हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है। सनातन धर्म में इस एकादशी का विशेष महत्व है और यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित हैं। जैसे कि नाम से ही स्पष्ट है, ‘पापांकुशा’ का अर्थ है ‘पाप पर अंकुश’ लगाना। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति जीवन भर में किए गए सभी पापों से मुक्ति पाता है। यहां तक कि इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु का व्रत और पूजन करने से घर-परिवार के सभी लोगों और पीढ़ियों को भी पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है।
इस बार पापांकुशा एकादशी के दिन एक विशेष योग बन रहा है, जिससे इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। इस शुभ योग में किए गए उपाय बेहद फलदायी साबित होंगे। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं पापांकुशा एकादशी की तिथि, महत्व, योग, कथा आदि के बारे में।
भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके
पापांकुशा एकादशी 2023: तिथि व समय
इस साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 25 अक्टूबर दिन बुधवार को पड़ रही है और ऐसे में, पापांकुशा एकादशी का व्रत 25 अक्टूबर को रखा जाएगा।
एकादशी तिथि प्रारंभ: 24 अक्टूबर 2023 की दोपहर 03 बजकर 16 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 25 अक्टूबर 2023 की 12 बजकर 34 मिनट तक
पापांकुशा एकादशी पारण मुहूर्त
पारण मुहूर्त : 26 अक्टूबर की सुबह 06 बजकर 28 मिनट से 08 बजकर 43 मिनट तक
अवधि : 2 घंटे 14 मिनट
पापांकुशा एकादशी पर शुभ योग
इस दिन वृद्धि योग बन रहा है। इस योग में किए गए कार्य में वृद्धि ही होती है और यह योग सभी योगों में सर्वश्रेष्ठ योग माना जाता है। इस योग में किए गए काम में न तो कोई रुकावट आती है और न ही कोई झगड़ा होता है अपितु इस योग में किए गए कार्यों में वृद्धि होती है और वह कार्य बेहद फलदायी होता है।
वृद्धि योग प्रारंभ : 24 अक्टूबर की दोपहर 03 बजकर 39 मिनट से
वृद्धि योग समाप्त : 25 अक्टूबर की दोपहर 12 बजकर 16 मिनट तक
पापांकुशा एकादशी का महत्व
वैसे तो सनातन धर्म में हर माह पड़ने वाले प्रत्येक एकादशी का अपना ही अलग महत्व है लेकिन पापांकुशा एकादशी सभी एकादशी में विशेष मानी जाती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के द्वारा जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप दूर हो जाते हैं और साथ ही, मन और आत्मा दोनों शुद्ध होते हैं। पापाकुंशा एकादशी एक हजार अश्वमेध और कई सूर्य यज्ञ करने के समान फल प्रदान करने वाली होती है। इस एकादशी व्रत के समान अन्य कोई व्रत नहीं है। इसके अलावा, जो व्यक्ति इस एकादशी की रात्रि में व्रत करते हुए जागरण करता है और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करता है तो उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। पद्म पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन सुवर्ण, तिल, गौ, अन्न, जल, जूते और छाते का दान करता है,उसे यमराज के दर्शन नहीं होते हैं वह सीधे बैकुंठ धाम को प्राप्त होता है।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
पापांकुशा एकादशी के दिन इस विधि से करें पूजा
पापांकुशा एकादशी के दिन विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है। आइए जानते हैं इस दिन कैसे करें पूजा:
- पापांकुशा एकादशी के दिन गरुड़ पर विराजमान भगवान विष्णु के दिव्य रूप की पूजा की जाती है।
- इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि कार्य से निवृत्त होकर के व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- इसके बाद संकल्प कलश की स्थापना करके उस पर भगवान विष्णु के स्वरूप भगवान पद्मनाभ की प्रतिमा रखें। अगर उनकी प्रतिमा न हो तो उनका चित्र भी रख सकते हैं और यदि वो भी ना हो तो भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर रखकर पूजा करें।
- प्रतिमा को पंचामृत और फिर गंगाजल से स्नान कराकर, चंदन से तिलक करें व नैवेद्य अर्पित करें। इसके बाद फल-फूल अर्पित करें और धूप, दीप से आरती करें।
- पूजा के दौरान भगवान विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत्र का पाठ करें।
- इसके बाद पापांकुशा एकादशी व्रत की कथा जरूर सुनें या पढ़ें।
- दिनभर उपवास करें और शाम के समय भगवान की पूजा और आरती के बाद फलाहार करें।
- अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मण को भोजन कराएं और उसके बाद व्रत पारण करें।
पापांकुशा एकादशी व्रत के नियम
पापांकुशा एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को कुछ नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए। आइए जानते हैं उन नियमों के बारे में :
- इस दिन महिलाओं को सिर से स्नान नहीं करना चाहिए यानी बाल नहीं धोने चाहिए।
- एकादशी के दिन भोजन में चावल का सेवन करना वर्जित माना जाता है।
- व्रत करने वाले व्यक्ति को एकादशी तिथि के एक दिन पहले से ही ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- इस दिन मौन व्रत रखें और क्रोध करने से बचें।
- अपने आचरण पर नियंत्रण रखें।
अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!
