आमतौर पर आपने मंदिरों में फल, फूल, मिष्ठान, वस्त्र, गहने इन सब चीज़ों को दान में देते और सुना होगा लेकिन आज हम आपको भगवान शिव के ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ दूर-दूर से भक्त आते हैं और भगवान शिव को झाड़ू अर्पित करते हैं। ये मंदिर मुरादाबाद और आगरा राजमार्ग पर स्थित एक छोटे से गांव सद्बदी में स्थापित है। इस मंदिर को पातालेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है. सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है इसलिए सोमवार के दिन यहाँ भारी मात्रा में लोग दर्शन करने के लिए उमड़ते हैं।
भगवान शिव को क्यों भेंट करते हैं झाड़ू?
इस मंदिर के बारे में लोगों की ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शिव को झाड़ू चढ़ाने से लोगों के त्वचा संबंधी सभी रोग दूर हो जाते हैं। यही वजह है कि सदियों पुराने इस मंदिर में आज भी वो लोग आते हैं जो त्वचा के रोगों से ग्रस्त है। जानकार बताते हैं कि यह मंदिर करीब 150 साल पुराना है और इसमें भगवान को झाड़ू चढ़ाने की रस्म आज की नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही चली आ रही है।
इस शिव मंदिर में कोई मूर्ति नहीं बल्कि एक शिवलिंग है, जिस पर श्रद्धालु झाड़ू अर्पित करते हैं। सोमवार को इस मंदिर में त्वचा संबंधी परेशानी वाले भक्त आते हैं और उनकी ऐसी धारणा है कि इस मंदिर की चमत्कारी शक्तियों से उन्हें त्वचा के रोगों से मुक्ति ज़रूर मिलेगी। अब ये मान्यता भी यूँ ही नहीं बनी। इसके पीछे भी एक कहानी है।
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इसलिए भगवान शिव को चढ़ाते हैं झाड़ू
बताया जाता है कि प्राचीन समय में इस गांव में कभी एक भिखारीदास नाम का एक व्यापारी रहता था। भिखारीदास गांव का सबसे धनी व्यक्ति था लेकिन वो त्वचा के रोग से पीड़ित था। इसी रोग में उसके शरीर पर काले-नीले धब्बे पड़ गए थे जिससे उसको काफी दर्द होता था। एक दिन अपने इसी दर्द का निवारण करवाने के लिए वो एक वैद्य के पास जा रहा था कि रास्ते में ही उसे बड़ी ज़ोर की प्यास लग गई।
भिखारीदास इधर-उधर पानी ढूंढने लगा। तभी उसे पास ही में एक आश्रम नज़र आया। पानी पीने के लिए भिखारीदास वहां चला गया। जिस वक़्त भिखारीदास आश्रम में आया उस समय आश्रम में एक महंत झाड़ू लगा रहा था। इसी दौरान महंत की वो झाड़ू भिखारीदास को छू गयी और झाड़ू के स्पर्श से ही उसका दर्द ख़त्म हो गया। तब अचरज में पड़े भिखारीदास ने महंत से पूछा की ये चमत्कार उन्होंने कैसे किया?
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तब महंत ने बड़ी ही विनम्रता से उन्हें जवाब दिया कि इसमें मैंने कुछ नहीं किया है। मैं भगवान शिव का उपासक हूँ और ये चमत्कार मेरे शिव ने ही किया है। इसके बाद भिखारीदास बहुत प्रसन्न हुआ और उसने महंत को तोहफे में सोने की गिन्नियॉँ देने का प्रस्ताव दिया लेकिन महंत ने गिन्नियां लेने से इंकार कर दिया। भिखारीदास ने बहुत अनुरोध किया लेकिन महंत नहीं माने। तब महंत ने भिखारीदास से कहा कि अगर आपको मुझे कोई तोहफ़ा देना है तो यहाँ एक शिव मंदिर बनवा दीजिए।
इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त आते हैं
कुछ समय बाद ही भिखारीदास ने महंत के कहेनुसार वहां पर शिव मंदिर बनवा दिया और तभी से ये मान्यता हो गयी कि इस मंदिर में जो भी झाड़ू चढ़ाता है उसके त्वचा संबंधी सभी रोग अवश्य ख़त्म हो जाते हैं। इसी के चलते आज भी हज़ारों की तादाद में लोग यहाँ आते हैं और अपनी त्वचा संबंधी दिक़्क़तों से छुटकारा पाते हैं। सिर्फ त्वचा संबंधी रोगी ही नहीं बल्कि यहाँ हर तरह के भक्त हर तरह की मनोकामना लिए आते हैं जिसे भगवान शिव अवश्य पूरा भी करते हैं। इस चमत्कारी शिव मंदिर में लाखों लोग साल-भर में आते हैं और अपने दुखों से मुक्ति प्राप्त करते हैं।