न्याय प्रिय व कर्मफल दाता शनि देव का प्रभाव यूँ तो ज्योतिष में विशेष महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में अब साल 2022 में भी शनि देव का सामान्य से अधिक या यूँ कहें कि सालभर जबरदस्त प्रभाव देखने को मिलने वाला है।
इसके पीछे का कारण जब हमने समझने की कोशिश एस्ट्रोसेज के वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य से की तो, उन्होंने बताया कि असल में वर्ष 2022 शनि वर्ष रहेगा।
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2022 में रहेगा शनि का प्रबल प्रभाव
- 1 जनवरी से वर्ष 2022 की शुरुआत शनिवार के दिन से ही हुई थी।
- हिन्दू पंचांग अनुसार 2 अप्रैल से जब विक्रम नवसंवत्सर 2079 का शुभारंभ होगा, तो उस दिन भी शनिदेव का वार शनिवार ही रहने वाला है। इसमें खास बात यह है कि 100 साल में ऐसा 15वीं बार और 10 साल में दूसरी बार होगा जब हिंदी नव वर्ष की शुरुआत शनिवार के दिन से होगी।
- वर्ष 2021 में शनि का कोई राशि परिवर्तन नहीं हुआ था, परंतु 2022 में शनिदेव अपने स्वामित्व वाली मकर राशि से निकलकर 29 अप्रैल को अपनी अगली राशि कुंभ में करीब ढाई वर्ष के बाद अपना गोचर करेंगे।
- इसके अलावा विक्रम संवत्सर 2078 के राजा मंगल थे, जबकि नवसंवत्सर 2079 के राजा शनि होंगे।
अब आइये समझते हैं आखिर ग्रहों का मंत्रिमंडल कैसा रहेगा..? साथ ही 2 अप्रैल से आरंभ हो रहे नवसंवत्सर 2079 में राजा-मंत्रादि का फल हमारे देश में क्या कुछ बड़े बदलाव लेकर आ रहा है।
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नवसंवत्सर 2079 में ग्रहों का मंत्रिमंडल
जिस प्रकार एक देश को सही तरह से संचालित करने के लिए सरकार या एक राजा की आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार ज्योतिष विज्ञान में भी हर वर्ष 9 ग्रहों का भी एक अनोखा मंत्रिमंडल समूचे विश्व को संचालित करने का कार्य करता है। हर देश की सरकार अपने देश को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करता है और एक अवधि के बाद सरकार के मंत्रिमंडल में भी बदलाव किये जाते हैं।
उदाहरण के लिए अगर भारत देश की बात करें तो, यहाँ हर 5 वर्ष में विधानसभा चुनाव प्रक्रिया होती है। इन चुनावों में ही जो भी विजय प्राप्त करता हैं, उस राजनीतिक दल को देश चलाने का अवसर मिलता है, जिसकी अवधि 5 वर्ष की होती है। विजयी होने के बाद सबसे पहला काम उस राजनीतिक दल का अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करना होता है। बिलकुल इसी तरह शास्त्रों में भी ग्रहों के मंत्रिमंडल की व्यवस्था हर वर्ष नव संवत्सर के साथ ही की जाती है और प्रतिवर्ष ये ग्रहों का मंत्रिमंडल बदलता रहता है।
चूँकि कुछ ही दिनों में 2 अप्रैल 2022 से ‘नल’ नामक नवसंवत्सर 2079 का आरंभ हो जाएगा, ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि इस नए हिन्दू वर्ष में ग्रहों का मंत्रिमंडल आखिर कैसा रहने वाला है। नल नामक संवत्सर के प्रारंभ होते ही निम्न मंत्रिमंडल अपना-अपना कार्यभार लेकर देश का संचालन प्रारंभ करेगा और हम आपको उससे संबंधित कुछ मुख्य जानकारी देंगे, जो कुछ इस प्रकार होंगी:-
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1. राजा – प्रधानमंत्री : शनि
