ओपेक का यह फैसला बन सकता है भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ख़तरा

तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपके (ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज़) ने अपने फैसले से भारत सहित कई अन्य देशों को चौंका दिया है। ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में हुई ओपेक बैठक में संगठन ने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करने का फैसला लिया है। इससे कच्चे तेल की क़ीमतों में वृद्धि देखने को मिल सकती है।

ओपेक 2020 तक करेगा तेल उत्पादन में कटौती

बहरहाल, ओपेक ने जो फैसला लिया है उसको लेकर भारत ही नहीं चीन की भी चिंता बढ़नी तय है। चीन भी ईरान से तेल का बड़ा ख़रीददार था। ओपेक ने अपने फैसले में कहा है कि मार्च 2020 तक वह तेल का उत्‍पादन कम करेगा। हालांकि इस दौरान तेल की कीमत पर सदस्‍य देशों में मतभेद भी स्पष्ट रूप से देखने को मिला है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है नकारात्मक प्रभाव

भारतीय अर्थव्यवस्था के मद्देनज़र 14 देशों के समूह का यह फैसला उचित नहीं है। क्योंकि इससे देश के आम नागरिकों की जेब पर इसका भार पड़ेगा। वर्तमान में तेल ख़रीद को लेकर भारत जिन परेशानियों से जूझ रहा है वह किसी से छिपी नहीं है। दरअसल अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों के चलते भारत ईरान से तेल नहीं ख़रीदेगा।

यूएस ने भारत को तेल की ज़रूरतों को पूरा करने का दिया है आश्वासन

ईरान भारत की तेल की मांग के बड़े हिस्से को पूरा करता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। हालाँकि यूएस ने भारत को यह भरोसा दिलाया था कि वह भारत की तेल की मांग को पूरा करेगा। विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिका से आने वाला भारत को ईरान के मुकाबले ज्यादा महँगा पड़ेगा। वैसे भी तेल की क़ीमतों और अदायगी को लेकर दोनों देशों के बीच अभी कोई भी समझौता नहीं देखने को मिला है।