पचमठा मंदिर : जहां अमावस्या की रात उमड़ती है तांत्रिकों की भीड़

किसी भी घटना को हम चमत्कार तब कहना शुरू करते हैं जब उस घटना के होने के पीछे की असल वजह का हमें पता नहीं होता। हम स्वतः ही उसे परमात्मा का चमत्कार मान लेते हैं। ये चमत्कार हमारी आस्था को मजबूत करते हैं और हमें यह आश्वासन देते हैं कि इस दुनिया में कोई दैवीय शक्ति जरूर मौजूद है जो किसी भी विपत्ति में हमारी रक्षा करेगी।

जीवन से जुड़ी समस्याओं का समाधान जानने के लिए हमारे विद्वान ज्योतिषियों से अभी करें फोन पर बात

हमारे देश भारत में ऐसे मंदिरों की लिस्ट काफी लंबी है जो किसी चमत्कार के लिए जाने जाते हैं। इन मंदिरों की संख्या इतनी है कि आप इसे उँगलियों पर गिनते-गिनते थक जाएंगे लेकिन इन मंदिरों की संख्या खत्म नहीं होगी। ऐसे में हमारी पूरी कोशिश रहती है कि आप तक हर उस मंदिर की बात पहुंचाई जाए जो अपने किसी चमत्कार की वजह से प्रसिद्ध हो। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे ही चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां मौजूद देवी माँ की प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रंग बदलती है।

पचमठा मंदिर

पचमठा मंदिर। मध्यप्रदेश के जबलपुर में स्थित एक मंदिर है जहां कई देवी देवताओं की पूजा होती है। मंदिर का निर्माण लगभग 1100 साल पूर्व हुआ था। कहा जाता है कि 1100 साल पूर्व गोंडवाना शासन की रानी दुर्गावती के सेवादार रहे आधार सिंह के नाम से बने आधार ताल में इस मंदिर का निर्माण किया गया था। इस मंदिर की कई खूबियां हैं और यहाँ कई जातक तंत्र सिद्धि के लिए आते हैं।

इस मंदिर में यूं तो कई देवी देवताओं की पूजा होती है लेकिन माँ लक्ष्मी की एक चमत्कारी प्रतिमा यहाँ भक्तों को दूर-दूर से खींच लाती है। दरअसल पचमठा मंदिर में मौजूद माँ लक्ष्मी की प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रंग बदलती है और ऐसा बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के होता है। दर्शनार्थियों के अनुसार सुबह में माता लक्ष्मी की इस प्रतिमा का रंग सफ़ेद रहता है जबकि दोपहर में इसका रंग पीला हो जाता है। वहीं शाम में यह प्रतिमा नीले रंग की दिखने लगती है।

पचमठा मंदिर प्राचीन होने के साथ-साथ अपनी खास बनावट के लिए भी प्रसिद्ध है। मान्यता है कि मंदिर का निर्माण कुछ इस तरह किया गया है कि प्रत्येक सुबह सूर्य की पहली किरण माता लक्ष्मी के चरणों पर पड़ती है मानो भगवान सूर्य माता लक्ष्मी का आशीर्वाद ले रहे हों। इसके अलावा पचमठा मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर के चारों तरफ पवित्र श्री यंत्र की रचना मौजूद है। यही वजह है कि यहाँ तंत्र सिद्धि करने वाले जातकों का तांता लगा रहता है। खास कर के अमावस्या की रात को यहाँ बहुत भीड़ होती है क्योंकि इस दिन को तंत्र सिद्धियों के लिए विशेष दिन माना जाता है।

ये भी पढ़ें : कष्टभंजन हनुमान मंदिर : जहां हनुमान जी के चरणों में शनि स्त्री रूप में विराजमान हैं

इसके अलावा शुक्रवार को भी इस मंदिर में काफी भीड़ होती है। लोगों की इस मंदिर में काफी आस्था है। इस मंदिर के बारे में उनकी मान्यता है कि यहां सच्चे मन से अगर कोई मन्नत मांगी जाए तो माता रानी भक्तों की पुकार जरूर सुनती हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करती हैं।

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आया होगा। ऐसे ही और भी लेख के लिए बने रहिए एस्ट्रोसेज के साथ। धन्यवाद!