पापांकुशा एकादशी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, विंध्याचल पर्वत पर क्रोधन नामक एक बहेलिया रहता था। वह बड़ा क्रूर और हिंसक था। उसका सारा जीवन हिंसा, लूटपाट, चोरी, डकैती में निकल गया। वह मांस-मदिरा का सेवन करता था। एक दिन अचानक उसकी भेंट जंगल में तपस्या करते हुए अंगिरा ऋषि से हुई। उसने अंगिरा ऋषि से कहा मेरा कर्म बहेलिया का है। इस कारण मुझे न जाने कितने ही निरीह पशु-पक्षियों को मारना पड़ा है। मैंने जीवन भर पाप कर्म ही किए हैं इसलिए मुझे नर्क ही जाना पड़ेगा। कृपा कर मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे अपनाने से मेरे सारे पाप दूर हो जाए और मुझे मोक्ष की प्राप्ति हो।
उसके निवेदन पर महर्षि अंगिरा ने उसे आश्विन शुक्ल की पापांकुशा एकादशी के बारे में बताया और कहा कि इस व्रत को विधि-विधान से करें। महर्षि अंगिरा के कहे अनुसार उस बहेलिए ने अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा। बहेलिए ने विधि पूर्वक इस दिन भगवान विष्णु का पूजन किया और व्रत रखा। भगवान विष्णु की कृपा से बहेलिया को सारे पापों से मुक्ति मिल गई और मृत्यु के बाद जब यमदूत बहेलिए को यमलोक लेने के लिए आया तो वो चमत्कार देख कर हैरान हो गया। पापांकुशा एकादशी व्रत रखने के कारण बहेलिए के सभी पाप मिट चुके थे और जिसके चलते यमदूत को खाली हाथ यमलोक जाना पड़ा। बहेलिया भगवान विष्णु की कृपा से बैकुंठ लोक गया।
इस दिन करें श्री विष्णु स्तुति मंत्र का जाप
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये।।
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
पाएं अपनी कुंडली आधारित सटीक शनि रिपोर्ट
पापांकुशा एकादशी के दिन अपनाएं ये आसान ज्योतिषीय उपाय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पापांकुशा एकादशी के दिन कुछ उपाय करके भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है। जानिए इस दिन कौन से उपाय करना होगा शुभ।
दांपत्य जीवन को सुखमय बनाए रखने के लिए
यदि विवाह में किसी भी प्रकार परेशानी या रुकावट आ रही है या पति-पत्नी के बीच आए दिन किसी न किसी बात पर झगड़ा या विवाद होते रहते हैं, तो इस एकादशी के दिन एक लोटे में थोड़ी सी हल्दी, एक सिक्का और पानी भर लें। इसके बाद दोनों लोग अपने सिर के ऊपर से 7 बार उतार लें। फिर बिना कुछ कहे लोटे के जल को बहते जल में प्रवाहित कर दें।
व्यापार व कार्यक्षेत्र में आ रही समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए
यदि आपके व्यापार में लगातार घाटा हो रहा है या साझेदारी से आपको धोखा मिला हो या कार्यक्षेत्र में आपको अपने बेहतर काम के लिए सराहना न मिल रही हो तो ऐसे में, इस एकादशी के दिन एक लोटे में जल लें और भगवान विष्णु के मंदिर जाकर पूजा अर्चना करने के साथ इस कलश को ऑफिस में मुख्य द्वार पर रख लें और पूरे 43 दिनों तक रखा रहने दें। इसके बाद हटा दें। ऐसा करने से व्यापार व कार्यक्षेत्र में जो भी समस्या आ रही होगी तो उससे आपको मुक्ति मिलेगी।
आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए
अपनी आर्थिक समस्याओं और कर्ज से छुटकारा पाने के लिए पापांकुशा एकादशी के दिन शाम के समय गाय के घी का दीपक घर के उत्तर-पूर्व दिशा में जलाएं। ऐसा करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और सभी प्रकार के कर्ज से छुटकारा मिल सकता है।
सुख-समृद्धि व सौभाग्य के लिए
जीवन में सुख समृद्धि व सौभाग्य के लिए एकादशी के दिन भगवान विष्णु को केसर मिलाकर दूध का भोग लगाएं और उसमें तुलसी जरूर डालें। इसके साथ ही शाम के समय विष्णु के मंदिर जाकर दीपक जलाएं।
ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से मुफ्त जन्म कुंडली प्राप्त करें
बच्चों की तरक्की के लिए
अपने बच्चों की तरक्की व शिक्षा में उनकी रुचि पैदा करने के लिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के समय चंदन घिसकर एक कटोरी में रख दें और जब पूजा समाप्त हो जाए तो दोनों हाथों से भगवान को पुष्पांजलि चढ़ाने के बाद उस कटोरी में से चन्दन लेकर अपने बच्चे के मस्तक पर तिलक लगा दें और यह 15 दिनों तक लगाएं। ऐसा करने से आपके बच्चे की तरक्की सुनिश्चित होगी।
माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए
यदि आप चाहते हैं कि माता लक्ष्मी की कृपा सदैव आप पर बनी रहे तो इस दिन बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें और पीपल के पेड़ की जड़ में एक लोटा जल चढ़ाएं। इस दौरान श्री विष्णु के मंत्र का 21 या 108 बार जाप करते रहें। मंत्र – ‘ऊँ नमो भगवते नारायणाय।’
नए काम की शुरुआत करने के लिए
यदि आप जल्द ही किसी नए काम की शुरुआत करने जा रहे हैं, तो उस काम में अपनी सफलता सुनिश्चित करने के लिए इस दिन गाय को गेहूं के आटे से बनी रोटी पर गुड़ रखकर खिलाएं। साथ ही गाय के पैर में थोड़ा-सा पानी डालकर व छूकर आशीर्वाद लें। ऐसा करने से आपको अपने नए काम में खूब तरक्की मिलेगी।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।