एस्ट्रोसेज के इस आर्टिकल में आज हम बात करेंगे सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) द्वारा मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्यौहार नवरात्रि की, जिसे हमारे देश के साथ-साथ विदेशों में रह रहे हिंदू भी हर बार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस आर्टिकल में आपको जानकारी मिलेगी कि नवरात्रि के 9 दिनों में माँ दुर्गा के किन-किन स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है और हर स्वरूप की पूजा करने से हमें क्या-क्या प्राप्त होता है।
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नवरात्रि हर साल मुख्य रूप से दो बार मनाई जाती है। हिंदी महीनों के अनुसार पहला नवरात्रि पर्व चैत्र मास में मनाया जाता है और दूसरा अश्विन मास में। अंग्रेजी महीनों की बात करें तो पहली नवरात्रि मार्च/अप्रैल एवं दूसरी नवरात्रि सितंबर/अक्टूबर में पड़ती है। नवरात्रि के 9 दिनों तक चलने वाली पूजा-अर्चना के बाद दसवें दिन यानी कि दशमी को दशहरा के रूप में बड़े ही जोर शोर से मनाया जाता है।
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माँ दुर्गा के 9 दिव्य स्वरूप
माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों में किस दिन किसकी पूजा और किसके दिन के रूप में मनाया जाता है इसका वर्णन निम्नलिखित है–
- शैलपुत्री: नवरात्रि के पहले दिन को माँ शैलपुत्री के दिन के रूप में मनाया जाता है और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इन्हें पहाड़ों की पुत्री भी कहा जाता है। मान्यता है कि माँ शैलपुत्री की पूजा करने से हमें एक प्रकार की दिव्य ऊर्जा प्राप्त होती है, जिससे हम अपने मन के विकारों को दूर करने में सक्षम होते हैं।
- ब्रह्मचारिणी: नवरात्रि के दूसरे दिन को माँ ब्रह्मचारिणी के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हम माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा करते हैं। इस स्वरूप की पूजा करके हम माँ के अनंत स्वरूप को जानने की कोशिश करते हैं, ताकि उनकी तरह हम भी इस अनंत संसार में अपनी कुछ पहचान बनाने में कामयाब हो सकें।
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- चंद्रघंटा: नवरात्रि के तीसरे दिन को माँ चंद्रघंटा के दिन के रूप में मनाया जाता है। माँ चंद्रघंटा का स्वरूप चंद्रमा की तरह चमकता है, इसलिए इनको चंद्रघंटा नाम दिया गया। इस दिन हम माँ दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा करते हैं। कहते हैं कि माँ चंद्रघंटा की पूजा-आराधना करने से हमें हमारे मन में उत्पन्न द्वेष, ईर्ष्या, घृणा और नकारात्मक शक्तियों से लड़ने का साहस मिलता है।
- कुष्मांडा: नवरात्रि के चौथे दिन को माँ कुष्मांडा के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हम माँ दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा करते हैं। मान्यता है कि माँ कुष्मांडा की पूजा करने से हमें अपने आप को उन्नत करने और सोचने की शक्ति को शिखर पर ले जाने में मदद मिलती है।
- स्कंदमाता: नवरात्रि के पांचवे दिन को माँ स्कंदमाता के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन माँ दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। स्कंदमाता को भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में भी जाना जाता है। कहा जाता है कि माँ स्कंदमाता की पूजा-अर्चना करने से हमारे अंदर व्यावहारिक ज्ञान बढ़ता है और हम व्यावहारिक चीजों से निपटने में सक्षम होते हैं।
- कात्यायनी: नवरात्रि के छठे दिन को माँ कात्यायनी के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन माँ दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार, माँ कात्यायनी की पूजा करने से हमारे अंदर की नकारात्मक शक्तियों का खात्मा होता है और माँ के आशीर्वाद से हमें सकारात्मक मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।
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- कालरात्रि: नवरात्रि के सातवें दिन को माँ कालरात्रि के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन माँ दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। माँ कालरात्रि को काल का नाश करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। माँ कालरात्रि की आराधना करने से हमें यश वैभव और वैराग्य की प्राप्ति होती है।
- महागौरी: नवरात्रि के आठवें दिन को माँ महागौरी के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हम माँ दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा करते हैं। माँ महागौरी को सफ़ेद रंग वाली देवी के रूप में भी जाना जाता है। माँ गौरी के स्वरूप की पूजा आराधना करने से हमें हमारी मनोकामनाएं पूर्ण होने का वरदान प्राप्त होता है।
- सिद्धिदात्री: नवरात्रि के नौवें दिन को माँ सिद्धिदात्री के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन माँ दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। माँ सिद्धिदात्री की पूजा-आराधना करने से हमारे अंदर एक ऐसी क्षमता उत्पन्न होती है, जिससे हम अपने सभी कार्यों को आसानी से कर सकते हैं।
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