नवरात्रि समाप्त होने से पहले दूर हो जाएंगी वैवाहिक जीवन की तमाम परेशानियाँ – बस कर लें ये अचूक उपाय!

नवरात्रि विशेष इन ब्लॉग की अगली कड़ी में हम बात करेंगे नवरात्रि छठे दिन के बारे में और इस खास अंक के माध्यम से जानेंगे नवरात्रि का छठा दिन किस देवी को समर्पित होता है और इस दिन की सही पूजन विधि क्या होती है।

इसके अलावा यहाँ हम नवरात्रि के छठे दिन से महत्वपूर्ण कुछ और भी दिलचस्प और जानने वाली बातों की जानकारी भी हासिल करेंगे जैसे कि छठे दिन की देवी का स्वरूप क्या होता है, छठे दिन देवी की पूजा करने से क्या फल व्यक्ति को प्राप्त होते हैं, इस दिन कौन सा भोग लगाकर आप माता की प्रसन्नता हासिल कर सकते हैं, कौन से रंग के कपड़े पहनकर आप पूजा में शामिल हो सकते हैं, आदि। तो चलिए शुरू करते हैं और सबसे पहले जान लेते हैं नवरात्रि का छठा दिन आखिर किस देवी को समर्पित होता है?

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शारदीय नवरात्रि छठा  दिन 

नवरात्रि का छठा दिन देवी कात्यानी को समर्पित होता है। देवी कात्यानी ऋषि कात्यान की पुत्री हैं और इन्हें सुखमय गृहस्थ जीवन प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को अपने जीवन में अर्थ, धर्म, कर्म और मोक्ष की प्रति बेहद ही आसानी से होने लगती है।

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शारदीय नवरात्रि छठा  दिन – पूजा विधि और शुभ मुहूर्त 

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, यदि कोई भी पूजा सही विधि और सही ढंग से की जाए तो ही फलित होती है। ऐसे में अब जान लेते हैं कि नवरात्रि के छठे दिन की सही पूजन विधि क्या है। 

  • नवरात्रि के छठे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। फिर पूजा स्थल को गंगाजल से साफ कर लें और माँ को भी स्नान कराएं। 
  • इसके बाद देवी कात्यानी का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प ले लें।  
  • इसके बाद धूप-दीप प्रज्वलित करें। 
  • रोली से मां का तिलक करें, उन्हें अक्षत अर्पित करें। 
  • माँ को गुड़हल या लाल रंग के फूल अर्पित करें। 
  • भोग, फल और सूखे मेवे देवी को चढ़ाएँ। 
  • दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। 
  • अंत में आरती करें और अनजाने में भी हुई किसी भी भूल की क्षमा मांगें और माँ से अपनी मनोकामना कहें।

शारदीय नवरात्रि छठा दिन – माँ का स्वरूप 

अब बात करें मां के स्वरूप की तो कहा जाता है मां कात्यायनी का स्वरूप बेहद ही चमकीला और तेजमय है। मां की चार भुजाएं हैं, जिसमें से दाएं तरफ का ऊपर हाथ अभय मुद्रा में है और नीचे वाला हाथ वरद मुद्रा में है। मां कात्यायनी के बाएं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है तो नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सज रहा है। कहते हैं जो कोई भी भक्त सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ देवी कात्यानी की पूजा करता है उसे परम पद की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी का वाहन सिंह है।

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मां कात्यायनी के बारे में कहा जाता है की मां कात्यायनी महर्षि कात्यान की तपस्या के बाद उनकी पुत्री के रूप में जन्मी थी। मां दुर्गा ने इन्हीं के रूप में महिषासुर का वध करके उसके आतंक से देवताओं और मनुष्यों को बचाया था।

शारदीय नवरात्रि छठा दिन महत्व 

अब बात करें मां कात्यायनी की पूजा से मिलने वाले शुभ लाभ की तो धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, मां कात्यायनी की विधिवत पूजा और अर्चना करने से व्यक्ति के जीवन में विवाह से संबंधित परेशानियां और रुकावटें दूर होती हैं। इसके अलावा मां कात्यायनी की पूजा करने से कुंडली में मौजूद बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है और उसके सकारात्मक परिणामों में वृद्धि देखने को मिलती है। यदि इस दिन की पूजा में शहद का भोग लगाया जाए तो इससे व्यक्ति को सुंदर रूप की प्राप्ति होती है। मां कात्यायनी की विधि पूर्वक पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ने लगती है और शत्रुओं का भय समाप्त होता है। इसके अलावा मां कात्यायनी की पूजा करने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।

