एक वर्ष में कई पूर्णिमा तिथि पड़ती हैं लेकिन इन सभी पूर्णिमा तिथि में पौष पूर्णिमा और माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। हिंदू धर्म के लोगों के लिए पौष पूर्णिमा और माघ पूर्णिमा बेहद शुभ और फलदायक तिथियां मानी जाती है।
इस वर्ष पौष मास की पूर्णिमा 17 जनवरी 2022, सोमवार के दिन पड़ रही है। इस दिन पूजा, जप, तप और दान आदि करने का विधान बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बात करें तो पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से, भगवान विष्णु की पूजा करने से, और भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ या श्रवण करने से व्यक्ति को सौ बलि के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है।
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मान्यता है कि, पूर्णिमा के दिन किया गया दान सभी मनोकामनाओं की पूर्ति का वरदान देता है। बहुत से लोग इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और पूजा आदि के बाद तिल चढ़ाते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से उनके पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। अपने पूर्वजों की मोक्ष की प्राप्ति के संदर्भ में पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है।
आइए अब जानते हैं पौष पूर्णिमा की तिथि, शुभ योग और इसका महत्व क्या होता है। साथ ही आचार्य हरिहरन यहां पर इस बात की जानकारी प्रदान कर रहे हैं कि इस दिन राशि अनुसार क्या उपाय करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।
पौष माह-महत्व
सनातन धर्म में पौष के महीने का बेहद महत्व बताया गया है। इसके अलावा इस महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि भी बेहद महत्वपूर्ण होती है। हिंदू कैलेंडर में सबसे पवित्र दिनों में से एक पौष पूर्णिमा के दिन को माना गया है। मोक्ष प्राप्ति के लिए यह दिन बेहद ही महत्व रखता है क्योंकि यह सूर्य भगवान का महीना होता है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि होती है। ऐसे में इस तिथि को सूर्य चंद्रमा का संगम भी माना जाता है।
पौष के महीने के बाद माघ का महीना शुरू हो जाता है। माघ महीने में स्नान पौष पूर्णिमा पर ही शुरू होता है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन सुबह जल्दी अनुष्ठान, स्नान करता है वह मोक्ष का पात्र होता है। साथ ही उस व्यक्ति को जन्म मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। जानकारी के लिए बता दें कि, पूर्णिमा से करीब चार दिनों पहले पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाता है और यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है।
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पौष पूर्णिमा व्रत मुहूर्त
17 जनवरी, 2022- सोमवार
जनवरी 17, 2022 को 03:20:37 से पूर्णिमा आरम्भ
जनवरी 18, 2022 को 05:20:21 पर पूर्णिमा समाप्त
जानकारी: ऊपर दिया गया मुहूर्त नई दिल्ली के लिए मान्य है। अपने शहर के अनुसार इस दिन का शुभ मुहूर्त जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
पौष पूर्णिमा के दिन राहुकाल
पौष पूर्णिमा के दिन राहुकाल केवल सुबह के समय होता है। पौष पूर्णिमा के दिन राहु काल सुबह 8 बजकर 26 मिनट से लेकर 9 बजकर 44 मिनट तक रहने वाला है। राहुकाल में किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है।
पौष पूर्णिमा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष का महीना भगवान सूर्यनारायण को समर्पित होता है। इसके अलावा पूर्णिमा तिथि चंद्रमा को समर्पित होती है। ऐसे में पौष माह की पूर्णिमा होने के कारण इस तिथि का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को विशेष परिणाम प्राप्त होते हैं।
