समय चल रहा है शारदीय नवरात्रि का और प्रतिपदा या घट स्थापना के बाद अब बारी है नवरात्रि की द्वितीया तिथि की। वर्ष 2024 में नवरात्रि की द्वितीया तिथि कब पड़ने वाली है, द्वितीया तिथि पर देवी के किस स्वरूप की पूजा की जाती है, इनकी पूजा करने का क्या महत्व होता है, देवी के द्वितीय स्वरूप को किस चीज का भोग प्रिय होता है, कौन सा रंग प्रिया होता है और क्या कुछ उपाय करके हम देवी की कृपा अपने जीवन में प्राप्त कर सकते हैं आपके इन सभी सवालों का जवाब आपको मिलेगा एस्ट्रोसेज के इस खास ब्लॉग में।
तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं हमारा नवरात्रि स्पेशल यह विशेष अंक और जान लेते हैं शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण और जानने वाली बातों की जानकारी। सबसे पहले बात करें कि वर्ष 2024 में नवरात्रि की द्वितीया तिथि कब पड़ने वाली है तो,
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शारदीय नवरात्रि 2024- दूसरा दिन
वर्ष 2024 में नवरात्रि का दूसरा दिन द्वितीया तिथि के रूप में मनाया जाएगा जो की 4 अक्टूबर 2024 शुक्रवार के दिन पड़ने वाला है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व बताया गया है। इसके अलावा बात करें नवरात्रि की द्वितीया तिथि के हिंदू पंचांग की तो, इस दिन द्वितीया तिथि रहेगी, पक्ष शुक्ल रहेगा, नक्षत्र चित्रा रहेगा, योग वैधृति योग रहेगा। बात करें इस दिन के अभिजीत मुहूर्त की तो यह 11:45:53 सेकंड से लेकर 12:33:2 सेकंड तक का रहेगा।
कैसा है माँ का स्वरूप?
अब बात करें मां के स्वरूप की तो जैसा कि हमने पहले भी बताया कि नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व बताया गया है। मां का स्वरूप कैसा है इस बारे में बात करें तो मां ब्रह्मचारिणी को इस लोक के समस्त चर और अचर जगत की विद्याओं का ज्ञाता माना जाता है। मां का स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिपटी हुई कन्या के रूप में दर्शाया गया है जिनके एक हाथ में अष्टदल की माला है, दूसरे हाथ में इन्होंने कमंडल धारण किया हुआ है, यह अक्षय माला और कमंडल धारिणी ब्रह्मचारिणी नामक दुर्गा शास्त्रों के ज्ञान और निगमागम तंत्र मंत्र से संयुक्त मानी जाती हैं।
मान्यता है कि जो कोई भी भक्त मां ब्रह्मचारिणी की पूजा भक्ति भाव से करता है मां उन पर अपनी सर्वज्ञ संपन्न विद्या न्योछावर कर देती हैं। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत ही सदा और भव्य है। अन्य देवियों की तुलना में देखें तो मां का यह स्वरूप बेहद ही सौम्य, क्रोध से रहित और बहुत जल्द प्रसन्न होकर वरदान देने वाला माना गया है।
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देवी ब्रह्मचारिणी का नाम दो अक्षरों से मिलकर बना है ब्रह्मा जिसका अर्थ होता है तपस्या और चारणी का अर्थ होता है आचरण करने वाली, अर्थात माता के नाम का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली माता। कहा जाता है कि जो कोई भी भक्त मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करते हैं उन्हें सुख, सौभाग्य, आरोग्य जीवन, आत्मविश्वास में वृद्धि, आयु और अभय की प्राप्ति होती है।
बहुत से लोग मां ब्रह्मचारिणी को ब्राह्मी के नाम से भी जानते हैं। अगर आप परिस्थितियों में या यूं कहिए नकारात्मक परिस्थितियों में बहुत जल्दी व्याकुल हो उठते हैं या आपके जीवन में कोई कठिन दौर चल रहा है जिससे आपके जीवन से शांति भंग हो गई है तो माता के इस स्वरूप की पूजा और उपवास अवश्य करें। इससे आपको शांति मिलेगी।
…तो ऐसे पड़ा माँ का नाम ब्रह्मचारिणी
कहते हैं मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वत राज के यहां पुत्री बनाकर जन्म लिया और इसके बाद महर्षि नारद के कहने पर उन्होंने अपने जीवन में महादेव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की। हजारों वर्षों तक कठिन तपस्या के कारण मां का नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ गया। अपनी तपस्या की अवधि ने उन्होंने कई वर्षों तक निराहार रहकर और बेहद ही कठिन तप करके महादेव को प्रसन्न किया था। उनके इसी तप के प्रतीक के रूप में नवरात्रि के दूसरे दिन मां के इस स्वरूप की पूजा की जाती है।
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माँ ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्र- भोग- और शुभ रंग