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शारदीय नवरात्रि छठा  दिन – प्रिय भोग  

मां कात्यायनी को लाल रंग बेहद प्रिय है। ऐसे में इस दिन की पूजा में आप मां कात्यायनी को लाल रंग के फूल अवश्य अर्पित करें। इस बात का हमेशा ध्यान रखें की पूजा में शामिल किया जा रहे फूल हमेशा ताजा हों। ऐसा करने से मां कात्यायनी आप पर अवश्य प्रसन्न होंगी और उनकी कृपा से आपके सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। 

बात करें भोग की तो मां कात्यानी को शहद बेहद ही प्रिय होता है। ऐसे में नवरात्रि के छठे दिन की पूजा में मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाएँ। ऐसा करने से व्यक्ति के व्यक्तित्व और रूप में निखार आता है। इसके अलावा आप माँ को फल और मेवों का भोग भी अवश्य लगाएँ।

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शारदीय नवरात्रि छठा  दिन – शुभ रंग  

देवी कात्यायनी को पीले रंग के वस्त्र बेहद ही प्रिय होते हैं। ऐसे में आप नवरात्रि के छठे दिन की पूजा में पीले रंग और ग्रे रंग के कपड़े पहनकर शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा देवी को अगर आप पीले फूल या बेर के पेड़ का फूल अर्पित करें तो यह भी बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि देवी के इस स्वरूप को बेर के पेड़ का फूल बेहद ही प्रिय होता है। 

भोग में देवी कात्यायनी को शहद का भी भोग लगाया जा सकता है। इससे भी देवी की प्रसन्नता हासिल होती है।

नवरात्रि के छठे दिन से जुड़ी दिलचस्प जानकारी: शारदीय नवरात्रि का छठा दिन बेहद ही महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसी दिन से दुर्गा पूजा की भी शुरुआत हो जाती है।

शारदीय नवरात्रि छठा  दिन – वैवाहिक जीवन की समस्या दूर करेंगे ये अचूक उपाय

बात करें नवरात्रि के छठे दिन किए जाने वाले उपायों के बारे में तो, 

  • विवाह के लिए इस दिन एक अचूक उपाय किया जा सकता है। अगर आपका विवाह नहीं हो रहा है या विवाह हो गया है और आपके रिश्ते में तमाम तरह की दिक्कतें है आ रही हैं तो नवरात्रि के छठे दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर मां कात्यायनी की विधिवत पूजा करें। उनके सामने दिया जलाएं और उनसे अपनी परेशानी कहें। 
  • इसके अलावा मां कात्यायनी को पीले रंग के फूल अर्पित करें और उन्हें पीली हल्दी की तीन गांठे चढ़ाएँ। साथ ही मां के विवाह मंत्र का जाप करें और हल्दी की गांठ पूजा के बाद अपने पास रख लें। 
  • इसके अलावा वैवाहिक जीवन की परेशानियां दूर करने के लिए या कुंडली में विवाह का योग नहीं बन रहा है तो इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा अर्चना करने के बाद 108 बार मां के मंत्रों का जाप करें। कहा जाता है कि गोपियों ने भी भगवान कृष्ण से विवाह करने के लिए मां कात्यायनी की ही आराधना की थी।

शारदीय नवरात्रि छठा  दिन- मां कात्यायनी मंत्र

चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना

कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

शारदीय नवरात्रि छठा  दिन – आज इस ग्रह को करें मजबूत 

जैसा कि हमने पहले भी जिक्र किया था कि नवरात्रि के प्रत्येक दिन के संबंध ग्रहों से जुड़े हुए होते हैं। ऐसे में अगर बात करें षष्ठी तिथि की यानी नवरात्रि के छठे दिन की तो, ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं। ऐसे में छठे दिन की विधिवत पूजा अर्चना करने से बृहस्पति ग्रह के बुरे प्रभाव को कम या दूर किया जा सकता है।

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