक्ष्मी की असीम कृपा पाने के लिए पौष पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को 11 या 21 पीले रंग की कौड़ियां अर्पित करें। इसके बाद इन्हें लाल या फिर पीले रंग के कपड़े में बांधकर तिजोरी या अपनी अलमारी में रख दें। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति कर्ज मुक्त होता है।

सुखी वैवाहिक जीवन के लिए

यदि पति-पत्नी के बीच किसी न किसी बात पर झगड़े या वाद-विवाद होता रहता है और नतीजन बात अलगाव तक पहुंच जाती है तो इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी अति प्रसन्न होंगी और भगवान विष्णु का भी विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा।

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