जानें इस साल कब मनाया जाएगा ओणम और क्या है इस पर्व का महत्व !

ओणम को केरल के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। इस साल ये ख़ास पर्व आने वाले 1 सितंबर को शुरू होकर 13 सितंबर को खत्म होगा। ओणम का त्यौहार मुख्य रूप से 13 दिनों तक मनाया जाता है। धूम धाम और हर्षोउल्लास के साथ मनाये जाने वाले इस त्यौहार को खासतौर से फसल काट कर घर लाने की ख़ुशी में भी मनाया जाता है। इसके साथ ही साथ इस त्यौहार से जुड़ी और भी कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जिसका जिक्र हम इस लेख में करने जा रहे हैं। आइये जानते हैं ओणम पर्व को मनाये जाने के महत्व और इस त्यौहार से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों को। 

ओणम पर्व का महत्व 

मलयालम सोलर कलैंडर के अनुसार ओणम चिंगम माह में मनाया जाता है। हिन्दू कलैंडर के अनुसार ये माह अगस्त या सितंबर का होता है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार इस माह को साल का पहला महीना माना जाता है। बता दें कि 13 दिनों तक मनाये जाने वाले इस त्यौहार के हर दिन का एक ख़ास महत्व हैं। जहाँ तक इस पर्व को मनाये जाने के पौराणिक महत्व की बात है तो बता दें कि ओणम मुख्य रूप से राजा महाबली की याद में मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन राजा महाबली हर साल अपनी प्रजा से मिलने धरती पर आते हैं। उनकी स्वागत के लिए लोग अपने घरों को 12 दिनों तक फूलों से सजा कर रखते हैं और विधि विधान के साथ विष्णु जी और महाबली की पूजा अर्चना करते हैं। इस दौरान लोग विशेष रूप से अपने घर की आंगन में मिट्टी से राजा महाबली की प्रतिमा बनाते हैं और उन्हें अलग-अलग रंगों के फूल अर्पित करते हैं। ऐसी मान्यता है कि राजा महाबली अपनी प्रजा का हाल चाल लेने के बाद ओणम के तीसरे दिन ही पाताल लोक वापिस चले जाते हैं। इसलिए तीन दिनों के बाद राजा की मूर्ती के साथ ही फूल भी हटा दिए जाते हैं। केरल में मनाये जाने वाले विभिन्न पर्व त्योहारों में इस त्यौहार का इतिहास सबसे ज्यादा पुराणा है। 

ओणम पर्व के दौरान इन नियमों का किया जाता है विशेष पालन 

बता दें कि लगातार 13 दिनों तक मनाये जाने वाले इस त्यौहार को विशेष रूप से ख़ासा महत्वपूर्ण माना जाता है। केरल वासियों के लिए ओणम के 13 दिन विशेष रूप से हर्षोउल्लास भरा रहता है। जिस तरीके से लोग दस दिनों तक दशहरे का त्यौहार मनाते हैं उसी प्रकार से केरल वासी ओणम का पर्व मनाते हैं। इस त्यौहार की तैयारी लोग काफी पहले से ही करने में जुट जाते हैं। घर की साफ़ सफाई, घरों का सजावट आदि पहले ही कर लिया जाता है। उत्सव के दौरान घरों में विशेष चहल-पहल रहती है। राज महाबली के साथ ही विष्णु जी और गणेश की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा अर्चना करते हैं। फूलों से घरों की सजावट की जाती है और विशेष पकवान बनाये जाते हैं।