मान्यता है कि पौष पूर्णिमा के दिन नदी में स्नान करने से और सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा इस दिन व्रत रखकर चंद्रमा के प्रकट होने पर पूजा करनी चाहिए और अर्घ्य अर्पित कर व्रत पारण करना चाहिए। इस पूरे दिन व्यक्ति को उपवास करना चाहिए। शाम के समय किसी योग्य पंडित से सत्यनारायण की कथा सुननी चाहिए।
इस दिन की पूजा में भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसके साथ ही इंद्रदेव और नवग्रहों और सभी देवी, देवताओं, ठाकुर जी, और नारायण जी की पूजा की जाती है। इसके बाद मां सरस्वती, माता लक्ष्मी, मां पार्वती, की पूजा की जाती है और अंत में भगवान शिव और ब्रह्मा जी की पूजा की जाती है। चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचामृत, सुपारी, दुर्वा आदि चढ़ाएं। इससे सत्यनारायण देव प्रसन्न होते हैं। इसके बाद आरती और हवन कर पूजा पूरी की जाती है। साधक इस दिन अपनी यथाशक्ति के अनुसार पूजा, व्रत, और दान कर सकते हैं।
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पौष पूर्णिमा पूजा और व्रत विधि
हिंदू धार्मिक और वैदिक ज्योतिष के अनुसार पौष का महीना भगवान सूर्य का महीना होता है। ऐसे में इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए पौष पूर्णिमा के दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस दिन गंगा, काशी, प्रयागराज, हरिद्वार, आदि में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। सूर्य और चंद्रमा का यह खूबसूरत संगम केवल पौष पूर्णिमा के दिन ही पड़ता है। ऐसे में इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन से सभी मुश्किलें दूर होती हैं।
पौष पूर्णिमा के दिन बहुत से लोग व्रत करते हैं और मनोकामना प्राप्ति के लिए पूजा करते हैं। ऐसा करना बेहद ही शुभ और फलदायक होता है। आइए जान लेते हैं पौष पूर्णिमा व्रत और पूजा की सही विधि क्या है जिसे अपनाकर आप ही इस दिन का पूरा लाभ उठा सकते हैं।
- इस दिन सुबह जल्दी उठें और व्रत करने का संकल्प लें।
- इसके बाद किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें। हालाँकि ऐसा मुमकिन ना हो तो घर के पानी में ही गंगाजल की कुछ बूंदें डालकर उस से स्नान करें और वरुण देवता की पूजा करें।
- इसके बाद सूर्य मंत्रों का जप करते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।
- इसके बाद भगवान मधुसूदन की विधिवत पूजा करें और उन्हें नैवेद्य अर्पित करें।
- इसके बाद जरूरतमंदों, गरीबों, और ब्राह्मणों को अपनी यथाशक्ति के अनुसार भोजन का दान करें।
- इसके अलावा इस दिन तिल का दान, गुड़ का दान, कंबल का दान, या ऊनी कपड़ों का दान भी विशेष फलदाई माना गया है।
हर महीने चंद्रमा के बढ़ते आकार के कारण अमावस्या और पूर्णिमा की तिथि पड़ती है। पूर्णिमा की तिथि तब होती है जब चंद्रमा का आकार अपने अधिकतम तक पहुंच जाता है और हिंदू पंचांग के अनुसार इस वक्त पौष का महिना चल रहा है। पौष माह में पूर्णिमा तिथि बेहद महत्वपूर्ण होती है। इस वर्ष की पूर्णिमा तिथि 17 जनवरी को होगी। इस दिन दान और स्नान का विशेष महत्व बताया गया है इसीलिए इस दिन काशी, प्रयागराज, और हरिद्वार में गंगा स्नान करने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं।
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पौष पूर्णिमा के दिन पड़ने वाले अन्य त्योहार
पौष पूर्णिमा के दिन शाकंभरी जयंती मनाई जाती है। इसके अलावा इस दिन जैन धर्म के लोग पुष्य अभिषेक यात्रा का आयोजन करते हैं। छत्तीसगढ़ के आदिवासी ग्रामीण लोग पौष पूर्णिमा के दिन चरता पर्व मनाते हैं
पौष पूर्णिमा के दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग धार्मिक आयोजन आदि किये जाते हैं। प्रयागराज में इस दिन से पर्व की शुरुआत होती है और इस दिन स्नान का विशेष महत्व होता है। पौष पूर्णिमा पर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ माह के दौरान स्नान करने का संकल्प लेना चाहिए और पूर्णिमा के दिन शाकंभरी जयंती भी मनाई जाती है। इसके अलावा इस दिन जैन समुदाय की तीर्थ यात्राएं भी शुरू हो जाती हैं। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों के आदिवासी समुदाय के लोग इस दिन चरता पर्व मनाते हैं।
