13 तारीख से नवरात्रि प्रारंभ हो चुकी है। नवरात्रि की अष्टमी और बहुत से लोग नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं। इस वर्ष 19 अप्रैल को रात 12 बजकर 01 मिनट तक सप्तमी है और उसके बाद अष्टमी तिथि लग जाएगी और 21 अप्रैल को रामनवमी है। ऐसे में इन दोनों दिनों के दौरान आप कन्या पूजन और व्रत पारण कर सकते हैं। कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त कब से है, इस दिन का महत्व क्या होता है, कन्या पूजन के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? यह जानने के लिए अंत तक पढ़ें यह आर्टिकल।
जीवन की दुविधा दूर करने के लिए विद्वान ज्योतिषियों से करें फोन पर बात और चैट
20 अप्रैल को नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर पूजा के शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 21 अप्रैल को सुबह 04 बजकर 11 मिनट से अप्रैल 21 04 बजकर 55 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त- 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- 06 बजकर 22 मिनट से 06 बजकर 46 मिनट तक
अमृत काल- 01 बजकर 17 मिनट, अप्रैल 21 से 02 बजकर 58 मिनट, अप्रैल 21 तक
विजय मुहूर्त- 02 बजकर 17 मिनट से 03 बजकर 08 मिनट तक
चैत्र नवरात्रि रामनवमी -21 अप्रैल को होने वाले शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04 बजकर 10 मिनट, अप्रैल 22 से 04 बजकर 54 मिनट, अप्रैल 22 तक.
रवि योग- 07 बजकर 59 मिनट से 05 बजकर 39 मिनट, अप्रैल 22 तक.
विजय मुहूर्त- 02 बजकर 17 मिनट से 03 बजकर 09 मिनट तक.
गोधूलि मुहूर्त- 06 बजकर 22 मिनट से 06 बजकर 46 मिनट तक.
निशिता मुहूर्त- 11 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट, अप्रैल 22 तक.
नवरात्रि में कन्या पूजन का महत्व
सनातन धर्म के अनुसार बच्चों को देवी देवताओं का रूप माना जाता है। विशेष तौर पर छोटी कन्याओं को देवी का रूप बताया गया है। ऐसे में नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि के दिन 3 वर्ष से लेकर 9 वर्ष तक की कन्याओं की पूजा और उन्हें स-सम्मान भोजन कराने की परंपरा सालों से चली आ रही है। कहा जाता है इस दिन माता खुद पृथ्वी लोक पर आती है और कन्याओं में ही विराजित होती हैं। ऐसे में इस दिन आप कन्याओं की जितनी सेवा करें इससे माता प्रसन्न होती है और आपके जीवन में अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं।
ज्यादा जानकारी: कहा जाता है यदि आप कन्या पूजन में एक कन्या को भोजन कराएं तो इससे ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। दो कन्याओं की पूजा और भोजन कराएं तो इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है। 3 कन्याओं की पूजन से धर्म, अर्थ और काम में वृद्धि होती है। 4 कन्याओं की पूजा से राज्य पाठ हासिल होता है। पांच कन्याओं की पूजा से विद्या में सफलता मिलती है। 6 कन्याओं की पूजा से कुल छह प्रकार की सिद्धियां व्यक्ति के जीवन में प्राप्त होती हैं। 7 कन्याओं की पूजा से राजपाट और सम्मान में वृद्धि होती। 8 कन्याओं के पूजन से व्यक्ति की धन संपत्ति में वृद्धि होती है और नौ कन्याओं की पूजा से व्यक्ति को इस पृथ्वी पर प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।
कन्या पूजन में इस बात का रखें ध्यान
- भोजन कराने के बाद कन्याओं को अपनी यथा शक्ति अनुसार दक्षिणा अवश्य दें। ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती है।
- क्योंकि इस वर्ष नवरात्रि पर भी कोरोना का साया है ऐसे में सलाह दी जाती है कि किसी परंपरा को निभाने के चक्कर में कोरोना वायरस के नियमों की अवहेलना ना करें। सामाजिक दूरी इत्यादि का विशेष ध्यान रखें।
- किसी भी बच्चे का अनादर ना करें।
- कन्याओं को बासी भोजन न कराएं और उन पर क्रोध भी ना करें।
- यदि आप घर बुलाकर कन्याओं को भोजन नहीं करा सकते हैं तो आप अपनी यथाशक्ति अनुसार भोजन निकालकर किसी मंदिर में दान कर सकते हैं।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।