आने वाले 29 सितंबर से विधि विधान के साथ कलश स्थापना के साथ नौ दिनों के भव्य त्यौहार नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है। जैसा कि आप सभी जानते हैं की नवरात्रि के नौ दिनों में विशेष रूप से माता के नए रूपों के साथ ही मुख्य रूप से छोटी कन्याओं की पूजा भी जाती है। आज हम आपको विशेष रूप से नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान कन्या पूजन की संपूर्ण विधि के बारे में बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं इस दौरान आपको किस प्रकार से कन्या या कंचनकों की पूजा करनी चाहिए।
नवरात्रि के नौ दिनों में इस प्रकार से करें कन्या पूजन
बता दें कि, नवरात्रि के नौ दिनों में मुख्य रूप से छोटी कन्याओं की पूजा अर्चना की जाती है। उन्हें नवरात्र शुरू होने से पहले ही नौ दिनों के लिए अपने घर आमंत्रित कर लिया जाता है। हर दिन कन्याओं के सबसे पहले पैर धुले जाते हैं। इसके बाद उनके पैरों को आलते से रंगा जाता है। इसके बाद उनके ऊपर फूल अर्पित किये जाते हैं , फिर उनकी पसंद का सात्विक भोजन कराया जाता है। इसके बाद कन्याओं को यथाशक्ति दान दक्षिणा दी जाती है। नवरात्रि के नौ दिन अलग-अलग तरीके से कन्याओं की पूजा की जाती है।
प्रथम दिन
नवरात्रि के पहले दिन कन्याओं की सबसे पहले उपरोक्त विधि से ही पूजन करें और इसके बाद उन्हें दक्षिणा के रूप में लाल रंग के फूल अर्पित करें। इसके साथ ही साथ कन्याओं को खासतौर से कोई श्रृंगार की वस्तु भी जरूर भेंट करें।
दूसरा दिन
नवरात्रि के दूसरे दिन कन्याओं को फल देकर उनकी पूजा करें। इस दिन आप उन्हें फल के रूप में केला और श्रीफल आदि अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद उनका पसंदीदा कोई भी उपहार उन्हें दिया जा सकता है।
तीसरा दिन
नवरात्रि के तीसरे दिन कन्याओं को मुख्य रूप से पूजा के बाद केसर मिश्रित खीर का भोग लगाएं। इसके साथ ही साथ आप उन्हें मीठे चावल और हलवा का भोग भी लगा सकते हैं। कन्याओं की पूजा के बाद उन्हें दान दक्षिणा देना ना भूलें।
चौथा दिन
नवरात्रि के चौथे दिन कन्या पूजन के बाद विशेष रूप से छोटी कंचनकों को उपहार स्वरुप कपड़े भेंट करने का विधान है। आप अपनी यथाशक्ति या तो उन्हें वस्त्र का जोड़ा दें या फिर रूमाल भेंट करें।
पांचवें दिन
नवरात्रि के पांचवें दिन विशेष रूप से छोटी कन्याओं की पूजा संतान प्राप्ति के लिए की जाती है। इस दिन विधि पूर्वक उनकी पूजा करने के बाद उन्हें भेंट स्वरुप पांच प्रकार के श्रृंगार की वस्तुएं दें। श्रृंगार की वस्तुओं में मुख्य रूप से बिंदी, चूड़ी, काजल नेलपॉलिश आदि होना अनिवार्य माना जाता है।
छठां दिन
नवरात्रि के छठे दिन मुख्य रूप से कन्या पूजन के बाद कंचकों को उनकी पसंदीदा खेल कूद के समान उपहार स्वरुप भेंट किया जाना शुभ माना जाता है। पहले बच्चों के खिलौने काफी सीमित थे लेकिन आजकल खासतौर से उन्हें महंगे से महंगे खिलौने आप अपनी सामर्थ्य अनुसार दे सकते हैं।
सातवां दिन
नवरात्रि के सातवें दिन विशेष रूप से सरस्वती माँ की पूजा भी की जाती है इसलिए इस दिन कन्या पूजन के बाद कन्याओं को पढ़ाई लिखाई से जुड़े सामान भेंट किये जाते हैं। आप उन्हें नोटबुक, कलम, पेंसिल, कॉपी आदि भेंट कर सकते हैं।
आठवां दिन
बता दें कि, नवरात्रि के आठवें दिन खासतौर से कन्या पूजन को विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन विशेष रूप से कन्याओं के पैर दूध से धुले जाते हैं और उन्हें हलवा और काले चने का भोग लगाया जाता है। इसके बाद अपनी यथाशक्ति अनुसार उन्हें उपहार या दक्षिणा दें।
नौवां दिन
नवरात्रि के नौवें दिन विशेष रूप से कन्या पूजन के बाद उनके हाथों में मेहँदी लगाई जाती है। इसके बाद छोटी कन्याओं को पूजा के बाद भोग स्वरुप पूरियां और खीर खिलायें। भोग के बाद कन्याओं को विशेष रूप से दान दक्षिणा अर्पित करें।
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