बात करें मां के पूजा मंत्र, प्रिय भोग और शुभ रंग की तो इस दिन की पूजा में यह मंत्र अवश्य शामिल करें:
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।
नवरात्रि के बारे में कहा जाता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों को अलग-अलग भोग लगाने का महत्व होता है। ऐसे में बात करें दूसरे दिन के भोग की तो मां भगवती को चीनी का भोग बेहद प्रिय है। ऐसे में अगर कुछ बहुत भव्य नहीं तो आप इस दिन की पूजा में माँ को चीनी का भोग अवश्य लगाएँ। ऐसा करने से आपको लंबी आयु का वरदान प्राप्त होगा। जीवन से रोग, शोक और दुख दूर होंगे, साथ ही आपके जीवन में अच्छे विचार आने लगेंगे।
इसके अलावा रंग की बात करें तो नवरात्रि के दूसरे दिन का संबंध पीले रंग से जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में इस दिन माता को भी पीले रंग के वस्त्र धारण कराएं और हो सके तो खुद भी पीले रंग के वस्त्र पहनकर इस दिन की पूजा करें। इसके अलावा आप छोटे-छोटे उपाय भी कर सकते हैं जैसे इस दिन की पूजा में पीले फूल, पीली मिठाई, आदि भी शामिल करें। पीला रंग माँ के पालन पोषण करने के स्वभाव को दर्शाता है। इसके साथ ही पीला रंग सीखने और ज्ञान का संकेत भी माना गया है और यह रंग उत्साह, खुशी और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
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शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन अवश्य आजमाएं यह अचूक उपाय
अंत में बात करें इस दिन किए जाने वाले कुछ ज्योतिषीय उपायों की तो,
- नवरात्रि के दूसरे दिन आप थोड़ी सी मिश्री लेकर इस पर 108 बार माता के मंत्र का जाप करें। इसके बाद इस मिश्री को अपने बच्चों को खिला दें। ऐसा करने से आपका बच्चा मेधावी, होनहार, बुद्धिमान बनेगा।
- वैवाहिक जीवन में प्रेम और सद्भावना बनाए रखने के लिए आप लाल या फिर काले गुंजा के पांच दाने ले लें। इसे एक मिट्टी के बर्तन में या फिर मिट्टी के दीए में शहद भरकर उसमें डुबो दें। इस उपाय को करते समय अपने जीवनसाथी का नाम अवश्य लेते रहें और कोशिश करें कि यह उपाय जीवनसाथी के अलावा कोई और ना जान पाए।
- जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष की समस्या है जिसकी वजह से उनका विवाह नहीं हो पा रहा है उन्हें चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद पाकर शुद्ध किया हुआ मंगल रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है।
- आर्थिक परेशानी जीवन में निरंतर बनी हुई है और धन संचित नहीं कर पा रहे हैं तो नवरात्रि के दूसरे दिन स्नान करने के बाद एक सबूत फिटकरी का टुकड़ा लेकर इसे लाल कपड़े में बांधकर घर या ऑफिस के मुख्य द्वार पर टांग दें।
- करियर में तरक्की प्राप्त करना चाहते हैं तो नवरात्रि के दूसरे दिन थोड़ा सा कच्चा सूत लेकर उसे केसर से रंग लें फिर इस रंगे हुए सूत्र को अपने व्यापार स्थल पर बांध दें। अगर आप नौकरी करते हैं तो आप इसे अपनी अलमारी, दराज, मेज में भी रख सकते हैं।
- इसके अलावा अगर आप अपने जीवन में मनोबल बढ़ाना चाहते हैं, अपने जीवन में ऊर्जा के बढ़ोतरी करना चाहते हैं तो माँ ब्रह्मचारिणी के चरणों में तीन मुखी रुद्राक्ष रखकर उसकी विधिपूर्वक पूजा करें और फिर इसे धारण कर लें। हालांकि कोई भी रुद्राक्ष या फिर रत्न धारण करने से पहले विद्वान ज्योतिषियों से परामर्श हमेशा ले लें।
- अगर आप अपने ज्ञान में बढ़ोतरी करना चाहते हैं, जीवन में शांति हासिल करना चाहते हैं तो मां ब्रह्मचारिणी के स्रोत का पाठ करें। तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्। ब्रह्मरूप धरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥ शङ्कर प्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी। शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
वर्ष 2024 में नवरात्रि का दूसरा दिन या द्वितीया तिथि 4 अक्टूबर 2024 शुक्रवार के दिन पड़ रही है।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा करें, उन्हें भोग में मिश्री अवश्य अर्पित करें, साथ ही इस दिन की पूजा में पीले रंग ज्यादा से ज्यादा शामिल करें।
नवरात्रि के दूसरे दिन माता को चीनी मिश्री या फिर पीले रंग की वस्तुओं का भोग लगाएँ।