नवरात्रि अष्टमी तिथि के दिन ही महानवमी पूजा और महा-अष्टमी पूजा के इस शुभ और महत्वपूर्ण मौके पर एस्ट्रोसेज लाया है “बिग एस्ट्रो फ़ेस्टिवल” । सभी ज्योतिष उत्पादों पर भारी छूट और ऑफर का ये मौका हाथ से ना निकल जाये । सेल का लाभ उठाने के लिए नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करें ।
अब बात करते हैं नवरात्रि के आठवें दिन और इसके महत्व को कई गुना और बढ़ाने वाले एक महा-संयोग की। नवरात्रि के नौ दिन माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विधान बताया गया है। हालाँकि इस वर्ष लोगों के बीच अष्टमी-नवमी तिथि को लेकर थोड़ा कंफ्यूजन है। ऐसे में अगर आपको भी कोई दुविधा है तो यह आर्टिकल आपकी कंफ्यूजन का निदान लेकर आया है। आइये जानते हैं शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि के साथ-साथ महानवमी और महा-अष्टमी पूजा के महा-संयोग के बारे में सब कुछ।
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नवरात्रि महा-अष्टमी और महा-नवमी पूजा शुभ मुहूर्त
महा-अष्टमी तिथि प्रारंभ:
अक्टूबर 23, 2020 को 06:58:53 से अष्टमी आरम्भ
अक्टूबर 24, 2020 को 07:01:02 पर अष्टमी समाप्त
महा-नवमी तिथि प्रारंभ:
अक्टूबर 24, 2020 को 07:01:02 से नवमी आरम्भ
अक्टूबर 25, 2020 को 07:44:04 पर नवमी समाप्त
अष्टमी हवन मुहूर्त: (24-अक्टूबर) 06 बज-कर 27 मिनट से शाम 5 बज-कर 45 मिनट तक
नवमी हवन मुहूर्त: (25-अक्टूबर) 6 बज-कर 31 मिनट से 7 बज-कर 44 मिनट तक
अधिक जानकारी
- इस वर्ष अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर शनिवार को रखना उत्तम रहेगा।
- इसके बाद पारणा के लिए 25 अक्टूबर का दिन उत्तम माना जा रहा है।
- 25 अक्टूबर को सुबह 7 बज-कर 44 मिनट 04 सेकंड से ही दशमी तिथि शुरू हो जाएगी इसलिए दशहरा का पर्व भी इसी दिन मनाया जायेगा।
हम उम्मीद करते हैं कि ऊपर दी गयी सूची से आपकी दुविधा का हल मिल गया होगा। आइये अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं अष्टमी के दिन का महत्व और इस दिन की उचित पूजा विधि।
नवरात्रि की अष्टमी माँ महागौरी को समर्पित
नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी देवी की पूजा का विधान है। माता महागौरी माँ दुर्गा का आठवां स्वरूप हैं और इन्हें आदि शक्ति माना गया है। महागौरी माँ की पूजा अत्यंत कल्याणकारी और मंगलकारी है। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से अगर माता कि पूजा की जाए, तो सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जातक को अलौकिक शक्तियां प्राप्त होती हैं। अष्टमी के दिन माता महागौरी की पूजा के बाद कन्या पूजन का विधान है। तो चलिए आपको इस लेख के माध्यम से नवरात्रि के आठवें दिन की जाने वाली पूजा की सभी जानकारी देते हैं-
माँ का नाम महागौरी क्यों पड़ा?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मात्र आठ वर्ष की छोटी सी आयु में देवी महागौरी ने महादेव को पाने के लिए घोर तपस्या की थी, जिसके चलते उनका शरीर काला पड़ गया था तब शिव जी ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उनपर गंगा-जल डाला, जिससे देवी गौर रंग की हो गयीं और तभी से उनका नाम महागौरी देवी पड़ा। दुर्गाष्टमी पर मां महागौरी की पूजा की जाती है और देवी अपने भक्तों की पूजा-अर्चना से खुश होकर उन्हें मनचाहा वरदान देती है।
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ऐसा है माँ महागौरी का स्वरूप
नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा का विधान है। अगर इनके स्वरूप की बात करें तो मां बैल के वाहन पर विराजमान हैं और इनकी चार भुजाएं हैं। बेहद सुलभ रूप में सफ़ेद रंग के वस्त्र धारण किए हुए देवी महागौरी ने दाहिने तरफ के ऊपर वाले हाथ को अभय मुद्रा में किया हुआ है और नीचे हाथ में त्रिशूल थामा है। देवी के बाएँ तरफ के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है। देवी का रंग गौर होने के कारण ही इनका नाम महागौरी पड़ा। महागौरी माँ की पूजा से पूर्व जन्म के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही इस जन्म में सारे दुख, दरिद्रता व कष्ट भी मिट जाते हैं।
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मां महागौरी की पूजा में करें इस मंत्र का जाप
देवी महागौरी की पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप ज़रूर करें, इससे माता जल्द ही प्रसन्न होती है।
‘श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः,
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा’!
इस महा-संयोग में ऐसे करें महागौरी माँ की पूजा
- प्रातःकाल उठकर स्नान आदि कर के पूजा की शुरुआत करें।
- अब एक लकड़ी की चौकी पर महागौरी देवी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- देवी महागौरी का मन में ध्यान करें और उनके सामने दीपक आदि जलाएं।
- देवी की पूजा में सफ़ेद या पीले रंग के फूल का उपयोग ज़रूर करें।
- इसके बाद महागौरी देवी की पूजा में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी इत्यादि का भोग लगाएँ।
- पूजा के बाद माँ की आरती करें और मंत्र पढ़ें।
- मान्यता है कि यदि महागौरी देवी जी की पूजा मध्य रात्रि में की जाए, तो ये अधिक फलदायी साबित हो सकती है।
- इस दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ होता है, इसीलिए 9 कन्याओं और एक बालक को बुलाएं और उनकी पूजा कर के उन्हें खाना खिलाएं, भेंट दें और उनका आशीर्वाद लें।
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इस रंग का वस्त्र पहनकर करें माँ महागौरी की पूजा
महागौरी देवी को सर्व सौभाग्यदायिनी देवी भी कहते हैं। देवी महागौरी का रंग गौर है और उन्होंने रक्त लाल रंग के वस्त्र धारण किए हुए हैं। ऐसे में माता की पूजा के दौरान यदि जातक भी संतरी, गुलाबी या लाल रंग के वस्त्र धारण करे, तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है और माता का आशीर्वाद मिलता है।
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माँ महागौरी की पूजा से होने वाले लाभ
देवी महागौरी की पूजा से जातक के सभी पाप धुल जाते हैं। यानि कि माता की पूजा करने से व्यक्ति का मन व शरीर पूरी तरह से शुद्ध हो जाता है। महागौरी माता की पूजा से इंसान के अंदर के सभी अ-पवित्र और अनैतिक विचार नष्ट हो जाते हैं और इंसान के अंदर सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ने लग जाती है। अगर किसी व्यक्ति में एकाग्रता की कमी हो या त्वचा संबंधी समस्या हो, तो उसे भी महागौरी देवी की पूजा की सलाह दी जाती है। इसके अलावा देवी दुर्गा के इस स्वरूप की सच्चे मन से पूजा करने पर मधुमेह, हारमोंस और आँख की बीमारी जैसी परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार माता महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं, और इसीलिए इनकी पूजा करने से राहु ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
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