नवसंवत्सर 2079 में ग्रहों का राजा एक देश के प्रधानमंत्री की भांति ही अपनी भूमिका निभाता है। इस वर्ष के राजा शनि देव होंगे, जो इस पुरे ही साल मंत्रिमंडल के प्रमुख होंगे। ऐसे में शनि के राजा होने से विश्वस्तर पर युद्ध, दंगों, मारपीट, महंगाई का भय रहेगा। कई देशों की जनता अपनी ही सरकारों के खिलाफ विद्रोह कर सकती हैं। लोग कई प्रकार के रोग व महामारी से पीड़ित रहेंगे। जन हानि व आकाल जैसी परिस्थितियां सामान्य मानी जाएंगी। भारत के भी कई राज्य आतंकी घटनाओं से परेशान रहेंगे। कई देशों में पलायन आदि की स्थिति उत्पन्न होगी।
2. मंत्री – गृहमंत्री : गुरु बृहस्पति
जिस प्रकार देश की सरकार में द्वितीय स्थान गृहमंत्री को दिया जाता है, उसी प्रकार ग्रहों के मंत्री मंडल में भी यह भूमिका मंत्री की होती है। ऐसे में नवीन संवत्सर 2079 में गुरु बृहस्पति मंत्री की भूमिका निभाएंगे। गुरु के मंत्री होने से सभी प्रकार के अनाजों जैसे: गेहूं, चावल, धान्य, मक्की, आदि का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में हो सकेगा। वर्षा भी पर्याप्त मात्रा में होगी। देश की सरकार कई लोक कल्याणकारी योजनाओं पर तेजी से काम करती दिखाई देगी। लोगों में धार्मिक विश्वास बढ़ेगा। इसके अलावा ईख, गुड़, दूध, तेल व अन्य रसदार पदार्थों में भी वृद्धि देखी जाएगी।
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3. धनेश – वित्त मंत्री : शनि
देश के अनुकूल संचालन हेतु धन की व्यवस्था करना जिस प्रकार वित्तमंत्री की जिम्मेदारी होती है। उसी प्रकार ग्रहों के मंत्रिमंडल में यह कार्य धनेश अर्थात कोशपति को दिया जाता है। ऐसे में नवीन संवत्सर 2079 में धनेश का यह पद भी शनि के पास ही होगा। इससे व्यापारी वर्ग में धन की कमी देखी जाएगी। देश का व्यापारी हानि होने से असंतुष्ट होगा। कई बड़े कारोबारी व प्रसिद्ध लोगों को भी रोग एवं शोक परेशान करता रहेगा। आयात-निर्यात से जुड़े जातक प्रशासनिक कुटिल नीतियों के कारण काफी परेशान रहेंगे। विश्वभर के कृषि वर्ग में भी प्राकृतिक प्रकोपों के कारण हानि संभव है।
4. दुर्गेश – सेनापति : बुध
इस नव संवत्सर 2079 में दुर्गेश अर्थात ग्रहों के मंत्री मंडल के सेनापति बुध होंगे। बुध के सम ग्रह होने के कारण जनता को भी मिश्रित परिस्थितियों से दो-चार होना पड़ेगा। जनता सामान्य भौतिक सुखों का उपभोग करेंगी। धनवान व बड़े व्यापारियों को सरकार से सहयोग मिलेगा। इस वर्ष शत्रु देशों द्वारा देश की सीमाओं पर अतिक्रमण भी सामान्य से कम ही देखने को मिलेगा। परंतु देश की अर्थव्यवस्था काफी कमजोर होगी।
5. धान्येश – कृषि/खाद्य : शुक्र
नवीन वर्ष में धान्येश शुक्र होंगे। ऐसे में शुक्र के धान्येश होने से शीतकालीन फसलों जैसे: जौं, मक्की, गन्ना, गेहूं, आदि का उत्पादन अपेक्षा से काफी कम रहेगा। कई देशों में तूफ़ान, प्राकृतिक प्रकोप, असामान्य वर्षा आदि के कारण भी काफी फसलों को नुकसान पहुंचेगा। जिसके परिणामस्वरूप दालों, मसलों, उपभोग्य वस्तुओं, सब्जियों, पशुचारा आदि के भाव में तेजी देखी जाएगी। देश में भी रोजगार दर में वृद्धि होगी। हालांकि व्यापारियों को लाभ मिलेगा।
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