पौष पूर्णिमा के दिन से संबंधित व्रत कथा
कटक में धनेश्वर नाम की एक ब्राह्मण और उनकी पत्नी रूपवती रहते थे। इस ब्राह्मण जोड़े के जीवन में धन, संपत्ति, और विलासिता की सभी चीजें थी लेकिन इनके जीवन में एक बच्चे की कमी निरंतर बनी हुई थी। एक दिन इनके शहर में एक योगी आए। योगी ने वहां पर मौजूदा हर घर से दान दक्षिणा मांगी लेकिन धनेश्वर के घर से उन्होंने कुछ भी नहीं मांगा। ऐसे में धनेश्वर ने ब्राह्मण से पूछा कि, आखिर आप हमें क्यों टाल रहे हैं? आपने हमारे घर से दक्षिणा क्यों नहीं ली? धनेश्वर की बात सुनकर योगी ने उन्हें बताया कि हम निसंतान लोगों से दान दक्षिणा नहीं लेते हैं।
योगी जी की बात सुनकर धनेश्वर को बुरा अवश्य लगा लेकिन उन्होंने योगी जी का आशीर्वाद लिया और उनसे पूछा कि, हम ऐसा क्या कर सकते हैं जिससे हमें संतान की प्राप्ति हो? तब योगी ने धनेश्वर को बताया कि आप चन्द्र देव की पूजा करें। बताया जाता है कि ऐसा करने से उन्हें संतान की प्राप्ति हुई।
इस बारे में जिक्र करते हुए श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा था कि 32 पूर्णिमा का व्रत करने के परिणाम स्वरुप ही धनेश्वर पिता बन पाए। ऐसे में जो कोई भी व्यक्ति इस व्रत का पालन करता है उन्हें संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है और ऐसे लोग हमेशा भाग्यशाली रहते हैं। मुख्य तौर से यह व्रत पुत्र, पुत्री, और पोते पोतियो के लिए किया जाता है। साथ ही यह व्रत व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं और इच्छा की पूर्ति के लिए भी जाना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव की कृपा से पौष पूर्णिमा के व्रत की सभी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
पौष पूर्णिमा राशि अनुसार उपाय
आइये अब आगे बढ़ते हैं और आचार्य हरिहरन से जानते हैं कि इस दिन राशि अनुसार किन उपायों को करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।
मेष राशि
- प्रतिदिन 20 बार “ॐ दुर्गाया नमः” का जाप करें।
- सफेद फूलों से माता पार्वती की पूजा करें।
- सोमवार के दिन व्रत का पालन अवश्य करें।
वृषभ राशि
- शुक्रवार को लक्ष्मी पूजा करें।
- रात में भगवान चंद्रमा को अर्घ्य चढ़ाएं।
- गरीब लोगों को दही, चावल खिलाएं या दान करें।
मिथुन राशि
- पूर्णिमा के दिन भगवान शिव और माता पार्वती को दूध अर्पित करें।
- माता पार्वती के मंत्र का जाप करें।
- केवल फल खाकर उपवास का पालन करें।
कर्क राशि
- माता पार्वती के लिए होम करें।
- मां का आशीर्वाद लें।
- प्रतिदिन 11 बार “ॐ चंद्राय नमः” का जाप करें।
सिंह राशि
- इस दिन चंडी होम करें।
- इस दिन प्रतिदिन 11 बार “ॐ सोमाया नमः” का जाप करें।
- इस दिन “ॐ पार्वती नमः” का जाप करें।
कन्या राशि
- इस दिन अपने बड़ों से आशीर्वाद अवश्य लें।
- इस दिन सुबह और देर शाम दोनों समय स्नान करें।
- भगवान चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें और सोमवार को व्रत का पालन करें।
तुला राशि
- अपनी मां का सम्मान करें।
- इस दिन गरीब कन्याओं को नोटबुक दान करें।
- दुर्गा चालीसा सुनें।
वृश्चिक राशि
- इस दिन 11 बार “ॐ चंद्राय नमः” का जाप करें।
- इस दिन 11 बार “ॐ अथिरिये नमः” का जाप करें।
- इस दिन 11 बार “ओम अनुशाये नमः” का जाप करें।
धनु राशि
- इस दिन पार्वती होम करें।
- जरूरतमंदों को कपड़े दान करें।
- स्नान करने के बाद ध्यान करें।
मकर राशि
- इस दिन बिना नमक के भोजन का सेवन करें।
- इस दिन 11 बार भगवान चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें।
- अपनी मां का आशीर्वाद लें।
कुंभ राशि
- दुर्गा चालीसा का जाप करें।
- इस दिन “ॐ सोमाय नमः” का जाप करें।
- चंद्रमा होम करें।
मीन राशि
- इस दिन दुर्गा मंदिर जाएं।
- महिलाओं को भोजन परोसें।
- माता पार्वती का ध्यान करें।
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